Kunda Shamkuwar

Drama Others Abstract

4.3  

Kunda Shamkuwar

Drama Others Abstract

कोहरा

कोहरा

1 min
242


सर्द रात के बाद अलसुबह बिस्तर छोड़ना....मेरे लिए एक कठिन काम था....

अर्जेंट काम से कहीं बाहर जाना था तो सुबह सवेरे तैयार होकर मैं अपनी गाड़ी लेकर निकल पड़ी। लेकिन कुछ आगे जाकर कोहरे के कारण मुझे ड्राइविंग करना मुश्किल हो रहा था। एक तो भयंकर सर्दी और कोहरा....सर्द रात में सड़क किनारे फुटपाथ पर कुछ चिथड़े का बिछौना बना कर सोये लोग.......और उसके ऊपर यह 50 मीटर वाली विज़िबिलिटी !!

मैं कोहरे से परेशान हो रही थी। मुझे कोहरे के ऊपर गुस्सा आ रहा था। लेकिन कोहरा जो था बिल्कुल किसी जिद्दी बच्चे की तरह अपनी जिद से टस से मस नहीं हो रहा था। मैं कोहरे को कुछ उलटा सीधा भी कह नहीं पा रही थी। क्योंकि उसे लग रहा था कि कोहरे को गाली देना मतलब उस सूरज को गाली देना होगा......उस आसमाँ को गाली देना होगा....सर्द रात में सड़क किनारे फुटपाथ पर सोये लोगों को गाली देना होगा...थोड़ी देर पहले गद्देदार बेड पर सिग्नेचर ब्लैंकेट में सोने वाली मेरे जैसी लड़की क्या सर्द रात में उन फुटपाथ पर सोने वाले को गाली दे सकती है?

नहीं!! मैं किसी को भी कुछ कहने के क़ाबिल नहीं हूँ। 

न आसमाँ को .....

न सूरज को............

और न ही सर्द रातों में फुटपाथ पर चिथड़े बिछाकर सोने वाले उन लोगों को..........


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama