धोखा
धोखा
सावित्री अपने परिवार में अपने पति और दो बेटों के साथ रहती थी। उस वक्त मेरी उम्र करीब चौदह वर्ष की होगी। सावित्री आंटी पड़ोस में ही रहतीं थीं। तो एक दूसरे के घर आना जाना लगा रहता था। उनके बेटे भी छोटे ही थे। चार,पांच वर्ष के होंगे शायद। सब कुछ नोर्मल चल रहा था। अंकल भी सुबह ड्यूटी जाते और शाम को घर वापस आते। आंटी घर के कामों में व्यस्त रहतीं थीं। उनके यहां भैंस भी थीं। वो उनके कामों में भी व्यस्त रहतीं थीं।
एक दिन अचानक से अंकल लापता हो गए। वो चार दिनों से घर वापस नहीं आए। उनके लापता होने की बात भी तब पता लगी जब उनका छोटा भाई उनसे मिलने उनके घर आया। पड़ोस में बातें होने लगीं।
जब करीब पांच दिन बीत गए तब पड़ोस के
घरों में बदबू आने लगी। सबने सोचा न जाने इतनी बदबू आ कहां से रही है। तब अंकल के भाई ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और पुलिस ने छानबीन शुरू की। आखिरकार पुलिस को अंकल की बॉडी मिल गई।सब हक्के बक्के रह गए।
पूछताछ करने पर पता लगा कि पड़ोस के ही एक लड़के के साथ मिलकर आंटी ने अंकल को मारदिया। जिसकी गवाही उनके खुद के पांच वर्ष के बेटे ने पुलिस को दी।आंटी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। जब पुलिस अंकल की बॉडी को ले जा रही थी। तब सारा मोहल्ला सन्न था।
अंकल बहुत नेक दिल व्यक्ति थे।
सबके दिलों में बस एक ही सवाल था। कि आंटी ने उन्हें ऐसा धोखा क्यूं दिया। ये बस राज ही रह गया। ये वाक्या मैं आज तक नहीं भूल पाई।