Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Bhawna Kukreti

Drama

4.7  

Bhawna Kukreti

Drama

कोरोना लॉक डाउन-21

कोरोना लॉक डाउन-21

6 mins
219


ये जो चक्कर, दर्द का सिलसिला शुरू हुआ है वो आज इस हालत में ले आया है कि अब 2 मिनट भी न बैठ पा रही न खड़े ही हो पा रही। अब तो बस चित्त लेटे रहना है।


कल रात पानी पीने की लिए जैसे तैसे किचन में पहुंची की किसी की नींद खराब न हो। पर अचानक बीपी तेजी से नीचे चला गया। पानी के गिलास तक भी हाथ नही पहुंचा। बहुत कमजोरी और चक्कर लगने लगे। आवाज लगाम तक कि हिम्मत नही थी फिर भी किसी तरह किचन से सबको आवाज देते-देते बेड पर आ कर गिर पड़ी, पास में बेटे को हिलाया पर फिर कब बेहोशी में चली गयी पता ही नही चला। सुबह होश आया तो पांव की उंगली से लेकर पूरे कमर में बर्दाशत के बाहर दर्द। जरा सा कोई छू भी दे रहा था तो जैसे प्राण निकल जाएंगे। मम्मी जी, बेटा सब घबरा गए। दोनों नही समझ पा रहे थे कि कैसे क्या करें कि दर्द कम हो।


बेटे ने भाग कर इनको फोन लगाया। इन्होंने सहारनपुर से ही आनन फानन में डॉक्टरस को कॉल किया, डर गए थे क्योंकि एक बार हॉस्पिटल में ही पहले बीपी थोड़ा लो हो रहा होगा इस गफलत में मेरी पल्स 30 तक चली गईं थीं । तब डॉक्टर्स ने इंजेक्शन दे कर मैनेज किया था। इन्होंने डॉक्टर सिंघल जी को कॉल किया वे ऑपरेशन थिएटर में थे,फिर डॉक्टर जोशी जी को फोन किया, वे बोले घर की बात थी, पहले क्यों नहीं बताया। फटाफट वाशु भैया (नवीन जी के विश्वसनीय और पूर्व स्टाफ़) उनसे दवा और बैक बेल्ट ले कर आये। भैया ने दूर से ही प्रणाम किया,कुछ खाया पिया भी नहीं कि कोरोना को लेकर एहतियात जरूरी है। बस दवा और बेल्ट देकर चले गए। वे तुरंत आ गए, ये भी बहुत बड़ी बात है। उसके बाद इन्होंने मुझसे बात की और भरोसा दिलाया कि घबराऊं नही अभी दर्द कम हो जाएगा। पता नही इनकी बात का असर था या हॉट वाटर बोटल और ऑइंटमेंट का, दर्द कुछ कम सा होने लगा। मगर अब भी खड़े नही हो पा रही न बैठ पा रही। जैसे ही कोशिश कर रही भयानक दर्द लौट आ रहा।


ससुराल से ननद जी का, गांव से छोटी चाची जी का फोन आया, वे समझ रहीं थी कि किस हद तक दर्द हो रहा है। क्योंकि वे भी इसी तरह एक बार इस स्थिति में आ चुकी थीं। मम्मी जी कोस रहीं थी कोरोना और लॉक डाउन को कि उसकी वजह से सही इलाज नही हो पा रहा, बेटा उनका आ भी नही पा रहा और वो कहीं जा नही सकती।


अभी पेन किलर का असर है, दर्द उतना भयानक नही महसूस हो रहा ।पर बेटा हर आधे घंटे में मेरे पैर पर ऑइंटमेंट लगा कर मालिश कर रहा है। मम्मी जी भी बार बार रूम में आ कर पूछ रहीं हैं। इनका भी सुबह से 5-6 बार फोन आ गया है। कल या परसों छुट्टी लेकर आ जाएंगे।


अभी हॉस्पिटल से स्टाफ आया था। घर पर ही ट्रेक्शन लगा दिया है। पेल्विक एरिया को नीचे पुश कर रहे हैं। नर्व को रिलैक्स देने के लिए।कह रहे थे दर्द में आराम आएगा।अब सिर्फ सीधा लेटना है।वाश रूम भी बहुत कम उसे करने को कहा है।ऑलमोस्ट जीरो मूवमेंट। ये अभी 5 -6 दिन तक लगा रहेगा। वेट के लिए दो ब्रिक्स लगीं है। कल एक और बढ़ेगी।सच किसी का बुरा तो किया ही होगा मैंने जाने अनजाने तभी तो ये सब झेल रही हूँ।


अनिता नेगी मैंम का मैसेज आया था कि कैसी हो, रुचि से बात हुई। कह रही थी सब अपने घरों में अपने परिवार के साथ पॉजिटिविटी में हैं और एक तरफ आप हो इतने कष्ट में। नवीन जोशी सर का भी मेसज था। उनको भी पीठ में दर्द का अनुभव है ।आराम करें कर रहे थे।

हां, आज हरिद्वार में RAF उतर गयी है,कोरोना को हराने और व्यवस्था बनाने के लिए । कल/परसों हमारी भी वन मैन, रैपिड एक्शन फोर्स यानि "नवीन जी " हमारे साथ होंगे,पास होंगे। हमारी भी स्तिथि संभलने लगेगी ।वो मुझे लेकर बहुत परेशान हो जाते हैं।उनसे मेरा कष्ट देखा नही जाता। मुझे महसूस हो रहा कि मैं उनकी उतनी कद्र नही करती जितनी वे मेरी करते हैं।उनके कहे पर अपनी मन मर्जी ही करती हूँ, और वो करने भी देते हैं कि मुझे खुशी मिलती है।सच में उनके लिए बहुत बुरी जीवनसाथी हूँ मैं।


पर इस कोरोना के लॉक डाउन, मेरे बेड रेस्ट और 21 days 21 experience राइटिंग ने, इस दौरान मुझे "सच" का अहसास कराय


जिंदगी में संतुष्टि और खुशी सिर्फ अपनों में, अपनों के साथ ही होती है, और अपने मुश्किल समय मे आपके साथ होते है, चाहे जिस भी तरह से हों,उनकी कद्र करनी चाहिए।"






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