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Geeta Bhadauria

Horror Thriller

4  

Geeta Bhadauria

Horror Thriller

लाल चुन्नी सफेद सूट

लाल चुन्नी सफेद सूट

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280

हे डूड!!!! व्हाटसप!...... क्या कर रहा है?....


मैं ....मैं तो कुछ नहीं कर रहा.... बस विंडो के पास सेटटी पर बैठा हुआ तुझ से बात कर रहा हूं..... बाहर बहुत ठंडी हवा चल रही है..... कुछ-कुछ अंदर भी आ रही है ......पर्दे हिल रहे हैं...... और सुनाऊँ! ..... आंखों देखा हाल?....


अच्छा!!! अच्छा!! ऐसा कर ना! मेरे घर आजा....


तू आजा यार! मेरा टाइम पास नहीं हो रहा.... तू आएगा तो थोड़ा टाइम पास हो जाएगा......


चल ठीक है...


ओके!.... आई एम वेटिंग फॉर यू... प्लीज! कम सून....


श्रीकांत ने फोन को साइड में रख दिया और अपने दोस्त जयेश की वेट करने लगा। 


वह इस मकान के ग्राउंड फ्लोर पर अकेला रहता है.... बैचलर है ........एक मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर इंजीनियर के पद पर है .....


आज संडे का दिन है लेकिन बैचलर का संडे मतलब 'नो फन डे!' आज अकेले होने की वजह से उसका दिन काटे नहीं कट रहा...... दिन क्या ......अब तो रात हो गई है ......रात के 11:00 बज गए हैं.....बाहर बहुत ठंड है। घर से यहां आने के बाद उसे पता चला कि ठंड भी सांय-सांय करती है। 


बाहर सांय-सांय ठंडी तेज हवा चल रही है.... जिसकी वजह से सामने वाले पीपल के पेड़ से भयानक आवाजें आ रहीं है। लगता है किसी बियाबान में बैठा है वो। मम्मी ने कितना मना किया था कि आफिस से घर केवल 30 किमी है यहीं से अपडाउन करले। पर उसने मम्मी के कालजयी तानों को सुनने से बेहतर , मुम्बई के इस सबर्ब में अकेले रहना मंजूर किया।


जयेश को आने में अभी डेढ़-दो घंटे लगेंगे। उसका एक बार मन किया कि वह बाहर घूम आए लेकिन फिर आलस ने उसे आ घेरा और उसने यह नामुराद विचार त्याग दिया।


समय काटने के लिए उसने अपने हेडफोन के इयरबड कानों में ठूंसे और अरिजीत सिंह के गाने सुनने लगा।। गाना सुनते सुनते उसका ध्यान सामने अपने बेड पर चला गया। जिस पर ढेरों कपड़े, जूस का खाली पैकेट, पानी की बोतल, नमकीन का पैकेट, चाय का जूठा कप, और केक का आधा टुकड़ा प्लेट में पड़ा हुआ था। पहले उसने सोचा थोड़ी सफाई कर दी जाए । फिर उसने इस बेतुके विचार को सिरे से खारिज कर दिया।  


सफाई करके भी क्या होना है?.....फिर वापिस वैसे ही गंदा हो जाएगा। कभी-कभी मकान मालिक आता है तो गुस्सा करता है.... पर उसे क्या पता .....बैचलर लोगों की लाइफ में कितने झनझट है। 


अभी केवल 11:15 हुए है। ये घड़ी भी ना कितनी धीरे चल रही है!!


तभी तेज हवा की अजीब सी सुरराहट की आवाज आई। उसने बाहर झांका कर देखा तो एक लाल दुपट्टा हवा में लहराता हुआ उसी की विंडो की तरफ उड़ता हुआ आ रहा था। उसने आसपास नजर घुमाई तो सामने से एक लड़की सफेद सूट में आती हुई नजर आई। तभी पता नहीं कहां से दो गुंडे आकर उस लड़की से खींचतान करने लगे। 


तभी लाइट चली गई। घर के अंदर तो इन्वर्टर था इसलिये कोई फर्क नहीं पड़ा , पर बाहर स्ट्रीट लाइट जाने से घुप अंधेरा हो गया।


श्रीकांत ने विंडो ग्लास से अपना चेहरा चिपकाकर बाहर देखने की कोशिश की। कुछ ही क्षणों में उनकी आंखें अंधेरे में देखने की अभ्यस्त हो गई।


वह दोनों बदमाश उसका पर्स छीन रहे थे और उसके कपड़े फाड़ने पर आमादा थे। वह लड़की अब भी उन दोनों से जूझ रही है। 


श्रीकांत जो अभी कुछ देर पहले आलस में लिपटा हुआ बैठा अरिजीत सिंह के गाने सुन रहा था अचानक उसके शरीर में ना जाने कहां से इतनी फुर्ती आ गई कि वह सेटटी से कूदकर चप्पल पैर में सटकाता हुआ मेन गेट की कुंडी खोल कर बाहर आ गया। सीढ़ियां उतरते हुए उसने ध्यान दिया कि वह हाँफ पेंट और बनियान में ही नीचे आ गया है।


कोई बात नहीं......मुझे कौन सा अपनी शादी में जाना है!....


उसकी सोच बिल्कुल आम लड़कों से मिलती है जो यह सोचते हैं कि तैयार तभी होना है जब अपनी शादी में जाना हो !! 


बचाओ!!! बचाओ !!!!! उस लड़की ने श्रीकांत को देखकर चिल्लाना शुरू किया। 


हैरानी की बात थी कि पूरी सोसाइटी में किसी के घर की खिड़की तक नहीं खुली....... यहां तक कि किसी के घर में किसी के चलने या बोलने की आहट तक नहीं आई ....जबकि वह एक लड़की इतनी जोर जोर से चिल्ला रही थी। 


श्रीकांत भागता हुआ उनके पाया गया और उनमें से एक लड़के को पीछे कॉलर से पकड़ा और उसकी गर्दन पर जोर का हाथ मारा।। वह लड़का तड़पकर नीचे जमीन पर गिर गया और अपनी गर्दन सहलाने लगा। 


तभी दूसरे लड़के ने श्रीकांत की पीठ पर जोर से लात मार दी। श्रीकांत हालांकि इस हमले के लिए तैयार नहीं था पर उसने अपने आप को संभाल लिया और पलट कर उस दूसरे लड़के की कलाई जोर से पकड़ी और मरोड़ दी। कलाई के मरोड़े जाने से वह लड़का जोर से कराह उठा। लेकिन उसने भी श्रीकांत के कॉलर को कस के पकड़ लिया।


श्रीकांत ने उसके साथ भी वही शुरू किया और जोर से एक लात उसके सामने कमर पर मार दी। वह लड़का भी बिलबिला गया और जमीन पर गिर पड़ा। अब दोनों लड़के जमीन पर पड़े हुए कराह रहे थे। श्रीकांत ने जल्दी से उस लड़की का हाथ पकड़ा और अपने घर के पीछे की ओर दौड़ लगा दी, ताकि उन लोगों को यह ना पता चले कि वह किस घर में जा रहा है। 


पीछे की सीढ़ियों से अपने घर में आकर उसने अपने घर की कुंडी बंद की और अंदर आकर सांस ली। थोड़ी देर में सांसे संयत होने पर उसने उस लड़की को एक गिलास पानी थमाया। इस कड़ाके की ठंड में भी श्रीकांत पसीने से तर -बतर हो गया। 


लड़की अब तक थोड़ी संभल चुकी थी। उसने बाथरूम में मुंह धो कर आने की इजाजत मांगी तो श्रीकांत ने बिना सोचे- समझे उसको इजाजत दे दी और वही बैठा रहा। जब काफी देर तक बाथरूम का दरवाजा नहीं खुला तो श्रीकांत ने धीरे से दरवाजा खटखटाया। दूसरी बार खटखटाने ही जा रहा था कि दरवाजा 'खटक!' की आवाज से खुल गया और वह लड़की बाहर आ गई।


श्रीकांत यह देखकर हैरान रह गया कि जो लड़की अभी हाथ मुंह धोने गई थी वह पूरी तरह से नहा कर आई है.... उसके गीले बालों से पानी टपक रहा है..... और उसमें से एक बड़ी ही अच्छी भीनी सी खुशबू आ रही है।


श्रीकांत बालों की उस भीनी खुशबू में मदहोश होने लगा।


"क्या एक कप चाय मिलेगी?"


"हां! हां! क्यों नहीं!!!!"


अंधे के हाथ बटेर लग गई। अंधे को क्या चाहिए, दो आंखें! बैचलर के घर में एक लड़की आ गई, इससे अच्छा और क्या हो सकता है!!! श्रीकांत एक कप चाय की फरमाइश पर खुशी-खुशी चाय बनाने किचन में चला गया। चाय बना कर उसने उस लड़की को आवाज दी।


"यह लो! आपकी चाय! मिस....... सॉरी! मैं आपका नाम पूछना तो भूल ही गया।"


"माया"


"गुड!! ...... यहां क्या कर रही थी?....मतलब आप कहाँ रहती है?...इसी सोसाइटी में......"


माया ने उसकी बात को अनसुना कर दिया और चाय का कप उठाकर अपने होठों से लगा लिया। श्रीकांत उसको धीरे-धीरे सिप करते हुए चाय पीते देखता रहा। अचानक श्रीकांत को महसूस हुआ कि गर्म-गर्म चाय उसके हलक में उतरती जा रही है। श्रीकांत ने धीरे से अपना गला सहलाया। वह तो चाय पी ही नहीं रहा था। पर वह लड़की को देखने में इतना मगन हो गया कि उनके अहसासों को खुद महसूस कर पा रहा था।


तभी बाहर कई कुत्तों के एक साथ रोने की आवाज आई। कुत्ते इतनी भयानक आवाज में 'हू!!हू!!' करके रो रहे थे कि उस लड़की का ध्यान भी उनकी तरफ चला गया और वह लड़की खिड़की के पास खड़ी होकर बाहर देखने लगी।


"बचपन में कहानी सुनी थी कि जब कोई भूत होता है तो वहां के कुत्ते इसी प्रकार रोने लगते हैं।"


"डरने की कोई बात नहीं, ये कुत्ते रोज इसी प्रकार रोते हैं।"


श्रीकांत ने समय देखा तो रात के 11:30 बजे थे। श्रीकांत ने किचन के एक गमले में से एक छोटा सा स्टोन उठाया और विंडो खोलकर एक कुत्ते पर मार दिया। वह कुत्ता थोड़ी दूर भगा और फिर दूर जाकर फिर से आसमान की तरफ मुंह उठा करके रोने लगा। परेशान होकर श्रीकांत वापस आकर चेयर पर बैठ गया।


"आपने बताया नहीं आप यहां क्या कर रही थी?"


"कुछ नहीं!.... मैं कॉलेज में पढ़ती हूं..... शाम का कॉलेज है.... जब मैं कॉलेज से निकली तो कुछ लड़कों ने मेरा पीछा किया और यहां तक आ गए..... मैं अपनी जान बचाने के लिए सोसाइटी में घुस आई .....और मेरी किस्मत अच्छी थी कि आप ने सुन लिया.... मैं बहुत देर से चिल्ला रही थी ....... लेकिन कोई मेरी आवाज ही नहीं सुन रहा था.... या शायद सब लोग सुनकर भी अनसुना कर रहे थे.......प्लीज! आप मेरी मदद करिए।"


"आप अब सेफ हैं। आप चाहे तो यहां रुक सकती है, बल्कि मैं तो कहूंगा यहीं रुकिए, सुबह घर जाइये.... मैं उधर बाहर सो जाऊंगा।"


माया थोड़ी देर चुप रही और फिर धीरे से बोली, "पहले मैं इसी फ्लैट में रहती थी.....अचानक मेरे माता-पिता की डेथ एक रोड एक्सीडेंट में हो गई..... मेरे पास किराया देने के पैसे नहीं थे.....मकान मालिक चंदन आनंद की नजर मेरे गहनों पर थी, जो मुझे अपने दादा-दादी से मिले थे। फिर किराया ना दे पाने की वजह से मकान मालिक ने मुझसे यह फ्लैट खाली करवा लिया। मेरा कुछ सामान यहां पर छूट गया था। कृपया आप मुझे वह सामान लौटा देंगे?


श्रीकांत असमंजस में उस लड़की को देखने लगा। जब वह आया था तो यह फ्लैट खाली था।


"शायद आपका सामान मकान मालिक ने रख लिया हो?"


"नहीं उसे नहीं मिला होगा। मैंने उधर किचन में छुपा दिया था।"


"क्या समान था?"


 "कुछ सोने की चूड़ियां, एक चेन, डायमंड का सेट..."


"अच्छा आप बैठो, मैं देखता हूं।" 


श्रीकांत किचन में गया और उसने सारे कबर्ड खोल कर उसके कोने कोने में झांका, लेकिन उसे वह सामान कहीं नहीं मिला। थोड़ी देर बाद वह लड़की भी पीछे-पीछे किचेन में आ गई।


"ऐसा तो नहीं कि उसने कहीं यहां नीचे छुपा दिया हो....नीचे ....मतलब ....यहां नीचे फर्श में ..."


"इतना कीमती था क्या?"


"हां! डायमंड सेट और नेकलेस लाखों का था।"


श्रीकांत ने फर्श की तरफ देखा.... वह तो पक्का फर्श था। उस लड़की ने फर्श पर एक जगह अपना पैर पटका और बोली,


"यहां से कुछ आवाज ज्यादा आ रही है.... लगता है जगह खाली है .....खोद कर देखो जरा!


श्रीकांत एक लोहे का सरिया उठा लाया और उससे टाइल हटाने की कोशिश करने लगा। जब उससे भी टाइल नहीं हटी तो वह एक हथौड़ी ले आया। हथौड़ी से टाइल तोड़कर उसने सरिये से उस जगह को खोदा। थोड़ी देर बाद उसमें से माया के बताए गए सामान निकलने शुरू हो गए। माया बच्चों की तरह खुश हो गई। 


"तुम्हारा सामान उसने जमीन में क्यों गाड़ा?" श्रीकांत हैरान रह गया। 


"पता नहीं!" 


"यह लो अपना सामान.... कहां रहती हो बताओ... तुम्हें छोड़ दूं।"


"नहीं!...कोई जरूरत नहीं! अब वे बदमाश चले गए होंगे। यह सामान तुम अपने पास रख लो, मैं कल ले लूंगी।"


श्रीकांत खुश हो गया। इनका मतलब माया से आगे भी मिलते रहने का चांस है। माया कुंडी खोलकर चली गई।


श्रीकांत ने बाय! में हाथ हिलाया और फिर विंडो पर आ गया। विंडो से उसने देखा माया भी उसको हाथ हिला रही है।श्रीकांत ने भी अनायास ही हाथ हिला दिया फिर उस लड़की ने हाथ बढ़ाया तो श्रीकांत ने उस से हाथ मिला लिया। 


लेकिन अचानक ही उसके पसीने छूट गए .....वह तो सड़क से इतनी दूर अपने कमरे में बैठा है..... उस लड़की का हाथ इतनी दूर कैसे आ गया ..... श्रीकांत पसीना पसीना हो गया .... माया ने अपना हाथ वापिस खींच लिया। 


सभी कुत्तों ने फिर जोर- जोर से रोना शुरू कर दिया......... सारे पेड़ एक साथ सायं-सायं की आवाज से हिलने लगे .........दूर कहीं जंगल में सियार की आवाज आने लगी ....... श्रीकांत डर के मारे पसीना-पसीना हो गया। उसने अपना पसीना पोछा और डरते हुए दोबारा से उस हाथ की तरफ देखा। पर अब वह हाथ गायब हो चुका था और माया दूर सोसायटी के गेट के बाहर से निकल रही थी। 


श्रीकांत को काटो तो खून नहीं!..... उसने झटपट से खिड़की बंद की और अपने सीने पर हाथ रखकर बैठ गया...


"टिंग!!!!!! टोंग!!!!!!!!!


तभी जोर से डोर बेल बजी। श्रीकांत डर के मारे इतनी जोर से चीखा कि उसके अपने कान सुन्न पड गए। और वह चेयर से नीचे गिर पड़ा। उसके मुंह में उसका दांत घुस गया था और खून निकलने लगा था। 


"टिंग!!!!!! टोंग!!!!!!!!!


दुबारा बेल बजी, तो उसने अपनी हिम्मत को बटोर कर की- होल से बाहर देखा। बाहर उसका दोस्त जयेश खड़ा था।


श्रीकांत ने झटपट से दरवाजा खोल दिया और उसको अंदर करके फिर बंद कर लिया । श्रीकांत ने उसे पूरी घटना बताई जो थोड़ी देर पहले उसके साथ घटित हुई। जयेश ने कहा "बैठे-बैठे तेरी आंख लग गई होगी..... तूने सपना देखा होगा............ तू वैसे ही डर गया..... पागल है क्या?...... मैं तो इतनी देर से बेल बजा रहा हूं .....और अभी-अभी सोसाइटी के मेन गेट से ही अंदर आया हूं .....वहां तो कोई लड़की बाहर निकलती हुई मुझे दिखाई नहीं दी।"


 "तुझे मेरी बात का विश्वास नहीं है ........आ....चल रसोई में देख ........मैंने अभी खुदाई करके उस लड़की का सामान निकाला है .....जो भी भी वही रखा है .....वह कल लेने आएगी।


वह दोनों रसोई में गए तो श्रीकांत की आंखें फैल गई। वहां ना तो सरिया था .....ना कोई टाइल टूटी थी....... और ना ही कोई खुदाई हुई थी...... ना कोई सामान था...। उसने पैर से, हाथ से बजा-बजा के टाइल को देखा ....वह ज्यों की त्यों सही सलामत थी।


"तू सो तो नहीं गया था खिड़की के पास बैठा हुआ.... जरूर तूने सपना देखा होगा शायद !.......""


श्रीकांत ने अपने माथे पर आये पसीने को पोंछकर कहा, "शायद मैंने सपना ही देखा होगा! मैं तेरे इंतजार में सो गया था।। आज तू भी यहीं सो जा..... मुझे बहुत डर लग रहा है।"


जयेश वहीं रुक गया। सुबह श्रीकांत का मन नहीं माना तो उसने जयेश के साथ मिलकर किचन में उस जगह की खुदाई की। नीचे सचमुच गहने थे। पर......वह गहने किसी लड़की के कंकाल पर थे। दोनों की आंखें फटी की फटी रह गई।


जयेश ने जल्दी से पुलिस को 100 नंबर पर फोन किया। पुलिस आई और उस कंकाल को और उसके साथ दफन सामान जिसमें गहने, लाल चुन्नी और सफेद सूट था, उसे भी ले गई। मकान मालिक चंदन के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने पर माया के कत्ल के केस में उसे जिस दिन उम्र कैद की सजा हुई, सफेद सूट के ऊपर लाल चुन्नी उड़ाती माया विण्डो के बाहर से हाथ लहराकर उसे 'बाय!' बोलने आई और ऊपर आसमान में विलीन हो गई। उस दिन के बाद सोसाइटी में रात को कुत्ते कभी नहीं रोये। 


समाप्त



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