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nikhil kapade

Abstract

4.6  

nikhil kapade

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लाॅकडाउन का मेरा अनुभव

लाॅकडाउन का मेरा अनुभव

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कोर्ट ने महामारी के प्रादुर्भाव के चलते देश में लाॅकडाउन घोषित हुआ। यह कई महीनों तक जारी रहा। लाॅकडाउन के कारण सभी को अपने - अपने घरों में बंद रहना पड़ा , सड़क पर न ही कोई वाहन - गाड़ी और न ही कोई व्यक्ति था। लाॅकडाउन के कारण तो कईयों का मानसिक स्वास्थ्य भी बिगड़ गया।

भले ही देश में लाॅकडाउन था लेकिन जरूरी था कि हमने अपने मानसिक स्तर पर इसका असर नहीं होने दिया। विद्यालय बंद था और न ही मैं अपने मित्रों से मिल पा रहा था , क्या करूँ कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था? पर लाॅकडाउन मुझे एक अच्छा अवसर मिला खुद को जानने का। थोड़ा ध्यान घर के कामों में लगाया , जैसे साफ - सफाई इत्यादि। पर फिर भी मुझे थोड़ी बैचेनी महसूस हो रही थी। दूरदर्शन पर रामायण देखी और मैं अचंभित रह गया हमारी वैदिक संस्कृति को जानकर , रामायण का थोड़ा अध्ययन भी किया , इसकी सत्यता जानी।

महाभारत भी थोड़ा जाना। योगीराज श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को बताया गया परम् सत्य यानी भगवद् गीता का भी थोड़ा अध्ययन किया। यूँ कहुँ तो मैं थोड़ा आध्यात्मिक बन गया था। आध्यात्म और विज्ञान के बारे में कुछ पुस्तके डाउनलोड कर पढ़ी। महापुरुषों की जीवनी का भी अध्ययन किया कि स्वामी विवेकानंद , शहीद भगत सिंह , गौतम बुद्ध , निकोला टेस्ला आदि और इनकी जीवनियों ने मुझे काफी प्रभावित किया। समय का उपयोगीकरण मैंने एलोन मस्क से सीखा। और जाना कि हर क्षण बहुत ही कीमती होता हैंं। सिर्फ एक अच्छी समय सारणी बनाकर समय का सदुपयोग नहीं किया जा सकता हैं अपितु उसका कठोरता से पालन भी करना पड़ता हैं।

समय के उपयोगीकरण से हमें नई चीज़े करने का भी अवसर मिलता हैंं। लाॅकडाउन का असर मैंने स्वयं पर नहीं होने दिया , मतलब किसी न किसी कार्य में स्वयं को वो कार्य करने में व्यस्त रखा। ऐसी कठिन परिस्थिति में मैंने पैसों का भी महत्व जाना। बाहरी सुंदरता से अति आवश्यक चीजें महत्वपूर्ण होती हैं। स्वयं को मोबाइल और टीवी को ज्यादा इस्तेमाल करने से रोका और किताबें पढ़ने में ज़्यादा ध्यान केंद्रित किया।

ये सभी चीज़े करने में शुरूआत में दिमाग को काफी पीड़ा हुई पर ये अच्छी आदते मैंने अपने अंदर लागू की। मैंने यह बात जानी कि आज की दुनिया में काफी चका - चौंध हैं , सभी प्रतिस्पर्धा के पीछे दौड़ रहे हैं। लोगों को स्वयं के लिए कभी समय ही नहीं मिला और इसलिए वे स्वयं को कभी जान ही नहीं पाए। लाॅकडाउन एक अच्छा मौका था मेरे लिए जिसमें मैंने स्वयं को जाना , स्वयं के अंदर झांका और मानसिक स्तर पर मुझे खुशी का अनुभव हुआ। मुझे इस बात की खुशी हैं कि लाॅकडाउन के कठिन दौर में मैंने समय का सदुपयोग और किताबें पढ़ने की अच्छी आदत अपना ली। 


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