nutan sharma

Inspirational

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nutan sharma

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खुद की मेहनत

खुद की मेहनत

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"श्रद्धा ओ श्रद्धा क्या कर रही हो बेटा" अचानक बाहर से आवाज आई। हां मां आती हूं अभी, बोलो मां श्रद्धा ने मां से कहा। बेटा एक ग्लास पानी तो ला जरा देख लिया कर मैं इस समय काम से आती हूं। तो थोड़ा फ्री रहा कर इस समय। अरे मां मैं पढ़ाई कर रही थी। ताकि आगे आपका हाथ बटा सकूं। 

श्रद्धा और उसकी मां दोनों अकेले ही थे परिवार में। पिताजी नहीं रहे थे। और मां घरों का काम करके जो कमातीं थीं। वो श्रृद्धा की पढ़ाई में लगा देती थी।

श्रद्धा भी पूरे मन से पढ़ाई करती थी।

उसे भी कलेक्टर बनना था। और उसकी मां का भी यही सपना था।

देखते देखते समय बीतता गया। मां भी उसकी बूढ़ी हो चली थी। कुछ जिम्मेदारियों ने बूढ़ा बना दिया था।

पढ़ाई के सिलसिले में श्रृद्धा दिल्ली चली गई। एक दिन उसने मां को पत्र लिखा। मां मैं कुछ दिनों में घर मिलते ही आकर आपको ले जाऊंगी। 

लेकिन पत्र मिलने से पहले ही सारे गांव में शोर मच गया और सभी श्रृद्धा की मां को आकार बधाई देने लगे।

ये क्या देखती हैं वह श्रृद्धा की तस्वीर अखबार में छपी थी। और लिखा था। कि वह कलेक्टर बन गई है।

उनकी खुशी का ठिकाना न रहा।

कुछ दिनों बाद श्रृद्धा गांव आकर मां को साथ ले गई। 

सच मेहनत में बहुत ताकत होती है। एक स्त्री चाहे तो क्या नहीं कर सकती। वह अपने और अपनों के सबके सपने पूरे कर सकती है।


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