करामाती बाबा
करामाती बाबा
रमेश की अचानक मौत के बाद सीमा पर तो जैसे मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ा। रमेश और सीमा की शादी को अभी एक साल भी नहीं हुआ था,अचानक एक दिन फैक्ट्री में काम करते समय करंट लग जाने से रमेश की मौत हो गई। रमेश की मौत के बाद सीमा बिल्कुल अकेली पड़ गयी। कुछ दिनों तक तो रमेश के घर वालों ने सीमा की मदद की लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिए। रमेश के परिजन और पड़ोसी रमेश की मौत का जिम्मेदार सीमा की ही मानते थे। लोगों का मानना था कि सीमा मनहूस है। शादी के पहले रमेश बहुत खुश था, लेकिन सीमा से शादी के बाद वो परेशान रहने लगा था। लोगों के ताने सुन- सुनकर अब सीमा भी तंग आ चुकी थी। आर्थिक तंगी के चलते सीमा को गुजर- बसर में भी दिक्कतें हो रही थीं,लिहाजा सीमा ने उसी फैक्ट्री में काम करने का निश्चय किया जहां पहले रमेश काम करता था। अगले दिन सुबह सीमा फैक्ट्री पहुंच गई और वहां मैनेजर से मिलकर सारी बात बताई। सीमा के हालात पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए मैनेजर ने उसे नौकरी पर रख लिया।अब सीमा रोज फैक्ट्री में जाकर मन लगाकर काम करने लगी।धीरे-धीरे समय बीतता गया। सीमा को फैक्ट्री में काम करते हुए दो साल बीत गए।अब सीमा को खाने-पीने की कोई तंगी नहीं थी। फिर भी रमेश के जाने के बाद सीमा अक्सर बुझी-बुझी सी रहती थी। रोज की तरह सीमा उस दिन भी फैक्ट्री से वापस घर जा रही थी। अभी सीमा फैक्ट्री से कुछ ही दूर आगे पहुंची थी,उसने देखा सड़क के किनारे बैठा एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति उसे इशारे करके बुला रहा है। सीमा ने सोचा शायद वो किसी परेशानी में हैं इसलिए वह उसकी मदद के लिए उसके पास चली गई, और बोली क्या बात है बाबा,आपने मुझे क्यों बुलाया ? सीमा की बात सुनकर वह अजनबी बोला, बेटी शायद तुम मुझे नही जानती, मैं करामाती बाबा हूं। लोगों को मुसीबतों से छुटकारा दिलाना मेरा काम है, मेरा कोई निश्चित नहीं धाम है। बेटी इस दुनिया में हर कोई अपने और अपनों के लिए जीता है। लेकिन मैंने अपना जीवन दूसरों की भलाई के लिए समर्पित कर दिया है। अपनी कठोर तप साधना के बल पर मैंने जो सिद्धियां हासिल की हैं उनसे मैं लोगों का भला करता हूं। मैं इंसान का चेहरा देखकर उसके दुःख-तकलीफ को जान लेता हूं। उस अजनबी की बातें सुनकर सीमा ने दोनों हाथ जोड़कर उसे प्रणाम किया।उसे लगा कि आज उसे किसी दिव्यपुरुष के दर्शन हो गए। सीमा मन ही मन खुश हो रही थी, क्योंकि काफी लम्बे समय से सीमा एक के बाद एक नई परेशानियों से जूझ रही थी। सीमा ने अजनबी के आगे अपने हाथ जोड़ते हुए कहा बाबा मेरे लिए क्या आदेश है ? सीमा की बात सुनते ही अजनबी बाबा बोला, बेटी तुम पर एक बहुत बुरी आत्मा का साया है, इसीलिए तुम्हारे घर-परिवार में बरकत नहीं हो रही है। घर में अक्सर कोई न कोई परेशानी बनी रहती हैं। खुशियां तुम्हारे घर से बहुत दूर जा चुकी हैं। इस मुसीबत को जितना जल्दी हो सके अपने से दूर करो नही तो अनर्थ हो जाएगा।अजनबी बाबा के इतना कहते ही भोली-भाली सीमा बहुत डर गयी और बोली, बाबा अब मैं क्या करूं ? सीमा के इतना कहते ही अजनबी बाबा बोला घबराओ नही बेटी , मेरे पास हर समस्या का समाधान है। ये तो कुछ नहीं, मैंने अपनी तप- साधना से इससे भी बड़ी आत्माओं का साया उतारा है। तुम कहो तो आज ही इसे उतार दूं। अजनबी बाबा के इतना कहते ही सीमा उसके आगे नतमस्तक हो गई और बोली, बाबा किसी भी तरह मुझे इस मुसीबत से छुटकारा दिलाओ। अजनबी बोला, ठीक है बेटी मैं आज ही तुम्हें इस बला से मुक्ति दिलाता हूं। लेकिन इसके लिए मुझे तुम्हारे घर के आंगन में अनुष्ठान करना होगा और तुम्हें इस अनुष्ठान के लिए इक्कीस हजार का चढ़ावा चढ़ाना पड़ेगा।भोली भाली सीमा उस अजनबी के झांसे में आ गयी और उसे अपने घर की ओर लेकर चल दी। सीमा जब घर पहुंची उस समय घर में कोई नही था। सीमा ने अजनबी बाबा को ठंडा पानी पिलाया और पूछा, बाबा अब मुझे क्या करना होगा ? बाबा ने घर के आंगन में एक सफेद चादर बिछवाई और अपने झोले से एक बड़ा-सा दिया निकालकर उसे चादर के बीचों-बीच में रखकर उसमें लोबान सुलगा दिया। लोबान सुलगाने के बाद अजनबी बाबा दिए के एक और बैठ गया तथा दूसरी ओर सीमा को बिठाकर जोर-जोर से मंत्र पढ़ने लगा। थोड़ी देर बाद उसने सीमा से उसके सारे गहने और चढ़ावे के इक्कीस हजार रुपए लाने को कहा। कुछ ही पल में सीमा ने अलमारी से गहने और रूपए निकाल कर बाबा के सामने रख दिया। सीमा के गहने और रूपए रखते ही बाबा ने अपनी पोटली से एक कागज की पुड़िया निकाली और उसे सीमा के हाथ में रखते हुए बोला, बेटी तुम मेरे साथ-साथ मंत्र का उच्चारण करती रहो और लोबान पर पुड़िया से थोड़ा-थोड़ा भभूत डालती रहो। सीमा ने ठीक वैसा ही किया। थोड़ी ही देर में चारों ओर धुंआ ही धुंआ फैल गया और सीमा बेहोश होकर गिर गई। इतने में अजनबी बाबा, सीमा के सारे गहने और रूपए लेकर फरार हो गया। करीब एक घंटे बाद जब सीमा को होश आया तो उसे अपने चारों ओर धुंआ ही धुंआ दिखा। उसे कुछ भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था, उसे चक्कर आ रहा था, वह उठ कर ठीक से बैठ भी नही पा रही थी। किसी तरह उठकर उसने मुंह धुला और अपने आस- पास देखने लगी उसे अब भी बहुत साफ नहीं दिख रहा था। जब उसे अपने पास रखे गहने, रूपए और वह अजनबी नहीं
दिखा तो उसे समझते देर नहीं लगी कि आज वह ठगी का शिकार हो गयी। सीमा सुध-बुध खो कर जोर- जोर से चिल्लाने लगी। उसकी चीख-पुकार सुनकर आस-पास के लोग वहां इकट्ठा हो गए। सीमा ने सबको आपबीती सुनाई। सीमा की आपबीती सुनकर सब हक्का- बक्का रह गये।पर अब हो भी क्या सकता था, करामाती बाबा तो अपनी करामात दिखा चुका था।
