कोई ऐसी जगह जहां घूमने की जगह
कोई ऐसी जगह जहां घूमने की जगह
घूमना भला किसे अच्छा नहीं लगता? घुमक्कड़ी एक अलग ही तरह की ऊर्जा से भर देती है, आत्मविश्वास बढ़ता है,समस्याओं से निपटना आ जाता है।खुश होना क्या है,यह यात्रा करने से पता चलता है।तनाव छूमंतर हो जाता है।व्यावहारिक ज्ञान लेना है,तो यात्रा करनी चाहिए।
मेरी हमेशा से इच्छा रही स्पेन घूमने की। यूरोप की चकाचौंध से दूर,बहुमंजिला इमारतों और माल संस्कृति से दूर एक ऐसी जगह जहां शांति, सुकून,फुरसत और सुख के कुछ पल बिताए जा सकें।
मैंने पढ़ा था दुनिया के दस बेहतरीन कला संग्रहालयों में से एक द प्राडो मेड्रिड में है। 'द राइना सोफिया ' म्यूजियम के दरवाजे स्पेन की इसी राजधानी में खुलते हैं,और पिकासो का मास्टर पीस' द ग्वेर्निका' राइना सोफिया में ही है।
स्पेन की महारानी राइना सोफिया के नाम पर यहां आधुनिक कला को समर्पित संग्रहालय है। संग्रहालय देखने का जुनून मुझे बचपन से रहा।मैने पढ़ा था मेड्रिड शहर के प्रमुख स्टेशन अटोचा के ठीक सामने इसकी इमारत है। और राइना सोफिया शहर में गोल्डन ट्रायंगल का हिस्सा है। इस ट्रायंगल के बाकी दो स्तंभ द प्राडो और द थाइसन म्यूजियम, विश्वस्तरीय आकर्षण है जिन्हें देखने के लिए महंगे टिकट लेने पड़ते हैं।
अपनी कल्पना की आंखों से ही मैं स्पेन की सैर करने की कोशिश करती।पिछली छुट्टियों में मेरी मुराद पूरी हुई।पहुंच गए हम मेड्रिड!सूर्यास्त के समय ग्रीक टेंपल द देबोद का जादू देखने लगता है,पूरा शहर उमड़ पड़ा है।
वाह,आखिर नेविगेटर एक्सप्लोरर कोलंबस ने अपनी ' भारत की खोज 'इसी शहर से सन 1442 में शुरू की थी और खोज बैठा था अमेरिका।आज सेविल के विश्व धरोहर कैथेड्रल में वह अपने पुत्र डिएगो के साथ दफन है।
समुद्रतटों का लुत्फ उठाते हुए दिन बिताए और शाम गुजरी डाली थिएटर एंड म्यूजियम में।
इच्छाएं कभी ख़तम नहीं होती,एक लम्बी फेहरिस्त है, तमन्नाओं की ऐसी नायाब जगहों की जहां की सैर करना चाहती हूं।