लालच बुरी बला है
लालच बुरी बला है
बहुत पुरानी बात है। एक गाँव में एक किसान रहता था। उसका नाम गोपाल था। गोपाल ने अत्यधिक परिश्रम से अनाज बेचकर सात रूपये कमाये थे।
एक दिन गाँव में एक मुर्गी बेचने वाला आया। गोपाल ने उस मुर्गी विक्रेता से एक मुर्गी खरीद ली। वह मुर्गी रोज एक-एक अंडा देती थी। एक दिन गोपाल ने सोचा कि यह मुर्गी तो रोज एक-एक अंडा देती है। इसका मतलब है कि इसके पेट में बहुत सारे अंडे होंगे। क्यों न मैं सारे अंडे एक ही बार में निकाल लूँ। इन अंडों को बेचकर मैं बहुत जल्दी अमीर बन जाऊंगा।
यही सोचकर गोपाल ने चाकू से मुर्गी का पेट फाड़ डाला, लेकिन गोपाल को मुर्गी के पेट में एक भी अंडा नहीं मिला। उसे अत्यधिक पछतावा हुआ। गोपाल को लालच का फल मिल चुका था।