कोरोना को हराना है
कोरोना को हराना है
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
![](https://cdn.storymirror.com/static/1pximage.jpeg)
संकट के समय मनुष्य ईश्वर (अपने - अपने धर्मों के ईष्ट या आराध्य ) के शरण में जाता है किन्तु इस कोरोना महामारी के कारण सब उल्टा हो गया. इस वाइरस का कहर ऐसा है कि सभी शक्तिशाली। अभिमानी और प्रकृति पर अपना अधिकार या अधिपत्य जताने वाले व्यक्ति। देश और धर्म सब निर्जीव से हो गया हैं. मक्का से लेकर वाटिकन सिटी। बुद्ध गया मंदिर। शिरडी। सिद्धविनायक सर्वत्र सन्नाटा पसरा हुआ है। यह इस बात का प्रतीक है कि मनुष्य जाति के सामने आने वाले संकट के समय ईश्वर भी असहाय और अनुपयोगी हो जाता है. दुनिया के शक्तिशाली देशों को विश्वयुद्ध के समय भी कभी इतना लचर होते हुआ नहीं देखन गया जितना इस महामारी के समय देखा जा रहा है
चन्द्रमा और मंगल गृह पर अपने पैर रखने वाले अमेरिका जैसे देशों ने अपने यहाँ आपदा और आपातकाल जैसी स्थिति घोषित कर दी है। एक समय सारी दुनिया पर अपना राज स्थापित कर लेने वाले ग्रेट ब्रिटेन ने स्वयं के पूरी तरह बंद कर लिया है। मक्का में सब कुछ बंद है। पोप का ईश्वर से संवाद समाप्त हो गया है। पुजारी मूर्तियों को मास्क लगा कर कर्म काण्ड कर रहें हैं। धर्म के सभी केंद्रों में भीड़ रुक गई है तो कैसा ईश्वर और क्यों उसकी महत्ता या सत्ता संकट के समय मनुष्य भगवन के शरण में जाता है प्रकृति द्वारा मानव के अहंकार और उसके देवो का यह पराभव नहीं तो क्या किसी भी धर्म की कोई भी शक्ति मानवता को बचने के लिये आगे नहीं आ रहे है ।सभी धर्मों के ठेकेदारों ने मानव जाति को कोरोना वाइरस से भयभीत होने के लिये असहाय अवस्था में बेसहारा छोड़ दिया है। ये वही धर्म हैं जिसके लिया दुनिया भर में सदियों से भीषण संघर्ष होते रहे है। आज भी हो रहे है और आगे भी होते रहेंगे। ईश्वर लोगों से दूर हो गया है येशु ने कोई चमत्कार नहीं किया। मक्का मदीने ने भी अपने ईमान वाले बन्दों को आसहाय छोड़ दिया है. आज अंततः मनुष्य साइसन्स और वैद्यकीय ज्ञान की शक्ति से हे इस कोरोना नमक महामारी से संघर्ष कर रहा है मनुष्य सक्षम है समर्थ है किन्तु प्रकृति के सामने विवश भी है। यह भी इतिहास से सिद्ध है कि मनुष्य ने अपनी विवशता से सीख कर सबक ले कर हमेशा आगे बढ़ने का सार्थक प्रयास किया है और सफल हुआ है यह वाइरस हमें धर्मान्धता से मुक्त हो कर मनुष्यता के लिया सजग रहने का पाठ पढ़ाता है। आज हमें विज्ञ मनुष्य सक्छम है समर्थ है किन्तु प्रकृति के सामने विवश भी है। यह भी इतिहास से सिद्ध है कि मनुष्य ने अपनी विवशता से सीख कर सबक ले कर हमेशा आगे बढ़ने का सार्थक प्रयास किया है और सफल हुआ है यह वाइरस हमें धर्मान्धता से मुक्त हो कर मनुष्यता के लिया सजग रहने का पाठ पढ़ाता है। आज हमें विज्ञ मनुष्य सक्छम है समर्थ है किन्तु प्रकृति के सामने विवश भी है। यह भी इतिहास से सिद्ध है कि मनुष्य ने अपनी विवशता से सीख कर सबक ले कर हमेशा आगे बढ़ने का सार्थक प्रयास किया है और सफल हुआ है यह वाइरस हमें धर्मान्धता से मुक्त हो कर मनुष्यता के लिया सजग रहने का पाठ पढ़ाता है। आज हमें विज्ञान वादी संतो की आश्यकता है जो मनुष्य को धर्मान्धता से बहार निकल कर धर्म के उस रस्ते पर अग्रसर कर सके जो विज्ञान सम्मत हो यह वाइरस धर्म के आडम्बरों को समाप्त करने में सहायक होगा ऐसा मेरा मानना है। प्रकृति के साथ सामंजस्य बना कर रहने का मार्ग दिखायेगा। दुनिया के विभिन्न भागो में रहने वाली भिन्न - भिन्न प्रकार के मनुष्यों का मानव धर्म एक है उनका रहन सहन अलग हो सकता है । भाषा अलग हो सकती है। खान - पान अलग हो सकता है। उनके रीति रिवाज अलग हो सकते हैं। उनके जीवन संघर्ष अलग हो सकते हैं किन्तु उनके मानवीय धर्म एक ही है जिसे हम सनातन कहते हैं । सनातन अर्थात जन्म से विज्ञान ने उसे आगे बढ़ाने की कला सिखाई है। चिकित्सा सिखाई है और एक समाज के रूप में रहना सिखाया है।
अज्ञानता ने कभी भी मानवता को विनाश की ओर नहींं धकेला है। किन्तु ज्ञान के भ्रम ने ही मनुष्य जाती को हमेशा से और प्रत्येक कालखण्ड में तथा प्रत्येक परिस्थिती में भी ज्ञान अज्ञान तथा ज्ञान के भ्रम के बीच भागते दौड़ते मनुष्य के लिया इतिहास सदा ही प्रेरणादयी रहा है। इसी इतिहास से सीख कर मनुष्य ने अपने आगे बढ़ने के क्रम को सदियों से जारी रखा है और आगे भी रखेगा ही यह मेरा सजग और सरल विश्वाश है. इतिहास इस बात का भी साक्षी रहा है कि समय - समय पर मनुष्य जाति के सामने विषम परिस्थितियां उपस्थित होती रही हैं जिसका सामना मनुष्य ने हमेशा एकजुट होकर करता आया है।
वर्तमान का संकट देश काल जाति और धर्म की सीमाओं से परे है। इस कारण इन सब तुच्छ विचारों से बहार निकल कर एक हो कर एकजुट होकर एक उद्देश्य कि मनुष्यता को बचाना है के लिया अपनी पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ एक होकर कार्य करना है एकजुट रहना है प्रभावशाली बनना है । वह चैन तोड़नी है जिससे यह कोरोना वायरस एक महामारी के रूप में फैल सकता है। संकल्प लें यह हो सकता है, हो रहा है और हो कर रहेगा।