ककड़ी चोर गिरोह
ककड़ी चोर गिरोह
राजेश बहुत ही शरारती लड़का था। राजेश ने अपने जैसे तीन और शरारती दोस्तों के साथ मिलकर एक ग्रुप बनाया। इस ग्रुप का काम था, लोगों के खेतों में हुई ककड़ियों पर हाथ साफ करना। इसके लिए चारों सदस्यों को अलग-अलग काम बांटे गए थे। एक सदस्य का काम था, ककड़ी की खोज करने का, दूसरे सदस्य काम था ककड़ी चोरी करने के लिए उपयुक्त समय व माहौल तैयार करने का, सबसे महत्वपूर्ण काम था ककड़ी चोरी करने का, वह काम स्वयं राजेश किया करता था, जबकि चौथा सदस्य ककड़ी चोरी करते समय निगरानी का काम करता था। इस ग्रुप ने गाँव में इतनी ककड़ियां चोरी कि लोगों ने इस ग्रुप का नाम 'ककड़ी चोर गिरोह' ही रख दिया। यह गिरोह गाँव में पिछले दो साल से सक्रिय था। हालांकि यह गिरोह सीजनल ही अपना काम कर पाता था।
राजेश और उसके दोस्तों की शिकायत उनके स्कूल तक पहुंची। एक दिन स्कूल में राजेश को जब उनके नये गुरूजी ने समझाया कि, बेटा चोरी करना गलत बात है। आज आप किसी के पास से चीजें चोरी कर रहे हो, लेकिन भविष्य में कोई आपके पास से कीमती चीजें भी चुरा सकता है। राजेश के मन में गुरूजी की बात घर कर गई।
वर्षा ऋतु का समय आया। लौकी, कद्दू, ककड़ी, तुरई आदि की बेलें गाँव में जहाँ-तहाँ फैली नजर आने लगीं थीं। बेलों पर झूलती हुई लौकियां और ककड़ियां बरबस ही राहगीरों का ध्यान अपनी ओर खींच लेती थीं। लोग आश्चर्य में थे कि आखिर ककड़ियों का जानी दुश्मन कहा जाने वाला ककड़ी चोर गिरोह आखिर इस बार शांत क्यों है! गाँव के बड़े-बुजुर्गों का कहना था कि यह सब कृषि देवता के आशीर्वाद से संभव हुआ है। सच बात तो केवल राजेश और उसके दोस्त जानते थे।