ख्वाबो में मुलाकात
ख्वाबो में मुलाकात
आज ख्वाबो में ही सही पर उनसे मुलाकात हो गयी
जो रह गयी थी बातें अधूरी कुछ कुछ उनमे से बात हो गयी
फिर वही सवालात थे फिर वही ख़ामोशी
लब बहुत कुछ बोल लेना चाहते थे, पर चेहरे पर थी अलग ही बेबसी
वो आँखें मिलती रही मैं नजरे चुराता हुआ
उसके सवालो से शायद दूर कही भागता हुआ
बहुत देर की ख़ामोशी के बाद सोचा हाल चाल ही ले ले
वैसे तो सच बतएगी नहीं थोड़ा झूठ ही सुन ले
बताया उसने की कितनी खुश है वो आजकल
कितना अच्छा चल रहा है उसके दरबदर
बोलती रही वो कुछ देर फिर अचानक से चुप हो गयी
अचानक जैसे कल से आज में लौट आयी हो
आज के उसने जैसे कल के उसको जगाया हो सहसा
और फिर वो धीमी आवाज में मुस्कुरा के मुझसे मेरे बारे में पूछने लगी
अब मैं बताता भी तो क्या बताता
अब बताने को ज्यादा कुछ रह नहीं गया था
रास्तें अलग थे अब ज़िंदगी अलग थी
नदिया के दो धार जैसे जो बाँट गए दो अलग दिशाओ मे
अच्छा हु कहके मैंने अपनी गर्दन घुमा ली
आँखें कही कुछ और न कह दे इस डर से मैंने नजरे चुरा ली
एक अजीब ख़ामोशी थी इस बार मिलने पर अजीब सा परायापन
शब्द जैसे तौले जारहे थे जैसे गैर खुल गयी बात तो संभाली न शब्द ना जाएगी
कितना अजीब वही ना एक इंसान जिसके सामने कभी तुम कुछ बोलने से पहले सोचते नहीं
वही इंसान आज खड़ा वही इतना पास वही फिर भी कितनी दूरिया है
दिल तो बहार निकलने को जैसे आतुर है जैसे किसी ने बांध रखा हो
एक बार खोल दे कोई उसे तो आलिंगन कर ले एक पल में उसे
पूछ ले उससे सब कह दे उसको सारी बात
मना ले उसको और मान जाये उसकी मान सारी बात
उसे ऐसे बिठा कर अपने सीने से लगा कर
बस कुछ देर उसी सुकून में बिता कर
पर पास हो कर भी अभी वही दूरियां है
जो मिटाये ना जिसके शायद अब वो मजबूरियां है
कुछ कुछ और बातिन हुई कुछ समय टेबल आमने सामने और बिताएं
कुछ किस्से और सुने , थोड़े हमने भी सुनाये होंगे शायद
एक किस्से पर वो हसी थी थोड़ा खुल कर
बस वही हसी वो हसी मैंने आँखों में कैद कर ली
यही वो पल था एक पल जिसको देखर
दिल को पल भर के लिए के लिए ही सही सुकून .आया
एक इसी चेहरे को देखर
दिल को फिर से एक बार बेशुमार प्यार आया
फिर अचानक उसने वो सवाल पूछ ही लिया जिसका डर मुझे सताए जा रहा था
अब उसको क्या बताऊ ये बात मुझे दिन रात खाये जा रहा था
वो सवालात वाले चेहरे वो उम्मीदों वाली नजरे
मैं गुमसुम टेबल के इस पर बेबसी में नजरे झुकता हुआ
ख़ुद को समझाता हुआ की क्या बोलना है कैसे बोलना है
और फिर अलार्म की आवाज़ से नींद सहसा खुली
कुछ देर मैं बिस्तर में पड़ा हर पल को याद करता हुआ
उस मुस्कराते चेहरे को याद कर बार बार मुस्कुराता हुआ।