कश्मकश [ भाग 3 ]

कश्मकश [ भाग 3 ]

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रिया ने एक झटके से आँखें खोली जैसे किसी बुरे सपने से जागी हो। वह जैसे ही ऊठी उसने देखा कि उसके फटे हुए टाॅप पर रोहित का जेकेट उसके सम्मान की रक्षा कर रहा था। उसने उस जेकेट को कस कर अपनी ओर खींचा जैसे कि वो उसका सुरक्षा कवच हो। अचानक रोहित का चेहरा उसकी आँखों के सामने आ गया। देखने में रोहित आकर्षक था। कद - काठी भी सुंदर और सुडौल थी। दिल का भी अच्छा था। उसकी आँखों में रिया ने कभी हवस नहीं देखी थी। रिया जाने कितनी देर उसकी कार में बेहोश पड़ी रही फ़िर भी उसने रिया के साथ कोई गलत हरकत नहीं की। आत्मरक्षा तो दूर की बात है, ड्रग्स के नशे में उसे पता भी न चलता। फ़िर भी रोहित ने उसकी उस हालत का फ़ायदा नहीं उठाया। रोहित से अपने आप को आज़ाद करने के लिए उसने रोहित को कितनी चोट पँहुचायी - उसे मारा, नाखून चुभाए और यहाँ तक कि उसे काटा भी जिससे उसका हाथ लहूलुहान हो गया। पर उसने कभी रिया पर हाथ न उठाया। वह सोच में पड़ गयी कि अगर रोहित इतना अच्छा है तो फ़िर जुर्म के रास्ते पर क्यों चल रहा है ? शायद उसकी कोई मजबूरी होगी। इतने में रोहित आ गया।

"खाना खा लो।" - रोहित ने थाली आगे कर दी।

"देखिए, आप लोग मुझे कोई और समझ रहे हैं। मैं आपसे सच कह...।" 

"मैं बताता हूँ कि सच क्या है।" - बाॅस ने कहा

"तुम उमानाथ सेहगल की बेटी हो। रामचरण सेहगल का मैनेजर था। सेहगल ने धोखे से रोहित के पिता अनन्तराम वर्मा की कम्पनी छीन ली। वर्मा और मैं घनिष्ठ मित्र थे। कहीं वर्मा उसकी इकलौती बेटी को कोई नुकसान न पँहुचाए, इस ड़र से उसने छह माह की रिया को रामचरण के हवाले कर दिया। रामचरण की पत्नी को दिल की बीमारी थी और इस कारण कभी माँ नही बन सकती थी। रिया को देखकर रामचरण का मन डोल गया। उसने सेहगल से कहा कि वर्मा के भेजे गुंडों ने बच्ची को मार डाला। सहगल भी इसे सच मानने लगा। सहगल सिंगापुर गया हुआ है। जब वो वापस आयेगा तो उसे यहाँ हमारे पास अपनी बेटी के लिए आना ही होगा और उसे रोहित को वह सब लौटाना होगा जिस पर उसका हक है।" 

रिया यह सब सुनकर दंग रह गयी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इस बात पर यकीन करे या नहीं !


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