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Diksha मिस कहानी

Romance

4.5  

Diksha मिस कहानी

Romance

क़रार दिल का

क़रार दिल का

6 mins
12

मुख्य पात्र:

1.अनाया चौहान – 27 वर्षीय, MBA टॉपर, आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी, और हाजिरजवाब लड़की। वो किसी से नहीं डरती, और बातों में किसी को भी मात देने का हुनर रखती है।


.अरणव रॉय चौधरी – 32 वर्षीय, एक सफल लेकिन सख़्त CEO। ज़िंदगी में लोगों पर भरोसा करना छोड़ चुका है, परफेक्शन का दीवाना और दिल के ज़ख्मों को मुस्कान के पीछे छुपाने वाला।


***

दिल्ली की सबसे बड़ी कॉरपोरेट कंपनी ‘रॉय ग्लोबल वेंचर्स’ के कॉन्फ्रेंस हॉल में तेज़ी से इंटरव्यू लिए जा रहे थे। बाहर इंतज़ार करती एक लड़की आत्मविश्वास से अपनी घड़ी देख रही थी — चुस्त कुर्ता, खुले बाल और आँखों में बेबाक़ चमक। नाम था — अनाया चौहान।


वो अपनी बारी का इंतज़ार कर रही थी, जब दरवाज़ा खुला और एक ठंडी-सी आवाज़ हवा में तैर गई —


“अगर इंटरव्यू में इतनी बेपरवाही है तो दरवाज़ा आपके पीछे है, मिस…”


उसके सामने खड़ा था — सख़्त चेहरा, गहरी निगाहें, और कड़क सूट में लिपटा — अरणव रॉय चौधरी। कंपनी का सीईओ। परफेक्शनिस्ट। दिल से दूर, दिमाग से तेज़।


अनाया ने बिना डरे मुस्कुरा कर कहा, “सरनेम जानने से पहले ही जज कर लिया? वैसे मैं आपको 'Mr. सीरियस' कह सकती हूँ?”


वो ठहर गया। कुछ पल उसे एकटक देखा, फिर भीतर आने का इशारा किया।


इंटरव्यू में उसके जवाब उतने ही तेज़ थे जितनी उसकी बातें। कुछ ही दिनों में अनाया को जॉब मिल गया — सीईओ की पर्सनल असिस्टेंट बनकर।


पहला ही दिन... और पहली ही भिड़ंत। मीटिंग में एक क्लाइंट का प्रस्ताव सुनकर अनाया ने विरोध किया।


“आपको बोलने की इजाज़त किसने दी?” अरणव ने भौंहें चढ़ाकर पूछा।उसे ये पसंद नही आया।


“सर, आइडिया इजाज़त मांगकर नहीं आते... ये तो मौका देखकर दिमाग़ से निकलते हैं,” उसने बड़ी सरलता से कहा।


ऑफिस में सन्नाटा छा गया। मगर अनया को फर्क नहीं पड़ा। और यही बात अरणव को चुभ गई।


हर दिन उनके बीच टकराव बढ़ता रहा।

कभी प्रेजेंटेशन में बहस, तो कभी कॉफ़ी में मीठा ज़्यादा।


“Is this how you work? कॉफ़ी तक ठीक से नहीं बना सकती?” अरणव ने एक दिन गुस्से में कहा।


अनाया ने मुस्कुरा कर जवाब दिया — “मीठा ज़्यादा है तो ज़रा मुस्कराइए सर… हर वक़्त खट्टे क्यों बने रहते हैं?”अरे!नही..कड़वे😉


स्टाफ तो दबी हँसी रोक न सका, मगर अरणव की आँखों में कुछ और चमक उठा था — इरीटेशन से कुछ अलग।


दिन बीते। और फिर आया एक टर्निंग पॉइंट।


कंपनी की ओर से पहाड़ियों पर तीन दिन का बिज़नेस रिट्रीट रखा गया था। रिसॉर्ट पहुँचे तो पता चला कि एक ही एक्ज़ीक्यूटिव सुइट बचा है।


“आप CEO हैं, आप रहिए… मैं लॉबी में सो जाऊँगी,” अनया ने ठंडी आवाज़ में कहा।

इतना ड्रामा मत करो। सुइट बड़ा है। एक कोना तुम्हारा, एक मेरा।” उसने बिना देखे जवाब दिया। अनाया का मुंह बन गया।

"सडू!"

**

अगले दिन ट्रैकिंग में अनाया का पैर फिसल गया।


अरणव, जो अब तक उसकी किसी बात पर ध्यान नहीं देता था, उसे चुपचाप गोद में उठा लाया।अनया का दिल धड़क उठा।उसके इस तरह सबके सामने उठाने पर।उसके गाल लाल हो गए।


“वाह… Mr. नो इमोशन ने आज इंसानियत दिखा दी,” अनाया ने फुसफुसा कर कहा।उसने कुछ नही कहा,बस सामने देख कर आगे बड़ गया। अनाया मुस्कुराई।

"वैसे मैं भारी हु क्या?"😉

“तुम्हारे तानो से ज़्यादा भारी नहीं हो तुम,” अरणव ने पहली बार बिना तंज के मुस्कराया। अनाया ने उसके कंधे पर सर रख लिया। इस वक्त दोनो एक दम शांत थे। एक परफेक्ट कपल ।


**

रात को कैम्पफायर के पास दोनों अकेले बैठे।


“आप इतने सख़्त क्यों रहते हैं?” अनया ने धीमे से पूछा।

कुछ देर सामने सें कोई जवाब नही आया तो वो उठने लगी,पर अर्णव ने उसका हाथ पकड़ लिया।


“क्योंकि भरोसा करना सीखा... और हर बार धोखा मिला। अब किसी से लगाव नहीं होता,” अरणव की आवाज़ टूट रही थी।उसने सामने देखते हुए कहा।


“मैं आपके अतीत की सज़ा क्यों भुगतूं? 

मैं वो नहीं जिन्होंने आपको तोड़ा,” उसने नज़रों में आँखें डालकर कहा। अनाया ने अर्णव के हाथ पर अपना हाथ रख दिया।


अरणव चुप हो गया।उसने कुछ नही कहा।


अगले हफ्ते ऑफिस में नया मोड़ आया। अनया का कॉलेज फ्रेंड ‘राहुल’ उससे मिलने आया। वो खुलकर बातें कर रहे थे, जब अरणव ने दूर से देखा।अर्णव को ये पसंद नही आया।


“तुम अपने पर्सनल फ्रेंड्स को मेरे ऑफिस में घूमने क्यों दे रही हो?” उसका लहज़ा ज्वालामुखी जैसा था।


अनाया मुस्कुराई, “ओह, तो अब मैं आपकी प्राइवेट प्रॉपर्टी हो गई हूँ?”


अरणव की आँखों में कुछ बदल गया। एक पल में वो उसके पास आया और कहा —


“काश तुम समझ पातीं कि तुम मेरे लिए क्या हो…”उसका दिल तेजी से धड़कने लगा।


अनाया कुछ पल चुप रही, फिर धीमे से बोली, “तो फिर डर क्यों रहे हो?”


“क्योंकि मुझे डर है… तुम भी चली जाओगी… जैसे बाकी सब गए…”

इस वाक्य के बाद दोनो एक दूसरे को देखने से बचने लगे।

ना जाने क्यों पर ये सब बातें, बहुत अलग थी अर्णव के लिए।

**

पर.........

एक दिन कंपनी के इन्वेस्टमेंट अकाउंट में घोटाला सामने आया, और बिना जाँच के शक की सुई अनाया पर जा पड़ी।


“तुम भी सबकी तरह निकलीं!” अरणव ने सामने खड़े होकर कहा।अर्णव के शब्द दिल चीरने वाले थे।


अनाया की आँखों में आँसू थे — “जिस इंसान पर सबसे ज़्यादा भरोसा किया, उसी ने मुझ पर यक़ीन नहीं किया…”

वो उसके ऑफिस से बाहर निकल आई।

अर्णव चुपचाप खड़ा उसे देखता रहा।उसका दिल बहुत दर्द कर रहा था।कुछ तो बदला था,उनके बीच,कुछ अनकहा सा।


कई घंटों बाद सच्चाई सामने आई — असली दोषी कोई और था।


अरणव का दिल भर आया।वो उसके केबिन में जा पहुंचा।

 उसने  अनाया का हाथ थामा।


“मुझे माफ़ कर दो। मैं... मैं बस तुम्हें खोने से डरता था…”उसका गला भर आया।


“अबकी बार मेरा हाथ छोड़ो तो कहना…” अनाया ने आँसू पोछते हुए कहा, “वरना इस बार कॉफ़ी में सिर्फ़ चीनी नहीं, थोड़ा नमक भी डाल दूँगी।”


अरणव हँस पड़ा। वो हँसी जो सालों से खो गई थी।

"बिलकुल!"अर्णव ने उसके आंसू अपने अंगूठे से साफ करें और उसके सिर पर अपने हॉट रख दिए, अनाया ने उसके सीने से अपना गाल चिपला लिया।

**


कुछ हफ़्तों बाद एक मीटिंग में—


“इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी अनाया के पास है,” अरणव ने सबके सामने कहा। “और मुझे इन पर पूरा भरोसा है।”


अनाया ने हल्के से मुस्कराते हुए कहा, “वाह! बॉस ने आखिरकार अपनी असिस्टेंट को बॉस मान ही लिया।”यें बात उसने फुसफुसाकर कही।


“अब तुम मेरी असिस्टेंट नहीं… मेरी पार्टनर हो — काम में भी, और ज़िंदगी में भी,” अरणव ने धीमे से कहा। अनाया मुस्कुरा दी।


सारी कंपनी तालियाँ बजा रही थी, और एक अधूरी सी कहानी… अब पूरी हो चुकी थी।


"शब्दों से लड़ती रही थी वो उससे…

पर क्या पता था, एक दिन वही उसे

बिना कुछ कहे… अपनी साँसों से बाँध लेगा।"

©दीक्षा 

– समाप्त –




आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे, जरूर बताएं!


आपकी लेखिका

~Diksha मिस कहानी 






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