कृष्ण भक्त
कृष्ण भक्त


वह कृष्ण का भक्त था।
कभी वृन्दावन, कभी मथुरा, कभी द्वारका,जहाँ मौका मिलता कृष्ण की शरण में पहुँच जाता।
एक दिन वह स्वप्न देखता है कि उसकी मृत्यु हो गई है।
मृत्यु के बाद स्वर्ग में कृष्ण उससे मिलने से मना कर देते हैं।
वह आहत होता है,उसे अचरज होता है कि किस गलती,किस पाप की सज़ा उसे मिल रही है,वह अपने अराध्य से मिल नहीं सकता,खुद उसके अराध्य ने मिलने से मना कर दिया।
उसकी नींद खुल जाती है तो देखता है कि सामने टी. वी. में निर्भया की खबर चल रही थी।
उसे सहसा याद आया कि अपने इलाके की निर्भया को वह बचाने नहीं गया था।