Minu Biswas

Tragedy Crime Thriller

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Minu Biswas

Tragedy Crime Thriller

क्यों आँसुओं का कोई मोल नहीं ?

क्यों आँसुओं का कोई मोल नहीं ?

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क्यों आँसुओं का कोई मोल नहीं ?

धीमे धीमे कोमल एहसासों के चादर में लिपटी मारिया अपने आज और आनेवाले कल की खुशियों  को खुद में समेटने कि कोशिश में जुटी थी। मारिया आज बहुत खुश थी । पूरे तीन साल बाद उसकी बेटी मार्गरेटअमेरिका से पढा़़ई पूरी कर जयपुर लौट रहीथी। सुबह से मरिया एक अलग ही उत्साह में नज़र  आ रही थी। शायद इसलिए भी कि,डेविड के असमय मृत्यु के पांच सालों बाद, आज मारिया दिल से एक खुशी को जी रही थी।और मार्गरेट तो वैसे भी घर की  जान हुआ करती  थी। उसकी हँसी और खुशमिजाज स्वाभव से तो सारा घर खिल उठता था। पर उसके अमेरिका चले जाने के बाद घर बिल्कुल सूना सा हो गया था। मरिया यह सोच  खुश थी की उसके घर की रोनक वापस लौट रही थी और शायद उसकी खुशी काअंदाज़ा लगाना भी मुश्किल सा था।

न्यूयॉर्क जाने से पहले मार्गरेट ने मारियाको ढाढ़स बंधाते हुए कहा था " माँ मैंतुम्हारी बहादुर बेटी हूँ और तुम्हारी हीं तरहआत्मनिर्भर बनना चाहती हूँ। आने वाले दिनोंमें तुम्हें मुझपे गर्व होगा।" तब मारिया नेअपनी आँखे बंद कर ईश्वर से प्राथना की थी" कि जीसस मेरी बच्ची की सारी इच्छाएंस्वीकार करें और फिर विश के पूरे होने कीकामना कर अपने हार्ट को क्रॉस किया था "।

पांच साल पहले डेविड की मौत असमयही एक कार एक्सीडेंट में हो गई थी। उससमय मनो मारिया की दुनिया तीन सौ साठडिग्री उलटी घूम गई थी। यूँ अचानक बीचरास्ते में किसी का साथ छूट जाना कितनातकलीफदेह होता है इस बात को केवल वहीसमझ सकता है जिसके साथ ये घटित हुआहो। डेविड के जाने के बाद दो बेटियों कीपरवरिश और घर चलने का पूरा जिम्मामरिया के ऊपर आ गया था।

इस दुर्भाग्यपूर्ण परिस्तिथि में एक अच्छीबात ये थी कि मारिया भी डेविड के बिज़नेसमें अपना योगदान देती थी। उनका गारमेंट्सएक्सपोर्ट का बिज़नेस था जो बहुत अच्छाचल रहा था। इसीलिए डेविड के असमय मृतुके बाद  मरिया को उतनी दिक्कतों कासामना नहीं करना पड़ा जितना की  शायदएक नॉनवर्किंग महिला को हो सकती थी। परअकेले व्यापार और घर संभालना आसन भीतो नहीं था। और बेटियां भी छोटी हीं थीं।

तब बड़ी बेटी मार्गेरेट दसवी कक्षा में पड़रही थी और छोटी बेटी एंजेल आठवी में। उससमय मार्गरेट अपनी माँ का सहारा बनी औरएक दोस्त की तरह संभाला भी। अचानकमानो मार्गेरेट अपनी उम्र से दस साल बड़ी होगई हो। या ये कह लें की परिस्थितियों नेअचानक हीं उसे एक  परिपक्व इंसान बनादिया था। अपनी पड़ाई के साथ घर के कामोंमें मरिया का हाथ बटाने लगी थी।

मार्गरेट पढ़ाई में बहुत होसियार थी दोसाल बाद बारवी कक्षा में स्कूल में टॉपकिया था और एक टैलेंट सर्च कम्पटीशन मेंउसे स्कालरशिप मिली थी न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटीसे बिज़नेस स्टडीज पढ़ने के लिए।

हांलांकि मारिया नहीं  चाहती थी कीमार्गरेट पढ़ने के लिए साथ समंदर पार जाए।पर बच्चों की ज़िद और उनके सपनों के लिएअपनी सोच से डर को रुखसत करना हींपड़ता है। और कहीं ना कहीं एक अच्छे मातापिता यही चाहते हैं की उनके बच्चे खूब पढ़ेंलिखें और आगे बढ़ें। मरिया ने भी आख़िरकाररजामंदी दे हीं दी थी।

मारिया की एक कज़िन सुज़न अमेरिकामें हीं रहती थी। तो शायद एक भरोसा थाकी कोई जानने वाली है वहां जो ज़रुरत केसमय कुछ तो काम आ हीं जायेंगी।और येभी की मार्गरेट को कभी घर जैसा फीलचाहिए हो तो वो सुज़न के घर भी जा सकतीथी।  मारिया ने सुज़न से बात कर अमेरिका केविषय में काफी इनफार्मेशन  ले ली थी। औरउसे यह जान के अच्छा लगा था की वहांपढ़ने की सुविधा भी बहुत उच्च स्तर की हैऔर मार्गरेट के फ्यूचर के लिए भी बहुतअच्छा होगा। ये तीन साल का समय दिल परपत्थर रख बीत हीं गया था।

मार्गरेट की फ्लाइट शाम पांच बजे लैंडहोने वाली थी एअरपोर्ट में जैसे मारिया कोएक-एक पल भरी पड़ रहा था मार्गरेट केइंतज़ार में। और क्यों ना हो आज तीन सालबाद उसके घर कि रोनक वापस लौट रही थी। मार्गरेट का मुस्कुराता चेहरा उसकी आँखों केसामने से बार बार गुज़र रहा था।

इंतज़ार का वक़्त ख़त्म हुआ और मार्गरेटएअरपोर्ट से बाहर आई और मारिया के सामनेआ खड़ी हो गई। पर जैसे मानो मरिया केलिए उसे पहचान पाना मुश्किल सा था। सामनेकोई मुस्कुराता चेहरा ना था। मार्गरेट काचेहरा मायूसी से भरा था। आँखों के नीचेकाले गड्डे हो रक्खे थे। मुस्कुराहट तो चेहरे सेलापता थी। सामने मनो कोई हड्डी का  ढांचाखड़ा हो। मारिया ने जैसे तैसे खुद कोसंभाला और मार्गरेट को गले से लगते हुएकहा " कैसी है  मेरी बच्ची बहुत दुबली होगई है "। मार्गरेट ने बहुत धीमे स्वर में कहा" ठीक हूँ और जिंदा हूँ "। ना उसके चेहरेपे कोई खुशी के भाव थे ना दुःख एक बेजानचेहरा।

मानो दो मिनट के लिए मरिया कादिमाग काम करना बंद कर दिया हो पर खुदको सँभालते हुए उसने प्यार से मार्गरेट के सरपे हाथ फेरा और कहा- " चलो घर चलेंएंजेल तुम्हारा बेसब्री से इंतज़ार कर रही होगी।" 

मरिया ने पोटर की मदद से सामन गाड़ीमें रखवाया और गाड़ी को घर के रास्तें कीतरफ मोड़ दिया। पूरे रास्ते मनो मरिया कोमार्गरेट की हंसी और खिला चेरा देखने काइंतज़ार हो पर पूरे रास्ते मार्गरेट चुप बैठी रहीऔर एक टक कार की खिड़की से बाहरदेखती रही। उसके चेहरे पे एक शुन्य केसिवाए कोई दूसरे भाव ना थे।

मरिया को कई सवालों ने घेर लिया था। मार्गरेट की चुप्पी उसे खाए जा रही थी परचाहते हुए भी उसने मार्गरेट से कुछ नहीं कहाऔर ना हीं कुछ पुछा। उसे लगा हो सकताहै वो चौबीस घंटे के सफर की वजह सेथकी हुई हो या तीन साल के फासले ने कुछउसे बदल दिया हो। दिमाग सवालों की एकमाला पिरोता जा रहा था पर जवाब तो सारेमार्गरेट के पास थे। यही सब सोचते सोचतेमरिया, मार्गरेट को ले घर पहुँच गई। कार काहॉर्न बजाते ही एंजेल फूलों का एक गुच्छा लेदरवाजे  पर खड़ी थी।

मार्गरेट कार से एक धीमी गति में उतरी, एकदम सुस्त, एंजेल दौड़ के उसके पास पहुँचीऔर चिल्लाते हुए कहा " वेलकम होम दीदी, आई मिस्ड  यू सो मच "। पर मनो मार्गरेटके चेहरे पे ना कोई खुशी, ना कोई उत्साह , ना कोई उल्लास था। एंजेल थोड़ी मायूस होगई जब मार्गरेट ने उसे कोई उत्साह नहींदिखाया, और बोली " क्या दीदी तुम मुझसेतीन साल बाद मिल रही हो और तुम्हारे चेहरेपे कोई खुशी नहीं है।

मरिया ने एंजेल को समझाते हुए कहाकी मार्गरेट सफ़र से थकी हुई है तुम उसेपरेशान ना करो " लेट हर टेक रेस्ट , यूटॉक टु हर लेटर "। एंजेल ने एक अच्छीबच्ची की तरह माँ की बात झट मान लीऔर कहा "चलो दीदी में तुम्हे तुम्हारा कमरादिखाऊँ और तुम जानती हो मैंने और माँ नेउसे तुम्हारी पसंद से सजाया है " 

कमरा बहुत ख़ूबसूरती और करीने सेसजा हुआ था बेड टेबल पे गुलाब के फूलोंका गुलदस्ता था और मार्गरेट की पसंदीदाबैडशीट जिस पर गुलाब के फूलों का प्रिंटथा बिस्टर पे बिछा था। और मार्गरेट काफैवरेट कार्नर उसका स्टडी टेबल उस परफूलों से लिखा था वेलकम होम। मार्गरेट जैसेहीं कमरे में दाख़िल हुई ज़ोर से चिल्ला उठी"आई हेट फ्लावर्स " और बेतहासा हो फूलोंका गुलदस्ता ज़मीन पे पटक दिया और चादरको उठा इक कोने में सरका दिया और अपनासर पकड़ वहीँ बैड पे बैठ गई।

मार्गरेट का ऐसा रूप देख मरिया औरएंजेल डरे सहमें एक कोने पर खड़े रहे। मरिया को कुछ समझ नहीं आ रहा था किवो क्या करे। बहुत हिम्मत जुटा वह मार्गरेटके पास पहुँची और उसके सर पे हाथसहलाते हुए कहा " मार्गरेट तुम आराम करो, सफ़र से थक गई होगी थोड़ी देर बाद हमडिनर टेबल पे मिलते हैं " ये कह मरिया नेएंजेल जो सहमी घबराई एक कोने में खड़ीथी उसे इशारे से  वहां से जाने को कहा। और मार्गरेट को बिस्तर पे लिटा दिया औरउसे चादर उड़हाते हुए फिर कहा "तुम आरामकरो " ये कह मरिया भी कमरे से बाहर आगयी और डाईनिंग टेबल पे बैठ बहुत परेशानहो मार्गरेट के विषय में सोचने लगी उसेमार्गरेट के बदले हुए स्वाभाव के बारे में कुछभी समझ नहीं आ रहा था। फिर ख़याल आयाकि क्यों ना सुज़न से पूछे, हो सकता है वोकुछ जानती हो या कुछ इनफार्मेशन मिलसके यही सोच सुज़न को फ़ोन लगया और युहीं बातों बातों में जानने की कोशिश करतेहुए कहा-" हेल्लो सुज़न कैसी हो? तुम्हें इसवक़्त फ़ोन कर रही हूँ बताना था कि मार्गरेटघर पहुँच गई है। और तुम्हें तहे दिल सेशुक्रिया भी कहना था की वहां परदेश मेंतुमने मार्गरेट का ख़याल रखा।

सुज़न-"नहीं मरिया शुक्रिया कहने कीकोई ज़रुरत नहीं मार्गरेट तो बहुत हीं प्यारीबच्ची है और वो कभी कभार हीं आती थी।पहले तो वो अक्सर आया करती थी परपिछले साल सिर्फ एक बार हीं आई थी वोभी मेरे बुलाने पर।" और कुछ इधर उधर कीबातें कर मरिया ने थैंक्स कहते हुए फ़ोन रखदिया।

मारिया को सुज़न से भी कुछ ख़ासजानकारी ना मिल सकी अब वो और भीपरेशान थी, तभी मार्गरेट के ज़ोर से चिलानेकी आवाज़ आई। दौड़ कर मारिया कमरे मेंपहुंची, मार्गरेट को देख वो स्तब्ध एक जगहपर सुन्न खड़ी रही। सामने मार्गेरेट अपनेकपड़ो को अपने ही हाथों से नोच कर अलगकर रही थी बालों का एक गुच्छा ज़मीन परपड़ा था और मार्गेरेट की हालत और हरकतेकुछ पागलों सी थी बिलकुल बेसुध सी।मारिया ने खुद को फिर संभाला और मार्गरेटके पास जा उसे प्यार से सहलाने कीकोशिश की तो तभी मार्गरेट ने मरिया काहाथ झड्कते हुए कहा -" डोंट टच मी औरज़ोर ज़ोर से फिर चिलाने लगी और एककोने में दुबक के बैठ गई।"

मार्गरेट कि एसी हालत देख मारिया को ये तोसमझ आ रहा था की मार्गरेट किसी मानसिकस्तिथि से जूझ रही है। बहुत मुश्किलों सेमरिया ने मार्गरेट को संभांला किसी तरहखाना खिला उसे सोनेके लिए छोड़ कमरे सेबाहर आई। काफ़ी रात हो चुकी थी पर उससेरहा न गया और अपने फैमिली डॉक्टर कोफ़ोन मिलाया और सारा ब्यौरा देते हुए पुछा- "डॉक्टर वर्मा बताइए मैं क्या करूँ , प्लीज़हेल्प मी। आई कांट सी माय डॉटर लाइकदीस।" 

डॉक्टर ने ढाढ़स बंधाते हुए मरिया सेकहा-"आई थिंक डॉक्टर मुखर्जी कैन हेल्प यू, ही इज़ अ वेल नोन  साईकाईट्रिस्ट , मेरेअच्छे दोस्त है तुम्हारी मदद ज़रूर करेंगे , डोंटवर्री सब ठीक हो जायेगा। कल का तुम्हाराअपॉइंटमेंट फिक्स करवा देता हूँ।" 

मारिया ने डॉक्टर का शुक्रिया करते हुएफ़ोन रख दिया और फिर कई सवालों ने उसेघेर लिया। पूरी रात वो यही सोचती रही कीन्यूयॉर्क में ऐसा क्या हुआ होगा जो मार्गरेटकी ऐसी हालत हुई है। 

यूँ बैठे सोचते हुए अचानक ही उसेख़याल आया की जब मार्गरेट सेकंड इयर मेंपढ़ रही थी तब विडियो चैट के दौरान उसनेअपनी एक सहेली से भी बात करवाई थी जोअमेरिकन थी शायद एमिली नाम था। तबशायद उस समय उसका नंबर भी लिया था। और ये भी की पिछले साल मार्गरेट ने कभीविडियो चैट नहीं किया और अक्सर फ़ोन पेही सिर्फ़ बातें हुआ करती थी। यही सोचतेकब उसकी आँख लगी और कब सुबह होगई पता ही नहीं चला।

सुबह उठते ही सब से पहले उसनेएमिली का नंबर तलाशना शुरू किया। एकपुरानी डायरी जिसमें अक्सर वो नंबर लिखाकरती थी उसमें एमिली का नंबर लिखा मिलगया। इसी खोजाबिनी में डॉक्टर कीअपॉइंटमेंट का टाइम हो गया। मरिया नेएमिली को शाम को फ़ोन लगाना उचितसमझा क्योंकि अमेरिका में रात होती है जबभारत में दिन होता है।

बड़ी मुश्किलों से मार्गरेट तैयार हुईडॉक्टर से मिलने को वो भी ये कह कर कीमरिया को कुछ डिस्कस करना है स्वयं केविषय में। डॉक्टर वर्मा ने पहले ही डॉक्टरमुखर्जी को पूरा ब्यौरा देते हुए कहा था " आई नो शी इज़ इन सेफ हैंड्स। " मरिया जबडॉक्टर मुखर्जी के रूम में मार्गरेट के संगदाख़िल हुई तब डॉक्टर मुखर्जी ऐसे मिले जैसेवो मरिया को पहले से जानते हों - " हेल्लोमिसेस मरिया, कैसी हैं आप , और अगर मैंगलती नहीं कर रहा तो ये आपकी बड़ी बेटीहै मार्गरेट , एम आई राईट? " 

मारिया ने सर हिलाते हुए कहा "हाव्कैन यू बी राँग डॉक्टर मुखर्जी।" बातों - बातों में डॉक्टर ने बहुत सी इनफार्मेशननिकाल ली मार्गरेट के विषय में और उसकेहाऊ भाव , आचरण से ये साबित हो हीं रहाथा की मार्गरेट किसी तनाव से ग्रसित है। यूँहीं मज़ाक करते हुए पहले मरिया का ब्लडप्रेशर लिया फिर बाद में हँसते हुए कहा चलोमार्गरेट आज तुम्हारा भी बी पी चैक करलिया जाए।

ऐसे हीं बातों बातों में डॉक्टर ने एकप्रश्नावली मार्गरेट को भरने को कहा। दरअसलये कोई मामूली प्रश्नावली ना होकर एकसाइकोलोजिकल टेस्ट था मार्गरेट के लिए। किसी तरह डॉक्टर ने मार्गरेट का मूल्यांकनकिया और मार्गरेट को बाहर रिसेप्शन के पासबैठने को कहते हुए कहा - " मार्गरेट कैन युसिट आउटसाइड आई वांट टू डिस्कस समथिंगविथ योर मॉम।" मार्गरेट चुप चाप बाहर चलीगई।

मार्गरेट के बाहर जाते ही उत्सुकता सेमारिया ने डॉक्टर से पुछा " क्या हुआ हैमेरी बच्ची को , वह क्यों ऐसा बरताव कररही है "

डॉक्टर ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा" मार्गरेट को एनोरेक्सिया और पार्शियलएपिलिप्स्या है।" मरिया ने इस बीमारी कानाम पहले कभी नहीं सुना था। मरिया ने कहा-" डॉक्टर ये कौन सी बीमारी है और इसेकैसे होगई, मेरी बच्ची ठीक तो हो जाएगी ना।

डॉक्टर ने हताश मन से कहा-"मेडिकलमें इस बीमारी का कोई ठोस इलाज नहीं है। ठीक होने के चांसेस तीस से पैंतीस प्रतिशतहीं हैं। ये बीमार अक्सर अत्यधिक स्ट्रेस याफिर लम्बे समय तक किसी मानसिक तनावसे गुजरने से हो जाती है। इस बिमारी मेंइंसान एक इसी परिकल्पना में जीता है जहाँउसे कोई भी खाने की वस्तु से डर लगनेलगता है या फिर उसे लगता है की उसकावजन बढ़ जायेगा यदी वो कुछ भी खाए। याफिर कई दिनों तक कुछ भी खाने पिने कोनहीं  मिला हो, मार्गरेट के साथ अवश्य हींकुछ ऐसा तनाव पूर्ण घटित  हुआ है जिससेउसकी ये हालत हुई है। बहुत प्यार औरसयंम के साथ आपको उसे देखना होगा। आपचाहें तो मार्गरेट को कुछ दिनों के लिए यहाँएडमिट करा सकतीं हैं " 

मरिया ने सोचने का समय लेते हुएडॉक्टर को धन्यवाद् कहा, और एक उदासी कोसाथ लिए कमरे से बाहर आ गई। मनसवालों की गठरी के नीचे दबा जा रहा था। पर जवाब मिले भी तो कहाँ से मिले। मार्गरेटकी अवस्था सवालों के जवाब देने लायक तोबिलकुल भी नहीं थे। इन्हीं सवालों में उलझीमरिया, मार्गरेट को ले घर पहुंची और तुरन्तएमिली को फ़ोन मिलाने का निश्चय किया।

एमिली जो इस वक़्त एक मात्र जरियाथी जहाँ से कुछ जानकारी मिलने की आशाथी। बहुत संकोच के साथ मरिया ने एमिलीको फ़ोन मिलाया। घंटी का स्वर मरिया केकानो को भेदता हुआ सीधे उसके मस्तिष्क मेंप्रवेश कर रहा था। हाथों में इक कंपकपी सीथी। जाने क्या सुनने को मिलेगा बस यहीविचार आ आ कर बेचैन कर रहे थे।

बेचैनी को भेदती हुई एक आवाज़ कानोमें पड़ी -"हेल्लो"।

जवाब में मारिया ने भी "हेल्लो" कहा।

एमिली ने पूछा -" मे आई नो हु इज़ ऑनदी लाइन।

मरिया ने कहा -" इस दिस एमिली ऑन दीलाइन। दिस इस मरिया मार्गरेट'स मदर। डू यूरीमेम्बर मार्गरेट?

एमिली ने जवाब में कहा - " ओह यस आईडू रीमेम्बर मार्गरेट। हाऊ इज़ शी ? " 

मरिया ने समय न गवातें हुए झट एमिलीको सारी बात और मार्गरेट की स्तिथि सेअवगत करते हुए पुछा - " डु यू हैवे एनीआईडिया, व्हाट हैप्पेंड विथ मार्गरेट व्हेन शीवास इन अमेरिका।"

सवाल को सुन एमिली कुछ देर चुप रही। इधर मरिया की जान मानो हलक में अटकीहो। मरिया ने फिर अपना सवाल एमिली कोदोहराया - " डू यू हैवे एनी आईडिया व्हाटहैप्पेंड विथ मार्गरेट व्हेन शी वास इनअमेरिका।"

एमिली ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहा - यस आंटी , बट आई कांट टेल यू ओवर दफ़ोन। यु नीड टु कम हियर। इट्स अ लॉन्गस्टोरी"।

जवाब सुनते ही मानो मरिया के दिमागमें हजारों सवालों ने एक सुरंग का रूप धारणकर लिया हो जहाँ सिर्फ़ अंधकार हीं अंधकारहो। जहाँ से दूसरा छोर नज़र तो आ रहा थापर पहुँच के बाहर सा लग रहा था। मरियाकुछ देर चुप रही और सोचती रही कीआखिर क्या करे। "आई विल लेट यूलेटर......, थैंक यू" कह फ़ोन रखा दियाऔर एक गहरे सोच के चक्रव्यू में उसने खुदको धकेल दिया। मार्गेरेट का दर्द और तखलीफ़एक तरफ, दूसरी तरफ एंजेल की  स्कूल कीपढाई और तीसरी तरफ बिज़नेस कीज़िम्मेदारियाँ तो चौथी तरफ घर , क्या संभालेऔर कैसे ? पर इस चक्रव्यू को किसी भीतरह तो भेदना हीं था। बहुत सोच विचारकरते हुए मरिया ने ये निर्णय लिया की वहअमेरिका जाएगी।

अगले हीं दिन मारिया ने वीसा के लिएतत्काल में आवेदन भर दिया। और अपने कुछजानने वालों की हेल्प से दस दिनों में यु. एस. का मल्टिपल एन्ट्री वीसा मिल गया। वहीँ इन दस दिनों में मार्गरेट को डॉक्टरबेनर्जी के हॉस्पिटल में दाखिला करवा दिया। हालांकी यह एक दिल पे पत्थर रख लिएजाने वाले निर्णय थे पर लेना भी तो ज़रूरीथा। जाने से एक दिन पहले एंजेल को डेविडकी बड़ी सिस्टर जो जयपुर में हीं रहती थींउनके पास रखवा दिया ताकि उसका ख़यालऔर उसकी पढा़ई में कोई नुक्सान ना हो। ऑफिस की सारी जिम्मेदारी डेविड के खासदोस्त और कंपनी के चार्टर्ड अकाउंटेंट मिस्टरवर्मा के हांथो सोंप मरिया अब तैयार थी आगेकी लड़ाई के लिए।

मरिया की तड़के सुबह चार बजे कीफ्लाइट थी नहीं जानती थी कि न्यूयॉर्क पहुँचक्या सुनने और जानने को मिले। विमान मेंबैठे घर और बच्चों की चिंता से मन भरी होरखा था। पहली बार बच्चों को अकेला किसीऔर के भरोसे छोड़ मरिया एक लम्बे सफ़रपर निकली थी। यूँ तो ऑफिस के कामकाज से जयपुर के आस पास टूर पर जातीहीं रहती थी पर विदेश यात्रा पहली बार कररही थी। ये चौबीस घंटों का सफ़र एक अजीबसी मानसिक उथल पुथल में गुज़र गए। इसीउथल पुथल के बीच कब नींद लग गई मालूमहीं नहीं चला। अगली सुबह जब फ्लाइट लैंडहुई तब मारिया नींद से जागी। एअरपोर्ट  परसुज़न मरिया का इंतज़ार कर रही थी।

सुज़न को देखते हीं मारिया उसके गलेसे लिपट गई। दोनों एक दुसरे से दस सालबाद मिल रहे थे। एअरपोर्ट से सुज़न का घरआधे घंटे की दूरी पर था। सुज़न ने मरियासे कहा - ग्रेट टु सी यू  आफ्टर अ डिकेड, बट हाऊ कम यु र हियर सडनली। मरिया नेजवाब में कहा-"क्या बताऊँ तुम्हें मेरी तोदुनिया हीं उलट-पलट हो गई है।" 

रस्ते में मरिया ने सुज़न को मार्गरेट केविषय में सब कुछ बता दिया। और फिर एकलम्बी सांस को छोड़ते हुए कहा-" इसीसिलसिले में यहाँ मार्गरेट कि एक दोस्तएमिली से मिलने आई हूँ जानना चाहती हूँक्या हुआ इन तीन सालों में  जिसने मेरीहंसती खिलखिलाती बच्ची के चेहरे से हंसी हींछीन ली है।" सुज़न को ये सब जान के बेहददुःख हुआ और उसने मायूसी के साथ कहा -" काश! में कुछ कर पाती, मैं तो यहीं थीपर मुझे कुछ मालूम हीं नहीं चला।

अगली सुबह मरिया की मुलाकात एमिलीसे तय थी। ये पूरी रात मरिया ने एक भयके साए में बिताई की अगली सुबह जाने क्यासुनने को मिले। मरिया एमिली के बताये पातेपर पहुंच गई थी। रविवार का दिन था एमिलीकी आज छुट्टी का दिन था वह एक न्यूज़एजेंसी में बतौर पत्रकार के रूप में काम कररही थी। एमिली और मार्गरेट एक ही कॉलेज मेंसाथ पढ़े थे। एमिली ने जर्नालिस्म का कोर्सकिया था और मार्गरेट ने मैनेजमेंट का। जर्नालिस्म का कोर्स करते हुए एमिली नेकामचलाऊ हिंदी भी सीख ली थी। दोनोंकॉलेज हॉस्टल में एक हीं रूम शेयर करते थेऔर दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती भी थी।

एमिली ने आदर भाव से मरिया का स्वागतकिया और इशारा करते हुए सोफे  पर बैठनेका आग्रह करते हुए कहा-"हेल्लो मरियानाईस टु सी यू।"

मरिया ने समय ना ज़ाया करते हुए सीधेएमिली से प्रश्न किया -"एमिली आइ हैवेकम आल द वे टु नो अबाउट माय चाइल्डमार्गरेट। प्लीज टैल मी इन डिटेल।" 

एमिली थोड़ी चिन्तित हो बोली - कहाँसे शुरू करूँ। वेल मार्गरेट वास आ वैरी ब्राइटस्टूडेंट। थोड़ी टूटी-फूटी हिंदी में एमिली नेबताना शुरू किया। फर्स्ट इयर वास वैरी गुड। वो मेरी रूममेट थी तो हम एकदूसरे सेकाफ़ी बातें शेयर करते थे। फर्स्ट इयर तो हस्तेखलते निकल गया था और मार्गरेट ने कॉलेजमें अपने अच्छे और भले स्वाभाव से बहुतअच्छी रेप्युटेशन बना ली थी। मार्गरेट स्टडीजमें अच्छी तो थी ही साथ हीं एक्स्ट्राएक्टिविटीज में भी।

रुथ एक अमेरिकन लड़का था जो मार्गरेटको पसंद करता था दोनों में बहुत अच्छीदोस्ती भी थी और एक हीं क्लास में भी थे। रुथ कॉलेज में बहुत पोपुलर था उसकी इमेजकुछ प्लेबॉय जैसी थी पर वो मार्गरेट कोपसंद करता था। पर मार्गरेट का लक्ष्य तोपड़ाई कर वापस जाना था। उसने रुथ कोकभी भी सीरियसली नहीं लिया था।पर रुथमार्गरेट को इम्प्रेस करने की हमेशा कोशिशकरता था। हर रोज़ वो मार्गरेट को एक गुलाबका फूल दिया करता था। हम सब जानते थेमार्गरेट को गुलाब का फूल बेहद पसंद था।

लास्ट सेमिस्टर से पहले कॉलेज इलेक्शनके दौरान मार्गरेट और रुथ को नोमिनेट कियागया कॉलेज प्रेसिडेंट की पोस्ट के लिए। औरजैसा कि हम सब जानते थे मार्गरेट वोन दइलेक्शन। रुथ को दुःख तो हुआ पर उसनेमार्गरेट को बधाई भी दी। मार्गरेट की जीत कीखुशी में रुथ ने एक पार्टी  और्गेनाईज़ कीजिसमें केवल कुछ दोस्तों को हीं बुलाया गया। इतना कहते कहते एमिली रुक गई और रोनेलगी।

मरिया की समझ में कुछ भी नहीं आरहा था।उसने एमिली से रिक्वेस्ट किया औरकहा -एमिली प्लीज मुझे सारी बातें बताओऐसे तुम अचानक क्यों रो रही हो ? व्हाटहप्पेंड टु यू ? स्वयं को सँभालते हुए एमिली नेसामने रखे गिलास से एक घूंट पानी पियाऔर आगे बताना शुरू किया।

मार्गरेट जब रुथ के चंगुल से निकल करआई तब उसने मुझे बताया की उसके साथक्या गुज़री। इस वक़्त तक हम सब रुथ कोबस एक मदमस्त लड़के के रूप में जानते थे। पार्टी के बाद रुथ ने मार्गरेट को रुकने कोकहा, अपनी दोस्ती का वास्ता दिया औरमार्गरेट एक अच्छे दोस्त की तरह रुथ कीबातों में आगई। कहीं ना कहीं मार्गरेट भी रुथको पसंद करती थी शायद यही कारण थावह उसकी बातों में आ गई। और फिर कोईअपने दोस्तों पे शक करे भी तो कैसे? मार्गरेटभी तो अनभिज्ञ थी रुथ के इरादों से।

पार्टी में सभी ने बियर , विस्की , वोडकाली थी हालाँकि मार्गरेट ने सिर्फ बियर ही पीथी पर जाने कैसे बेहोश हो गई थी। जबआँखे खुली उसने स्वयं को एक छोटे से , गंदेसे कमरे में पाया , कुछ  स्टोर रूम जैसा लगरहा था। मार्गरेट को कुछ समझ नहीं आ रहाथा कि आखिर वो उस कमरे में कैसे आईघबराहट में उसकी आँखों से आंसुओं की धारातेज़ी से बहने लगे थे। तभी दरवाजा  खुलनेकी आवाज़ आई सामने रुथ को देख उसकीजान में जान सी आई। और मार्गरेट झट उठरुथ के गले लग पड़ी। रुथ ने मार्गरेट कोअपने से अलग करते हुए धक्का मारा औरकहा "स्टे अवे " . 

मार्गरेट की  समझ के परे था यह सबवह सोच रही थी कि जिस लड़के ने एकदिन पहले उसकी जीत की खुशी  में पार्टीदी वही आज उससे इतनी बेरुखी से क्यों पेशआ रहा है? मार्गेट ने फिर मद्दद कि गुहारलगाई पर रुथ के कानों में तो जूं तक नहींरेंग रही थी। अचानक ही उसने मार्गरेट परझपट्टा मारा और मार्गरेट के बदन से कपड़ोंको नोच कर अलग कर दिया।

मार्गरेट दया कि गुहार लगाती रही औररुथ उसकी इज्ज़त से खेलता रहा। मार्गरेट नेबहुत कोशिश कि, गिड़गिडा़ई पर जैसे रुथ तोएक आदमखोर भेड़िये कि तरह सिर्फ़ मार्गरेटको नोचने में लगा था।उसके कानों में मार्गरेटके दर्द भरी आवाज़ पहुंच भी नहीं रही थी। बहुत कोशिशों के बाद भी मार्गरेट स्वयं कोबचा ना सकी। जब रुथ का दिल भर गया वोउसे वहीँ कमरे में छोड़ जाने लगा। पर उसकेचेहरे पर कुछ अजीब से भाव थे जैसे वहअपने जीत का जश्न मना रहा हो।मार्गरेट कोअब तक कुछ समझ नहीं आरहा था किआखिर रुथ ऐसा कर क्यों रहा था उसकेसाथ। जाते जाते रुथ अपने साथ मार्गरेट केकपड़े भी ले गया। 

नग्न अवस्था में मार्गरेट ने एक नहीं , दोनहीं पुरे तीन हफ्ते बिताये। रुथ का जब मनकरता कमरे में आता और मार्गरेट की आबरूको छलनी कर वहां से ऐसे चले जाता मनोकुछ हुआ हीं नहीं हो। मार्गरेट के आसुओं का,उसकी विनती का कोई असर नहीं होता। उसेतो केवल अपनी हवस और ज़िद्द ही सर्वपरीथा। पर उसने  जीतेजी एक लड़की को निर्जीवबना दिया था वो भी किस लिए केवल अपनेघमंड को ऊँचा रखने के लिए। रुथ मार्गरेट काइस्तेमाल एक सेक्स टॉय के रूप में कर रहाथा।आज तलक मार्गरेट को अपनी गलती काइल्म भी नहीं था।क्या ये केवल रुथ कीवासना की भूख थी या कोई और वजह थीइतना कहते कहते फिर एमिली रुक गई थी।

यह सब सुनना मरिया के लिए एक नरकसे गुज़ारना सा था। मार्गरेट की चीखें मरिया केकानों को भेदते हुए उसके शरीर को तार तारकर रही थी मनो। मरिया का केवल कल्पनामात्र से शरीर सुन्न पड़ गया था। ना जानेमार्गरेट ने इन कठिन परिस्तिथियों का सामनाकिस प्रकार किया होगा। यह एक सोचनेवाली बात थी। मरिया ये सब सुन पूरी तरहसे ब्लैक आउट हो गई थी। और आज उसेबेहद पछतावा हो रहा था की उसने मार्गरेटको अमेरिका पड़ने हीं क्यों भेजा। मरिया सोचरही थी कि मार्गरेट इतने  कठिन दौर सेगुजरी और उसने इस दर्द को किसी के साथबांटा भी नहीं।

मार्गरेट ने इस दर्द को अकेले सह साहसीहोने का परिचय तो दिया था पर इस दर्दऔर तखलीफ़ ने उसे जीते जी मार डाला थाऔर ये सारी प्रताड़ना उसे क्यों सहनी पड़ीइस बात से अंजान थी वो। ये सारी बातेजानना मरिया के लिए काँटों पे चलने जैसेथा जहाँ उसकी अन्तरात्मा भी दर्द में बिलखरही थी। मरिया अपनी बेटी के दर्द से तड़परही थी।

इन सब बातों को सुनने के बाद मरिया नेयह तय कर लिया था की उसे रुथ कोउसके गलतियों की अवश्य हीं सज़ा दिलवानीहै।

मरिया ने एमिली से रुथ का पता जाननेकी इच्छा जताई। एमिली ने बताया की रुथभी हॉस्टल में हीं रहता था। और एमिली के पास उसका पता नहीं है परउसकी एकलोकल गार्जियन थी जो न्यूयोर्क में हीं रहतीथीं।  एक सम्भावना थी  कॉलेज से पता मिलसके पर उसके लिए कुछ जुगत लगानी होगी। क्योंकि अधिकतर कॉलेज में पर्सनल डिटेल्सदेना रूल्स के खिलाफ माना जाता है।

"लड़ाई तो बस अभी शुरू हीं हुई है " मरिया ने एक लम्बी सांस को छोड़ते हुएकहा। मारिया ने हाथ जोड़ एमिली को रुथका पता निकलवाने का आग्रह किया। एमिलीने मरिया को  ढाढ़स बंधाते हुए कहा -" मैंपूरी कोशिश करुँगी आप चिंता ना करें "।

एमिली को दिल से शुक्रिया कहते हुएमारिया ने उसे अपने गले से लगा लिया औरकहा-" तुम्हारी मदद कि आवश्यकता मुझेआगे भी इस लड़ाई में पड़ती रहेगी आशाकरती हूँ तुम मेरी हेल्प अवश्य करोगी "।एमिली ने दुःख में सराबोर हो कहा - "एनीटाइम मारिया यू कैन कॉल मी"।

मारिया एक भारी मन से वहां से रुखसतहुई यही सोच रही थी कि कैसे मार्गरेट नेइतनी तकलीफों का सामना किया होगा औरअब सारी बातें जानने के बाद मार्गरेट केबदले और बेहाल स्वास्थ्य का कारण भी पताथा। मारिया का मन तो कर रहा था की रुथबस कहीं से मिल जाए और वह उसे सरेबाज़ार नंगा कर बीच चोराहे में गोली दाग दे। मारिया के भीतर गुस्से का एक ज्वालामुंखीफट चुका था। और इस ज्वालामुंखी के शांतहोने का सिर्फ एक हीं उपाए था कि वह उसेसलाखों के पीछे देख। पर ये इतना आसनभी नहीं था मार्गरेट एक प्रवासी थी न्यूयॉर्क में। इस रास्ते को तय करना बेहद मुश्किलों सेभरा था। पर मरिया अब इन मुश्किलों सेलड़ने के लिए स्वयं को तैयार कर चुकी थी।

दो दिन बाद एमिली ने मारिया को फ़ोनकर ये ख़बर दी कि उसे रुथ के लोकलगार्जियन जिनका नाम रोसेलिन था का पतामिल गया है। झट मारिया ने रुथ कि आंटीका पता नोट कर उनसे मिलने की सोचीसमय ना गवाते हुए वे उनके घर जो बोस्टनमें था उसके लिए रवाना  हुई। न्यूयॉर्क सेबोस्टन की दूरी बस द्वारा कुल चार घंटे बीसमिनट की थी। कैसे-तैसे ये रास्ता भी तय होगया। बस स्टॉप से रोसेलिन का घर पांच मिनटकी दूरी पर था ।

मरिया ने घर के दरवाज़े पर दस्तक दी। दरवाज़ा रोसेलिन ने हीं खोला।रोसेलिन इकआकर्षक वृद्ध ब्रिटिश महिला थीं जिन्होंने थोड़ेआश्चर्य भाव के साथ दरवाज़ा खोला। उन्होंनेदरवाज़ा खोलते हीं पूछा "हु आर यू , व्हाटडू यू वांट।

मरिया ने जवाब में कहा - " आइ वांट टूमीट रोसेलिन। आए एम मरिया फ्रॉम इंडिया। वांट टू सी हर। "

जवाब में रोसेलिन ने कहा - "कम इन आएएम रोसेलिन "।

घर काफ़ी करीने से सजा था। मरिया नेएक नज़र घर के चारों कोनो में दौड़ाई। मनहीं मन मरिया सोच रही थी की शुरुआत कहाँसे और कैसे की जाये के तभी रोसेलिन नेपूछा - व्हाट'स द पर्पस ऑफ़ आवर मीटिंग , हाऊ यू नो मी। " 

मरिया ने समय ना गवाते हुए कहा-आइवांट टु नो अबाउट रुथ योर नेफ्यू। मरिया नेएक सांस में हीं सारी कहानी रोसेलिन कोबता डाली कि कैसे रुथ ने उसकी बेटीमार्गरेट का जीवन नष्ट कर डाला है और येभी की वह रुथ से मिल कर जानना चाहतीहै की क्या मिला उसे मार्गरेट के जीवन सेखेल के।

पहले तो रोसेलिन चुप रहीं पर मरिया केबहुत समझाने और आग्रह करने पर वह मानगईं और रुथ की पूरी कहानी मरिया कोबताई। रोसेलिन ने बताया रुथ का परिवेशएक अजीबोगरीब परिवार में हुआ था रुथ जबमात्र सात बरस का था तब उसकी माँ उसकेपिता को छोड़ किसी और के साथ रहने लगीथी। इतना हीं नहीं पिता एक हद दर्जे काशराबी और व्यभिचारी(वुमनाइज़र)था।

रुथ ने जो बचपन से देखा वही सीखा। उसे कभी औरतों की इज्ज़त करना आया हींनहीं। आता भी कैसे किसी ने कभी कुछसिखाया हीं नहीं। रुथ के माता पिता होने केबावज़ूद उसने अनाथो की तरह  अपनीज़िन्दगी बिताई। घर का माहोल बेहद ख़राबथा जिसका असर ये हुआ की रुथ में एकस्पलिट पर्सोनालिटी ने जन्म ले लिया था। उसेऔरतों से खासा नफरत सी थी। जब वहअपने वास्तविक अवस्था में रहता तब कोईअंदाज़ा भी नहीं लगा सकता था कि उसकेदिमाग के एक हिस्से में बेहद हीं खतरनाकइंसान का वास है। 

इतना कहते कहते रोसेलिन रुक गई औरएक गहरी सांस छोड़ते हुए कहा -" परकिसी भी दृष्टिकोण से रुथ को कोई हक़नहीं था कि किसी बेगुनाह की ज़िन्दगी सेखेले। मुझे लगता है उसे उसके किये का कोईपछतावा भी नहीं होगा, होता भी कैसे , उसे जोउसकी समझ से ठीक लगता है वो वहीकरता है।" रोसेलिन ने बताया की कई बारउन्होंने रुथ को समझाने की कोशिश की परकुछ फायेदा नहीं हुआ। रुथ जहाँ एक ओरपड़ने में बहुत अच्छा था वहीँ दूसरी ओरउसके मन को पढ़ना उतना हीं कठिन था।

मारिया ने रोसेलिन से रुथ का पताजानने की इच्छा जताई। रोसेलिन ने बताया कीजबतक रुथ कॉलेज में था तब तक रोसेलिनउसकी लोकल गार्जियन थीं पर वह उनकेसाथ नहीं रहता था कॉलेज ख़त्म कर रुथ नेवहीँ न्यूयॉर्क के एक कॉलेज में फ़ेलोशिप कीनौकरी कर ली थी।। उनकी आखरी मुलाकातछह महीने पहले हुई थी।

मरिया को अपने कई सवालों का जवाबतो मिल गया था पर यह जानना अभी बाकीहीं था की आखिर मार्गरेट हीं क्यों उसकाशिकार बनी। रोसेलिन का ह्रदय से धन्यवाद्कर मरिया न्यूयॉर्क वापस आ गई।

अगले दिन मरिया ने सुज़न की मदद सेएक वकील जो इंडियन अमेरिकन था उसेमार्गरेट के साथ हुई भयावह अत्याचार काब्यौरा दिया।  वकील ने मरिया को सूझाव देतेहुए कहा -"की  सबूतों के आभाव की वजहसे केस बहुत वीक है और विक्टिम भी कुछबताने की स्तिथि में नहीं है ऐसी स्तिथि  मेंपुलिस भी शायद हीं एफ .आई .आर लिखे। फिर भी मरिया ने उम्मीद का दमन नहींछोड़ा।मरिया के सामने अब एक और चुनौतीने जन्म ले लिया था। वह किसी भी हाल मेंरुथ को सलाखों के पीछे देखना चाहती थी येख़याल उसे दिन में चैन से बैठने नहीं  देताथा कि उसके पास सारी जानकारियां हैं परसबुत ना होने कि वजह से रुथ जैसे दुराचारीके खिलाफ़ कुछ नहीं कर पा रही है।

मरिया ने मार्गरेट के कॉलेज मैनेजमेंट सेबात कर सी सी टी वी फुटेज निकलवाए। जहाँ से ये पता चला की मार्गरेट की वाकईजान पहचान थी रुथ से और फिर डॉक्टर बेनर्जी से कह मार्गरेट की मेडिकल रिपोर्टतैयार करवाई जिसमें डॉक्टर  बेनर्जी नेमार्गरेट की मानसिक और शारीरिक स्तिथि कापूरा ब्यौरा दिया की कैसे शारीरिक औरमानसिक यातना का नतीजा है मार्गरेट कीऐसी दयनीय स्तिथि। 

इन सभी सबूतों को ले मार्गरेट औरउसके वकील ने रुथ के खिलाफ एफ. आई. आर. दर्ज करवाई। इतना हीं नहीं एमिली नेभी गावहीं देना मंज़ूर किया।

इन सभी रास्तों  पे चलना मरिया केलिए आसान तो नहीं था पर शायद माँ कीआत्मशक्ति के आगे रस्ते खुद-ब खुद बननेलगे थे। आखिरकार पुलिस ने रुथ को पकड़हीं लिया। कस्टडी में पूछ ताछ के दौरान रुथने जल्द हीं कबूल कर लिया की मार्गरेट कोउसी ने बंदी बना रखा था और वह ये सबइसलिए करता था क्योंकि उसे सुंदर औरअकल्मन्द औरतों से नफरत थी। दूसरा करणयह भी था की मार्गरेट स्टूडेंट इलेक्शन मेंजीत गई थी जिससे रुथ के अहम को बहुतठेस पहुँची थी और वह मार्गरेट से इस बातका बदला लेना चाहता था। रुथ को सेशनकोर्ट ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनायीऔर उसे मनोवेज्ञानिक उपचार भी करवाने कीसलाह दी।

मार्गरेट की कोई गलती ना होने पर भीउसे इस नरक से गुज़रना पड़ा। मरिया कोजब करण का पता चला तो उसके होश हींउड़ गए। मार्गरेट को इतनी परेशानियों कासामना केवल इस लिए करना पड़ा थाक्योंकि वह एक खुबसूरत , खुद्दार औरअकल्मन्द औरत थी।

रुथ को सज़ा होने पर मरिया खुश तोथी पर मार्गरेट को देख बेहद दुःख होता। एक होनहार और सक्षम लड़की की ऐसी हालत देख बहुत दर्द होता।

मार्गरेट आज भी डॉक्टर बेनर्जी से अपनाइलाज करा रही है।

उसके देहिक घाव तो मिटगए हैं पर आत्मिक घाव आज भी रिस रहें हैं।


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