लाल बत्ती
लाल बत्ती
उफ्फ आज फिर देर से नींद खुली !
आज फिर ऑफिस के लिये लेट हो जाऊंगी !
आज फिर बॉस की जली कटी सुननी पड़ेगी!
सोचते सोचते स्वाति ने बिस्तर छोड़ा और बाथरुम की ओर दौडी!
हे भगवान! लाईट ही नही है!
आज तो ठंडे पानी से ही नहाना पड़ेगा!
अरे यार! कोई ड्रेस ही प्रेस नही है!
ओफ्फ्हो !
जल्दी करते करते भी घर से निकलते हुए साढे आठ बज ही गए । नौ बजे का ऑफिस है और यहाँँ से एक घंटे की दूरी!!
मैट्रो मे बैठते ही वह प्रार्थना करने लगी!
हे भगवान ! दुनिया की सारी घडियां रुक जाएं !
आज बॉस की गाड़ी पंचर हो जाए!
आज बॉस की बेटी की पी टी एम हो और बॉस को वहाँ जाना पड़े!
मैट्रो स्टेशन पर उतरते ही शेयरिंग ऑटो के लिये दौडी!
पर ये क्या !
आज ऑटो की हड़ताल!
ओ रब्बा ! तूने सिर्फ मेरी ही परीक्षा लेनी होती है क्या!
दायें देखा, बायें देखा!
दूर दूर तक कोई जान पहचान वाला नही दिखा!
अब क्या करुँ !
सोचते हुए स्वाति पैदल ही चल दी । करीब बीस मिनट का रास्ता होगा !
जैसे ही चौराहा पार करने लगी, लाल बत्ती पर तेज स्पीड से चलती एक कार साईड पर रुकी हुई स्कूटी को टक्कर मारती हुई निकल गयी ।
कोईकुछ समझ पाता उससे पहले ही कार फर्राटे मारती आंखोंं से ओझल हो गई । न कोई ड्राईवर को देख पाया न गाड़ी का नम्बर ही नोट कर पाया ।
आस पास खड़े लोग स्कूटी की ओर लपके । स्कूटी सवार लड़की साईड पर गिरी हुई थी और कोहनी से खून बह रहा था, और कई जगहों पर भी खरोंचे आई हुई थी ।
स्वाति भाग कर उसके पास गई । उसे ढांढस बंधाया । जैसे तैसे सहारा दे उसे स्कूटी पर बिठाया और खुद स्कूटी ड्राईव कर कुछ ही दूरी पर स्थित क्लिनिक पर ले गई ।
मरहम पट्टी करवाई ! इन्जेक्शन लगवाया!
कहां रहती हो! तुम्हें घर तक छोड़ देती हूँ!
हाँँ दीदी! प्लीज! मुझसे स्कूटी भी नहीं चलाई जाएगी ।
ओके तुम रास्ता बताती जाना!
ठीक है दीदी!
स्वाति ऑफिस के बारे में तो बिल्कुल भूल ही गई ।
कुछ ही देर में उस लड़की को घर छोड़ा और वापिस मुड़ने लगी तो वह बोली-
दीदी प्लीज अंदर चलिए! आप ही माँ को बताना कि मेरी कोई गलती नही थी वरना वे मुझे दुबारा स्कूटी नहीं देंगी ।
स्वाति हँसते हुए घर के अंदर गई ।
अरे परी! क्या हुआ बेटा! ये पट्टी....!
अरे माँ ! घबराईये मत ! ज्यादा नही लगी । बचाव हो गया!
पर ये हुआ कैसे ?
तब स्वाति ने उन्हें सारी बात बताई!
उन्होनें परी की मदद करने के लिये सैकड़ों बार धन्यवाद किया ।
टन टन! घड़ी ने दस बजाये!
स्वाति का जी धक्क से रह गया!
अरे मैं तो भूल ही गई ....मुझे तो ऑफिस पहुंचना था ! दस तो यहीं बज गए ।
बेटा आज छुट्टी कर लो और आज का दिन हमारे पास ही रुक जाओ ।
नहीं आंटी ! आपको पता नहीं है कि हमारा बॉस कितना खडूस है!
बेटा कहां जॉब करती हो!
गुरुग्राम!
किस ऑफिस में!
पी के इन्जीनियरिंग हाऊस!
परी और उसकी मम्मी खिलखिला कर हँस पड़े!
बेटा! मैं आपका नाम पूछना तो भूल ही गई!
जी स्वाति!
अच्छा तुम बैठो, मैं अभी आई ।
परीकी मम्मी ने फ़ोन मिलाया और किसी को परी के साथ हुई पूरी घटना का ब्यौरा दिया! फ़ोन रखने से पहले कहा-
सुनिये! वो लड़की जिसने परी की इतनी मदद की कोई और नहीं आपके ऑफिस की स्वाति ही है । अभी वो मेरे पास ही बैठी है । उसकी हाजिरी लगा दीजिए लेकिन वो आज नही आएगी!
स्वाति को काटो तो खून नहीं!
स्वाति ने दोनों कानों को पकड़ते हुए नजरें झुका ली ।आंटी उसके पास आई और बोली- बेटा, डरो नहीं! वे उसूलों के बड़े पक्के और हर बात में कायदा कानून झाड़ते है इसलिए परिवार में भी सब उन्हें खडूस ही कहते है लेकिन वे है मन के बड़े सच्चे! तभी तो इतने कम समय और कम उम्र में इतना बड़ा बिजनेस खड़ा कर लिया ।
सॉरी आंटी !
कोई नहीँ ! तुम दोनों बैठ कर बातें करो तब तक मैं चाय बना कर लाती हूँ!
आंटी की बातें सुन स्वाति ने अपने बॉस की नेगेटिव इमेज को दिल से निकाल फेंका !
आज लाल बत्ती ने स्वाति को जिंदगी का बेहद खूबसूरत सबक जो सिखा दिया था ।
