और यह देखो, नैना तो अपने आप को समेटते हुए उठकर जा भी चुकी है...और उसके पीछे पीछे जिम्मेदारी भी..। औ... और यह देखो, नैना तो अपने आप को समेटते हुए उठकर जा भी चुकी है...और उसके पीछे पीछे...
इतना अँधेरा ? इतना अकेलापन, मुझे इसकी आदत नहीं है। इतना अँधेरा ? इतना अकेलापन, मुझे इसकी आदत नहीं है।
मैं कोहरे से परेशान हो रही थी। मुझे कोहरे के ऊपर गुस्सा आ रहा था मैं कोहरे से परेशान हो रही थी। मुझे कोहरे के ऊपर गुस्सा आ रहा था
इतनी देर में लिफ्ट की रस्सी हिली, कोई चकरी सी घूमी और लिफ्ट धरातल पर आ कर रुक गयी इतनी देर में लिफ्ट की रस्सी हिली, कोई चकरी सी घूमी और लिफ्ट धरातल पर आ कर रुक गय...
यह बच्ची कोई और नहीं मेरी बच्ची ही थी। यह बच्ची कोई और नहीं मेरी बच्ची ही थी।
जैसे कविता लिखने का मन किया किताब उठाई और लिखना शुरू कर दिया जैसे कविता लिखने का मन किया किताब उठाई और लिखना शुरू कर दिया