आवाज़ जो बस... मेरी थी" –~~ Diksha mis kahani
आवाज़ जो बस... मेरी थी" –~~ Diksha mis kahani
एपिसोड 1: रेडियो पर बसी आवाज़
"और अंत में सिर्फ इतना कहूँगी... मोहब्बत, अगर सच्ची हो, तो आवाज़ भी किसी की धड़कन बन जाती है।"
रेडियो पर रात के 11 बज चुके थे। 'शब की शायरी' कार्यक्रम में आज भी वही आवाज़ गूंज रही थी – नर्म, गहराई से भरी, और दिल को छू लेने वाली।
कानों में हेडफोन लगाए, अंधेरे कमरे में अकेला बैठा था विवान मल्होत्रा — एक मशहूर पियानो आर्टिस्ट, जिसने कई महफ़िलों में रोशनी बाँटी थी… लेकिन आज, खुद अंधकार में जी रहा था।
विवान कुछ महीनों पहले एक हादसे में अपनी आँखों की रोशनी खो चुका था। पर उसकी रातें अब भी रोशन थीं — उस आवाज़ से जो रेडियो पर हर रात उससे बातें करती थी।मोहब्बत को देखने के लिए आंखें नहीं, एक सच्चा दिल चाहिए...", वह बोली।
उसने मुस्कुराकर जवाब दिया – खुद से, उस आवाज़ से, जो कभी उसकी नहीं थी, फिर भी सिर्फ उसकी लगती थी।
वह नाम नहीं जानता था उस रेडियो जॉकी का, पर हर शब्द में, हर ठहराव में, उसे बस वही मिलती थी — सुकून, जैसे रूह तक पहुँचती हो।✨
वह हर रोज़ 11 बजे अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लेता था... और रेडियो ऑन कर देता था —
क्योंकि उस वक्त वह अंधा नहीं होता था... वह इश्क़ में होता था।
लेकिन उसे नहीं पता था… जिस आवाज़ से वह मोहब्बत कर बैठा है, वह असल में कितनी पास है, और कितनी दूर।आवाज़ जो बस मेरी थी" – Diksha mis kahani
(एपिसोड 2 के लिए तैयार?)
आगे के एपिसोड्स के लिए मुझे फॉलो करे😌
नोट:~ये कहानी 7 अध्याय की है,तो मैं इसको सीरीज में डाल रही हु।में इस प्लेटफॉर्म पर नई हूं,तो मुझेसे समझने में गलती हो गई, मेरी त्रुटि के लिए मुझे माफ करे!
इसके आगे के अध्याय सीरीज में दिखेंगे,
एडिटर अप्रूवल में समय लगेगा,तो अध्याय 2 आने में देर हो सकती है!

