कर्ज़दार हूँ मै
कर्ज़दार हूँ मै
आज राधिका कुछ थकी थकी सी लग रही थी, काम भी अनमने ढंग से कर रही थी, ये सब पति किशन गौर कर रहे थे और ऑफिस जाते हुए पूछा भी था, क्या हुआ राधा तबियत तो ठीक है काफी थकी सी लग रही हो l राधिका ने बिना कुछ बोले एक फीकी मुस्कान के साथ हाँ में सिर हिला दिया l किशन ने भी एक स्माइल दिया और ऑफिस चला गया l राधिका भी घर के काम में व्यस्त हो गयी l सारा काम निपटा कर सोचा थोड़ा आराम कर लूँ l लेटते ही राधा को नींद आगयी l शाम के 7 बज चुके थे, किशन के आने का वक़्त हो गया था, ऐसा पहली बार हुआ था कि राधिका इतनी देर तक सोई हो, तभी डोरबेल बजी और दरवाजा वृंदा ने खोला, "अरे बेटा आप, मम्मा कहाँ है?" , "मम्मा सो रही है" वृंदा ने जवाब दिया l वृंदा राधिका और किशन की एकलौती बेटी थी दोनों ही जान छिड़कते थे l राधा अभी तक सो रही है, ऐसा बड़बड़ाते हुए किशन सीधा अपने कमरे में गया, राधा को सोता हुआ देख चिंता कि लकीरें किशन के माथे पे उभर आयी l क्या हुआ राधा, पूछते हुए पास जाकर देखा तो राधिका बुखार से तप रही थी l "अरे राधा तुम्हें तो बुखार है, तुमने मुझे बताया क्यों नहीं l" किशन ने तुरंत डॉक्टर को फ़ोन किया, डॉक्टर ने दस मिनट में आने को कहा, तब तक किशन, राधिका के माथे पे ठंढे पानी की पट्टियाँ रखने लगा l राधा तुम अपना बिलकुल ख़याल नहीं रखती हो उसके माथे को चूमते हुए प्यार भरी शिकायत की l राधिका के आँखों से आंसुओ की बुँदे लुढ़क कर तकिये पे जा गिरी l इतने में डॉक्टर भी आगये l उन्होंने राधिका को देखा और कुछ दवाइयाँ दी और कहा घबराने की कोई बात नहीं है दो तीन दिन में ठीक हो जाएंगी l किशन डॉक्टर को गेट तक छोड़ कर आया और बेटी को आवाज़ लगाई बेटी भी रुआंसी सी पापा से लिपट गयी, क्या हो गया मम्मा को ऐसा पूछते ही रोने लगी l किशन ने बड़े प्यार से उसे समझाते हुए कहा, "बेटा मम्मा को बुखार है, और जल्दी ही ठीक हो जाएंगी l चलो जल्दी से हम दोनों चाय बनाते है मम्मा को दवाई जो देनी है l दोनों हो चाय और नास्ते के साथ" राधिका के पास आगये, राधिका ये सब देख कर भावुक हो गयी, वृंदा और किशन को अश्रु भरी आँखों से देखने लगी l किशन और वृंदा दोनों ही राधिका से लिपट गए, तुम्हें चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है, इतना कहकर राधिका को दवाई देकर सुला दिया किशन राधा के माथे को तब तक सहलाता रहा जब तक वो सो नहीं गयी l
इधर किशन ने घर के काम के लिए एक कामवाली को रखा और खुद की भी एक हफ्ते की छुट्टी ले ली l इस एक हफ्ते में किशन ने राधिका की पूरी सेवा की और वृंदा ने भी पूरा घर संभाला l अब राधिका लगभग पूरी तरह ठीक हो चुकी थी और राधिका के कहने पर ही किशन ने कामवाली को पैसे देकर कल से न आने को कहा, तभी वृंदा ने कहा "और मेरी पगार मैंने भी तो एक हफ्ते इतना काम किया मुझे भी तो पगार मिलना चाहिए", इतना कहकर हंसने लगी, अरे पापा आप तो घबरा गए मैं तो मजाक कर रही थी, और हंसते हुए अपने कमरे में चली गयी, और छोड़ गयी अपने पापा के मन में एक अजीब सा विचार, एक सवाल l कुछ सोचते हुए किशन कमरे में आया और राधिका को अपलक निहारता रहा, राधिका ने प्रश्न किया क्या हुआ किशन ऐसे क्यूँ देख रहे हो l किशन राधिका के हाथ को अपने हाथ में लेकर कहा "राधा तुम इस घर की नींव हो, आज जब कामवाली ने एक हफ्ते काम किया तो पगार लेकर गयी, और मजाक में ही सही वृंदा ने भी कहा मुझे भी पगार चाहिए, और तुम जो 15 साल से मेरा घर संभाल रही हो, हम सबकी सेवा कर रही हो, कभी कोई तकलीफ़ हुई तो उफ़ तक नहीं किया, कभी कुछ नहीं माँगा, कभी कोई शिकायत नहीं की, तो इस हिसाब से तुम्हारा मुझ पर बहुत सारा क़र्ज़ है, मैं कर्ज़दार हूँ तुम्हारा, कैसे चुकाऊँगा मैं ये क़र्ज़ l" दोनों की आँखे आंसुओ से भरी हुई थी, दोनों एक दूजे को निहारे जा रहे थे l रधिका इतना ही कह पायी, "बस एक मुस्कान से,,,," और किशन के बांहो में समा गयी l किशन ने भी राधिका के माथे पे प्रेम चिन्ह अंकित किया, मानो कह रहा हो मै उम्र भर आभारी रहूँगा तुम्हारा l राधिका के जज़्बात की गगरी लगातार छलक रही थी l इतने में वृंदा भी आगयी दोनों से लिपटती हुई पूछ बैठी आप दोनों इतना इमोशनल क्यूँ हो रहे हो, किशन इतना ही कह पाया कि, तू हमारी टीचर नहीं गुरु बन गयी है l तीनो ही एक दूसरे से लिपट गए l
