।। परीक्षा का वो दिन।।
।। परीक्षा का वो दिन।।
महक और ग़ज़ल एक ही कॉलोनी में रहने वाली दोनों सहेलियां थी। जो एक ही कॉलेज में पढ़ती थी।
परीक्षाओं का दिन था, दोनों के कॉलेज भी एक ही थे तो दोनों एक साथ ही परीक्षा देने जाया करती थी। जिस दिन इतिहास की परीक्षा थी, उस दिन घर से निकलने में थोड़ी देर हो गई थी। देर तो हुई ही थी की उस दिन एक भी रिक्शा नहीं दिख रहा था, थोड़ी देर इंतजार के बाद एक रिक्शा आया, महक और ग़ज़ल ने पूछा भैया सिटी कॉलेज चलोगे, रिक्शा वाले ने बोला - हाँ , दोनों बैठ गयी।
कुछ दूर जाने के बाद महक और ग़ज़ल ने देखा की ये वो रास्ता नहीं है तो उन्होंने पूछा ये किस रास्ते ले जा रहे, ये रास्ता तो कॉलेज की तरफ जाता नहीं, ईधर से कोई रास्ता भी नहीं दिख कहा ले जा रहे आप, उस रास्ते में नया मकान बन रहा था, और थोड़ी दूर आगे सुनसान रास्ता आगे कोई दिख ही नहीं रहा था, रिक्शा वाले से पूछते -पूछते हम उस नये मकान के पास पहुंच गए थे, जहा मजदूर काम कर रहे थे, मजदूर हमारी आवाज़ सुनकर देखने लगे, तब रिक्शा वाले ने बोला - रास्ता नहीं पता, ये सुनकर दोनों ने रिक्शा वाले को बोलना शुरू कर दिया - रास्ता नहीं पता तो ले कहा जा रहे थे, एक तो हमारी परीक्षा है ऊपर से रास्ता नही पता तो इतनी दूर लाये क्यू?
फिर महक और ग़ज़ल ने कहा आप रिक्शा घुमाओ इधर से और जहा से बोल रहे वहा से ले चलो। फिर रिक्शा वाले ने रिक्शा घुमाया और फिर जहाँ से बोला दोनों ने ले जाने को वहा से लेकर गए तब जाकर वो दोनों कॉलेज पहुंची।