कीचड़ में कमल

कीचड़ में कमल

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"का बात है रामकली ? किन ख्यालों में खोयी हुयी हो ?"

"अरे आओ, आओ मौसी, आपको तो पता ही होगा ना कल जब मेरी बेटी स्कूल से लौट रही थी, तो कुछ मनचलों ने उसका अपहरण करने की कोशिश की...वो तो भला हो कुछ लोगों ने बीच में आकर उसे बचा लिया ।

बचपन से ही उसकी खूबसूरती उसके लिए अभिशाप है, कराटे भी सिखाया उसको पेट काट कर पर सब बेकार ....."

"सही कह रही हो रामकली ! समझ नहीं आता क्या करे ! अच्छा तुमको वो सिनेमा याद है जिसमें हिरोइन सबसे बचने के लिए खुद पर काजल लगा कर रहती थी ?"

"अरे मौसी सोचा तो मैनें भी यहीं था पर बारिश का समय है..." - रामकली ने अपनी नजरें तेजाब की बॉटल पर जमाते हुये कहा .....

मौसी ने रामकली की नजरों का पीछा किया और सहमते हुये बोली,

"फिर क्या सोचा है तुमनें"

"ताई सोच रही हूँ बिटिया को तेजाब से नहला दूँ खूबसूरत ना रहेगी तो कोई बात नहीं, इज्जत तो सलामत रहेगी ...."

बिटिया को सामने से आता देख रामकली तेजाब की बॉटल उठाते हुये बोली ।

मौसी घबराते हुये बोली,

"पर आखिर क्यों मिले बेटी को सज़ा...."

मौसी की बात सुनकर रामकली ने बेटी को पास बुलाया और तेजाब की बॉटल उसे थमाते हुये बोली ....।

"सही कहा आपने मौसी, मैं भी इसी उधेड़बुन में थी ।बिटिया अब अगर कभी लगे की तेरी इज्जत खतरे में है, तो घबराना मत बस इस तेजाब की बॉटल खोलना और उन दरिंदों को तेजाब से नहला देना ...जलन का अहसास हमेशा तेरा ही नसीब क्यों बने !"


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