कल
कल
नैना खुशमिजाज लड़की थी, वह किसी के भी साथ घुल मिल जाती थी। रोहित उसके कॉलेज का दोस्त।
नैना पढ़ाई - लिखाई मे थोड़ा कम ध्यान देती थी, और रोहित तेज था पढ़ने मे। वह अपनी पढ़ाई के साथ उसकी पढ़ाई का भी ध्यान रखता था।
नैना को क्रिकेट खेलने का शौक था, उसके दोस्त लड़किया कम और लड़के ज्यादा थे।
खेल - कूद मे दिलचस्पी के कारण वह बाहर वक़्त ज्यादा बिताती थी। घर देर से पहुंचने पर माँ की डांट भी खानी पडती थी, मगर रोहित उसे उसकी माँ के डांट से बचा लेता था। कोई ना कोई बहाना बनाकर।
नैना ने कभी सोचा नहीं था की उसे करना क्या है, वो बस कॉलेज की पढ़ाई और खेल - कूद मे ही मस्त मग्न रहती।
जब भी माँ या कोई पूछता- करना क्या है, तो वह कहती कॉलेज के बाद देखते है, ऐसा कहते कहते कॉलेज की पढ़ाई भी खत्म हो गयी, मगर वह यह निर्णय न ले पाई की उसे करना क्या है??
रोहित ने कॉलेज के बाद सरकारी कार्यालय मे नौकरी ढूंढ ली और करने लगा। नौकरी लगने के बाद उसे समय नही मिलता था की वो अपने कॉलेज के दोस्तों से मिले।
नैना को कोई अगर कुछ कहता करने को वो कल पर टाल देती, की कल करेंगे, आज एक साल हो गए लगभग मगर वह अभी भी ये ना सोच पाई की करना क्या है ? आज भी यही कहती है कल की कल देखेंगे।