Sunil Kumar

Children Stories Inspirational

4.7  

Sunil Kumar

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हिंदी की महिमा

हिंदी की महिमा

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गांव के सरकारी स्कूल से हाई स्कूल की परीक्षा पास करके अजय आगे की पढ़ाई के लिए अपने चाचा के साथ शहर आ गया था। अजय के चाचा रमेश कानपुर शहर के नगर पालिका कार्यालय में बाबू की नौकरी करते थे। गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई का माध्यम हिंदी था इसलिए अजय की हिंदी बहुत अच्छी थी, लेकिन अंग्रेजी विषय पर उसकी पकड़ कम थी। पढ़ाई-लिखाई में अजय की रुचि देख उसके चाचा रमेश बाबू ने अजय का एडमिशन शहर के सबसे नामी इण्टर कालेज में करवाया था। इस कालेज में शहर के संपन्न परिवारों के बच्चे पढ़ते थे। स्कूल के अधिकांश बच्चे अंग्रेजी में ही बातचीत करते थे। ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े अजय को अंग्रेजी में बातचीत करने में थोड़ी दिक्कत महसूस होती थी,फिर भी अजय सभी बच्चों से अंग्रेजी में बातचीत करने का भरसक प्रयास करता था। अजय की टूटी-फूटी अंग्रेजी के चलते उसकी कक्षा के सहपाठी अक्सर उसका मजाक उड़ाते थे। अजय को यह बात बहुत अखरती थी।

अजय ने जब यह बात अपने चाचा को बताई तो उन्होंने अजय को घर पर अंग्रेजी पढ़ाना शुरू किया। अपने चाचा के मार्गदर्शन और अपनी लगन की बदौलत अजय ने कुछ ही दिनों में अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ बना ली।अब अजय भी अपने सहपाठियों से अंग्रेजी में बेझिझक बातें करता था। धीरे-धीरे समय बीतता गया अजय अब अपने सहपाठियों से अच्छी तरह घुल मिल गया था। 

एक दिन जब सभी बच्चे अपनी क्लास में पढ़ाई कर रहे थे तभी उनकी क्लास में कालेज के प्रधानाचार्य का आगमन हुआ। कक्षा के सभी बच्चों ने बड़ी गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। प्रधानाध्यापक महोदय ने सभी का अभिवादन स्वीकार करते हुए उन्हें बैठने का निर्देश दिया और आगामी 14 सितंबर को हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले हिंदी महोत्सव की जानकारी दी। हिंदी महोत्सव के दौरान कालेज में हिंदी विषय पर निबंध लेखन, स्लोगन, श्रुतलेख लेखन, भाषण आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन होना था। प्रधानाध्यापक महोदय द्वारा हिंदी महोत्सव की जानकारी पाकर अजय की खुशी का कोई ठिकाना न था।उसे पूरा विश्वास था कि वह इस प्रतियोगिता में जरूर सफल होगा।

चौदह सितंबर के दिन सभी बच्चे प्रार्थना सभा के बाद कालेज सभागार में उपस्थित हुए। मंच पर काले के प्रधानाध्यापक के साथ जनपद के जिला अधिकारी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति मंचासीन थे। मुख्य अतिथि के स्वागत व अनुमति के पश्चात आयोजकों ने प्रतिभागियों को प्रतियोगिता के नियमों की जानकारी दी और इसके बाद क्रमानुसार एक के बाद एक कई लगभग एक दर्जन प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। इस दौरान मंचासीन गणमान्य व्यक्तियों ने उपस्थित प्रतिभागियों को हिंदी की महत्ता के बारे में जानकारी भी दी। प्रतियोगिता समापन के कुछ ही देर बाद आयोजक मंडल द्वारा मंचासीन अधिकारियों के समक्ष प्रतियोगिताओं का परिणाम रखा गया। निर्णायक मंडल द्वारा आपसी विचार-विमर्श के पश्चात मंच से विजेताओं के नाम की घोषणा की गई। हिंदी महोत्सव के अंतर्गत आयोजित प्रतियोगिताओं में अजय को सर्वोच्च स्थान मिलने पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला अधिकारी महोदय द्वारा अजय को मंच पर सम्मानित किया गया। अजय के सम्मानित होते ही सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। विद्यालय में अक्सर अजय का मजाक उड़ाने वाले उसके सहपाठियों ने अजय को गले लगाकर बधाई दी,और अपनी गलती के लिए उससे क्षमा मांगी। अजय ने अपने साथियों को गले लगाकर मातृभाषा हिंदी के मान- सम्मान का प्रण लिया। अजय ने अपने साथियों से वादा लिया कि अगले साल आप सभी हिंदी महोत्सव के विजेता बनेंगे,इसके लिए हम सब एकजुट होकर अभी से प्रयास करेंगे और मातृभाषा हिंदी को राष्ट्रभाषा हिंदी का सम्मान दिलाएंगे। अजय की बातें सुनकर अजय के गुरुजनों ने अजय की उन्मुक्त कंठ से प्रशंसा की और उसे शुभाशीष प्रदान किया।


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