Sunil Kumar

Inspirational

2.3  

Sunil Kumar

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हिंदी की महिमा

हिंदी की महिमा

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गांव के सरकारी स्कूल से हाई स्कूल की परीक्षा पास करने के बाद अजय आगे की पढ़ाई के लिए अपने चाचा के साथ कानपुर आ गया था। अजय के चाचा रामबाबू कानपुर शहर में स्थित कपड़ा मील में बाबू की नौकरी करते थे। गांव के स्कूल में पढ़ाई का माध्यम हिंदी था इसलिए अजय की हिंदी बहुत अच्छी थी, लेकिन अंग्रेजी विषय पर उसकी पकड़ कम थी। पढ़ाई-लिखाई में अजय की रुचि देखकर उसके चाचा रामबाबू ने अजय का एडमिशन शहर के एक प्रसिद्ध इण्टर कालेज में करवा दिया था। इस कालेज में शहर के संपन्न परिवारों के बच्चे पढ़ते थे। स्कूल के अधिकांश बच्चे अंग्रेजी में ही बातचीत करते थे। ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े अजय को अंग्रेजी में बातचीत करने में थोड़ी दिक्कत महसूस होती थी, फिर भी अजय सभी बच्चों से अंग्रेजी में बातचीत करने का भरसक प्रयास करता था। अजय की टूटी-फूटी अंग्रेजी के चलते उसके सहपाठी अक्सर उसका मजाक उड़ाते थे। अजय को यह बात बहुत अखरती थी। अजय ने जब यह बात अपने चाचा रामबाबू को बताई तो उन्होंने अजय को घर पर अंग्रेजी पढ़ाना शुरू किया। अपने चाचा के मार्गदर्शन और अपनी लगन की बदौलत अजय ने कुछ ही दिनों में अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ बना ली। अब अजय भी अपने सहपाठियों से अंग्रेजी में बेझिझक बातें करता था। धीरे-धीरे समय बीतता गया अजय अब अपने सहपाठियों से अच्छी तरह घुल मिल गया था। एक दिन जब सभी बच्चे अपनी कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे तभी उनकी कक्षा में कालेज के प्रधानाचार्य का आगमन हुआ। कक्षा के सभी बच्चों ने बड़ी गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। प्रधानाचार्य महोदय ने सभी का अभिवादन स्वीकार करते हुए उन्हें बैठने का निर्देश दिया और आगामी 14 सितंबर को हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में कालेज में आयोजित होने वाले हिंदी महोत्सव के बारे में बताया। हिंदी महोत्सव के दौरान कालेज में हिंदी विषय पर निबंध, नारा लेखन, श्रुतलेख , भाषण आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन होना था। प्रधानाध्यापक महोदय द्वारा हिंदी महोत्सव की जानकारी पाकर अजय की खुशी का कोई ठिकाना न रहा। उसे पूरा विश्वास था कि वह इस प्रतियोगिता में जरूर सफल होगा।14 सितंबर के दिन सभी बच्चे प्रार्थना सभा के बाद कालेज सभागार में उपस्थित हुए। मंच पर प्रधानाचार्य महोदय के साथ जनपद के जिलाधिकारी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति मंचासीन थे। मुख्य अतिथि के स्वागत व अनुमति के बाद आयोजकों ने प्रतिभागियों को प्रतियोगिता के नियमों की जानकारी दी और इसके बाद एक के बाद एक प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। इस दौरान मंचासीन गणमान्य व्यक्तियों ने उपस्थित प्रतिभागियों को हिंदी की महत्ता के बारे में भी बताया। प्रतियोगिता समापन के कुछ ही देर बाद आयोजक मंडल द्वारा मंचासीन अधिकारियों के समक्ष प्रतियोगिताओं का परिणाम रखा गया। निर्णायक मंडल द्वारा आपसी विचार-विमर्श के बाद मंच से विजेताओं के नाम की घोषणा की गई। हिंदी महोत्सव के अंतर्गत आयोजित प्रतियोगिताओं में अजय को सर्वोच्च स्थान प्राप्त होने पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला अधिकारी महोदय द्वारा अजय को मंच पर सम्मानित किया गया। अजय के सम्मानित होते ही पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। विद्यालय में अक्सर अजय का मजाक उड़ाने वाले उसके साथियों ने अजय को गले लगाकर बधाई दी और अपनी गलती के लिए उससे क्षमा मांगी। अजय ने अपने साथियों को गले लगाकर मातृभाषा हिंदी के मान-सम्मान का प्रण लिया। अजय ने अपने साथियों से वादा लिया कि अगले साल वे सभी हिंदी महोत्सव के विजेता बनेंगे, इसके लिए हम सब अभी से एकजुट होकर प्रयास करेंगे और मातृभाषा हिंदी को राष्ट्रभाषा का सम्मान दिलाने में अपना योगदान देंगे। अजय की बातें सुनकर वहां उपस्थित गुरुजनों ने अजय की उन्मुक्त कंठ से प्रशंसा की और उसे शुभाशीष प्रदान किया।



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