हम लड़कों की एक हल्की आहट से, हल्के अंधेरों में औरतें खुद को महफूज़ नहीं समझती! हम लड़कों की एक हल्की आहट से, हल्के अंधेरों में औरतें खुद को महफूज़ नहीं समझती!
तो बस हमने भी आंदोलन करने की ठान ली कि सब्जियां नहीं सब्जी बिकेगी। तो बस हमने भी आंदोलन करने की ठान ली कि सब्जियां नहीं सब्जी बिकेगी।
एक तमाशा...। एक तमाशा...।
कश्मकश - कहानी का पांचवां भाग। कश्मकश - कहानी का पांचवां भाग।
एक बेबस सफर...। एक बेबस सफर...।
एक कहानी। एक कहानी।