Bhawna Kukreti

Drama

4.6  

Bhawna Kukreti

Drama

कोरोना लॉक डाउन-10 (आपबीती)

कोरोना लॉक डाउन-10 (आपबीती)

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दिल खुशी में झूम उठा है, सुबह देर से 7 बजे उठी मगर जब आंख खुली तो ..कैसे लिखूँ...बस मुँह से आवाज नही निकली और आंसू बहते चले गए। कुछ दर्द कितने अबोले होते है न ? बस बह जाते हैं।

मम्मी जी भी तरोताज़ा सी हो गयी हैं, मेरे कमरे में आकर सब देख कर गयीं है, हर कोने में डेटॉल भी डाला है,हँसते हुए कह रही थी "ए भावना क्या बनेगा? हम तो सोचे थे कि हम तीन ही हैं, आज दही चिवड़ा का नाश्ता होगा..। "मम्मी जी और मैं एक दूसरे को देख कर कुछ पल हँसते रहे । इन्होंने सरप्राइज दिया है !

अभी बेटा अपने पापा से नॉन स्टॉप दुनिया जहान की बाते बताए जा रहा है। पापा लैपटॉप पर अपना काम करते हुए उसे सुनते जा रहे हैं,"और बताओ","फिर क्या हुआ","अच्छा जी?!","क्या बात कर दी बॉस !","अरे तेरी","गजब" कहे जा रहे हैं, और वो चहकता हुआ बोलते जा रहा है। नई हॉउस हेल्प भी देख सुन कर मुस्कराए जा रही है।

टच वुड ! सच में मां "मुस्कराती " हुई याद आ गयी। मां ने इनको लेकर कहा था तब "मोती दान किये होंगे जो ऐसे जंवाई जी मिले "। हां मेरी माँ की इनके साथ खूब जमती थी। इनके साथ अपनी गंभीर बीमारी में भी हमेशा हंसती चहकती रहती थीं, दोनों जैसे एक जैसे हों, हँसना शुरू तो हँसते ही रहना। मेरे पापा, जिनसे बात करना,जिनको समझना किसी के बस का नही वे तक इनको सुनते हैं, इनसे अपना मन शेयर करते हैं,भाइयों को कुछ बात समझानी होती है इन्ही के थ्रू कहलवाते है।

हां, ये मेरे इस घर की खुशी हैं, मेरे घर का जीवन हैं, हम सब का आधार हैं। ईश्वर इनपर अपनी कृपा आशीष सदैव बनाये रखना।

अभी लेटे लेटे सुन रही हूँ, आगरा में कोरोना मरीजो की संख्या में एकाएक बढोतरी रिकॉर्ड की गई है, CMO ने पुष्टि की है, बेटा भाग कर आया है, माँ आपकी प्रिडिक्शन सही हो गयी,आप कह रहे थे न कि एकदम से देश के कोने-कोने से कोरोना पेशेंट की बाढ़ आने लगेगी, देखो शुरू हो गया !। मैं सोच रही हूँ ईश्वर बस ये जितनी तेजी से बढ़ रहे उससे सौ गुनी तेजी से रुक जाए खत्म हो जाय। उफ़्फ़, उन लोगों पर, उनके घर वालो पर इस वक्त क्या बीत रही होगी। सुना है कि अगर कुछ हो जाय तो आखिरी दर्शन भी नही होते !

आज मम्मी जी प्रसन्न हैं, स्वाभाविक है। आज कुछ स्पेशल बन रहा है। किचन से बार-बार आकर डायनिंग टेबल पर बैठ जाती हैं, एक नजर टी वी पर और एक नजर किचन पर है। हाँ, आज सुबह से टी वी चल रहा है, अभी कोई हंसी मजाक का सीरियल चल रहा है। संगीत भी वैसा ही है गुदगुदाता हुआ। हम भी कुछ एक साईट पर कोलैब करके आ गये हैं। पेज पर कुछ प्रोफाईल और कवर फ़ोटो में बदलाव कर आये हैं। एक नई FB हस्ती को फॉलो किया है। फिलहाल अब कोरोना को अभी कोई सुनना नही चाह रहा। ऐसा लग रहा है मानो आज पुराना वाला सन्डे है।

मम्मी जी अब बहुत थक गईं है,कह रही हैं ज्यादा देर खड़े रहने पर घुटना दर्द करने लगा है। बेटा फिर नाराज हो गया है। नीचे सब अपने पापा मम्मी के साथ बैडमिंटन खेल रहे हैं। और उसके पापा अभी भी अपने काम मे लगे हुए हैं।

वो किसी से बात नही कर रहा है।

मम्मी जी भी परेशां हो गयी है,ये चाय की फरमाइश में लगे हैं। कभी बेटा,कभी मम्मी जी बना के दे रही हैं। मम्मी जी बड़बड़ा रहीं है "दिनभर फोन बजता रहता है, हुँह!"। मैं सुन रही हूँ, लगभग सारे फोन कोरोना, प्रसाशन, रिपोर्टर्स, कॉरपोरेट ऑफिस, डेस्क, न्यूज़ एडिटर, संवाद सूत्र के चले आ रहे हैं। बीच ने लगातार कीबोर्ड की तेज रफ्तार टक टक भी अनवरत चली जा रही है। अब सिर्फ प्रिंट के लिए नहीं E-media के लिए भी ख़बरें भेजनी हैं, वीडियोस भी ।

अभी इन्होंने थोड़ा ब्रेक लिया है, टीवी पर कोई पंडित जी बता रहे कि वृष राशि की महिलाएं, अनुशासन प्रिय मां और धुन की पक्की होती हैं ये कह रहे हैं "एक दम सही",अब पंडित जी बोल रहे हैं कि वृष राशि के पुरुष अपनी पत्नी का आवश्यकता से अधिक बचाव करते हैं, अब मम्मी जी हंसते हुए बोली हैं "बिल्कुल सही कह रहे हैं ", बेटा कह रहा है कि यार आप लोग सुन ने नही दे रहे,मम्मी का आने वाला है। दोनों चुप हो गए हैं। पंडित जी कह रहे हैं कि मिथुन राशि की महिलाये विशेष प्रकृति की होती है उनमें एक महिला न होकर पांच महिलाएं होती है । बेटे को समझ नहीं आया है। वो पूछ रहा है पर दादी ने टोक दिया है "चुप हो कर सुनो क्या कह रहे हैं। " ये अंदर मेरे पास बैठने चले आये हैं। मुस्करा रहे हैं।मुझे लगा 'बाते करेंगे' पर क्या फायदा?!! अभी भी मोबाइल पर ऑफिस से जुड़े है। पंडित जी टी वी पर मिथुन राशि के लिए उटपटांग बोल रहे है,मम्मी जी हंसते हुएकह रही है "हां,हां ठीक ही कह रहे हैं,सुनती हो न भावनाss !!" ये मम्मी जी की बात सुन, मुझे देख मुस्करा रहे है। औऱ मैं चुप चाप अभी तुमसे मुखातिब हूँ। लगे रहें ये अपनी प्रियतमा 'मोबाइल' संग...किसे फर्क पड़ता है?!।

अभी सब साथ बैठे हंस बोल रहे हैं। बेटा भी वहीं बैठा है। आज मम्मी जी संध्या पूजा भूल गयी। तेजी से आईं हैं, माफ़ी मांग रही है। कह रहीं है "है भगवान माफ कर दीजिए, क्षमा क्षमा। बाबू लोगों पर रक्षा रखना दुर्गा मैया। " पूजा हो गयी है, बेटा कह रहा है कि आज आपने द्वार के बाहर कपूर नही जलाया। वो कहते कहते रुक गयीं "अंदर जलाए है, चलने पर घुटना..दरवाजा बंद है कोई बात नही। " आज मम्मी जी बहुत देर किचन में खड़ी थीं । आज बहुत कुछ बना रही है, खुश्बू भी बहुत अच्छी आ रही है पर कष्ट भी तो हो रहा उनको।

सच मे दुनिया मे एक सिर्फ माँ ही होती है जिसे हरपल अपने बच्चों की फिक्र होती है।

रात के 11:23 हो रहे हैं, फिर कोरोना से सम्बन्धित कोई जरूरी खबर आ गयी है। किसी पुलिस अधिकारी का फोन आया है। अब इनका दूसरा फोन भी बजने लगा है। ये वापस काम पर हैं। शायद कॉरपोरेट ऑफिस में डेस्क पर बात ही रही है, अब इनके रूम में जाना मना हो गया है।

बेटा इनकी राह देखता सो गया है, मम्मी जी भी सो गई हैं। मैं मोबाइल नोट पर ये डायरी लिख रही हूँ। ये स्पीकर पर अभी भी किसी को 1 मिनट का वीडियो लेने के लिए कह रहे हैं। आवाज में थकावट सुनाई दे रही है। रूम से टक टक की आवाज आ रही है।

इस लॉक डाउन में कोरोना ने दिन ही नहीं आज हमारी रात भी लॉक डाउन कर दी है।


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