Ankur Singh

Crime Thriller

4.2  

Ankur Singh

Crime Thriller

ख़बरों में छुपा सच ,अध्याय 1

ख़बरों में छुपा सच ,अध्याय 1

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सुबह आने वाले अखबार में अक्सर तरह तरह की खबरे छपती है, अच्छे ख़बरों के साथ-साथ कुछ बुरी खबरे भी होती है जो इस दुनिया में होने तमाम तरह की बुराइयों को भी उजागर करती है। कभी चोरी, कभी छिनैती तो कभी खून, लोग उन ख़बरों को पढ़ते है अफ़सोस जताते है पर उसके बारे में गहराई से नहीं सोचते है। उनको सोचने का मौका तब मिलता है जब वो लोग खुद ही उस घटना से रूबरू होते है।


आज के अख़बार में भी ऐसी ही एक घटना का जिक्र था, इस छपी हुई न्यूज़ के मुताबिक सोनपुर नामक छोटे से शहर में एक बुजुर्ग की मृत्यु हो गयी है वजह हार्ट अटैक हो सकता है क्योंकि उनके शरीर में बाहरी चोट या घाव का कोई ऐसा निशान हो जानलेवा हो इसलिए पुलिस को यकीन है कि उनकी मृत्यु हार्ट अटैक से हुई है। पुलिस ने उन बुजुर्ग की लाश को और अधिक जानकारी के लिए पोस्टमोर्टम हाउस भेज दिया। आस-पास के लोगों से भी पुलिस ने पूछताछ जारी रखी जहां से उन्हें उन बुजुर्ग के बारे में सिर्फ अच्छाई ही पता चली।


पुलिस इस केस को एक आत्महत्या का केस मान कर चल रही थी, इसलिए उनके पूछताछ और खोजबीन दोनों में शिथिलता आ गयी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने में अभी भी 2 से 3 दिन लग सकते है इसलिए पुलिस ने एहतियात के रूप में गाँव में कुछ सिपाहियों को तैनात किया क्योंकि कुछ पड़ोसियों का कहना था उनकी मौत स्वभाविक नहीं है। थाना प्रभारी और अन्य बड़े अधिकारी वापस चले गए।

प्रतिदिन एक अख़बार में 20-25 लोगों के गुजर जाने की खबरे छपा करती है क्योंकि एक अखबार एक ख़ास इलाके या जिले को कवर करता है। अब जैसे की एक जिला है मिथिला और उस जिले के अन्दर एक गाँव आता है रतनपुरा, मुख्य शहर मिथिला से रतनपुरा गाँव की दुरी 50 कि.मी. है। गाँव आता है उसी जिले में लेकिन अखबार के खबरे जो छपी होती है वो लगभग अलग होती है सिर्फ मुख्य ख़बरें ही समान रहती है।

ऐसे हालत में अगर कोई रिश्तेदार या परिवारीजन बहुत दूर रहते है तब उन्हें अख़बार के माध्यम से जानकारी नहीं मिल सकती है उन्हें उस सूचना के लिए टीवी या किसी सगे-सम्बन्धी के फ़ोन के भरोसे बैठना होगा। ऐसा ही हुआ उन बुजुर्ग के साथ उनके बच्चे दिल्ली में रहा करते है जो की उनके शहर से करीब 500 कि.मी. दूर है। जिस वजह से उन्हें पुलिस के द्वारा पता चल पाया हालाँकि पहले तो उनके बच्चों को यकीन नहीं हुआ पर सच्चाई को ज्यादा देर तक छुपाया भी तो नहीं जा सकता है।

सोनपुर नामक शहर में जितनी भी अखबारें छपती है उनमे अलग-अलग 14 हृदयघात यानि हार्टअटैक की ख़बरें थी, 45 खून की, 12 चोरी की, 15 छिनौती यानि पॉकेटमार की, 18 लूटमार की, 4 बलात्कार की, 25 मारपीट की ख़बरें थी हालाँकि ये कहना मुश्किल था कि इन घटनाओं में कोई कनेक्शन है या नहीं पर ये वो ख़बरें थी जो छप गयी क्योंकि ज्यादातर केस तो किसी ने किसी के दबाव में दबा दी जाती है।

अगले दिन की खबर कुछ ऐसी छपी थी कि पढ़ने वालो के भी होश उड़ गए, सोनपुर के बगल में एक शहर पड़ता है काकापुर और वहा के डी.जी.पी. की हार्टअटैक से मृत्यु हो गयी ये खबर ना सिर्फ अखबार के बल्कि न्यूज़ चैनल के भी सुर्ख़ियों में आ गया। हालाँकि पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट आने में 2 से 3 दिन का समय लगने वाला था पर जिस तरह से उनकी मृत्यु हुई सबने यही माना की हार्टअटैक से मृत्यु हुई है।

न्यूज़ चैनल पे तो हार्टअटैक कैसे होता है और इससे कैसे बचे इस पर शो आने लगे, टेंशन यानि चिंता को मुख्य कारण बता कर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाने लगा। वहीं चिंता मुक्त होने के कई तरीके बताये गए जिनमे योगा और अन्य एक्सरसाइज शामिल थे। लोगों को पूरी तरह से यकीन दिलाने का प्रयास किया गया कि हार्टअटैक से जान गयी है पर कुछ ऐसे भी थे जिन्हें शंका था जैसे ‘प्रताप’।


अध्याय – 2

डिटेक्टिव प्रताप

प्रताप एक सस्पेंडेड डिटेक्टिव है जो आज कल जेल में अपनी ही बीवी के हत्या के जुर्म में है हालाँकि उसके दोस्त यार, पुलिस, वकील सबको पता है कि वो खून उसने नहीं किये है लेकिन उसके खिलाफ सबूत ऐसे थे कि मज़बूरीवश उन्हें प्रताप को अन्दर करना पड़ा।

प्रताप को जेल में सारी सुविधाएँ मिल सकती थी जो किसी बाहुबली को मिलती है पर प्रताप ने सबको मना कर दिया।

प्रताप को यहाँ आये हुए 2 वर्ष हो गये है अक्सर कोई ना कोई पुलिस वाला ऐसा केस जरुर ले आता है जिसे वो लोग किसी न किसी वजह से सुलझा नहीं पा रहे थे लेकिन प्रताप के सामने केस आते ही वो केस ऐसे हल कर देता कि पुलिस वाले भी दंग रह जाते। 

पुलिस वालों के नजर में ये बात कोई अजूबे से कम नहीं है कि एक व्यक्ति कुछ कागजात और फोटोज को देख कर ही बता दे कि उस व्यक्ति की हत्या हुई है या नहीं हालाँकि हर केस की पूरी जानकारी प्रताप लेता फिर उसे अपने दिमाग में एनालाइज करता और कुछ मिनट से कुछ घंटो तक चलने वाले दिमागी मंथन के बाद प्रताप बताता कि केस में क्या हुआ है और अब तक प्रताप का रिकॉर्ड 100% रहा है।

ऐसे में न्यूज़ पेपर में आये दिन होने वाली घटनाओं पर उसकी पैनी नजर रहती है, जेल के वार्डन उस इलाके के छपने वाले सारे अख़बार लेते थे और उनको पढ़ने के लिए प्रताप को दे दिया जाता था। अक्सर दोपहर में जब खाली समय मिलता 1 घंटे का तब प्रताप न्यूज़ पेपर पढ़ता और अन्य पुलिस वालों के साथ विचारों का आदान प्रदान भी करता। पुलिस वाले उसके तर्क और हर केस को अलग नजरिये से देखने के उसकी कला के मुरीद हो गए थे उन्हें यकीन हो गया था कि ऐसा कोई रहस्मयी केस नहीं हो सकता जो प्रताप ना सुलझा सके।

काकापुर के डी.जी.पी. की मृत्यु की छपी हुई खबर भी उसकी नजरो से हो कर गुजरी थी, पर अधूरे डाटा की वजह से प्रताप ये निर्णय नहीं ले पा रहा था कि ये हत्या है मृत्यु। पुलिस वाले अलग अलग तरह से व्याख्या कर रहे थे कोई बता रहा था कि खानपान की समस्या है, तो कोई चिंता को वजह बता रहा था। प्रताप ने न्यूज़ पेपर को ध्यान से देखा मुख्य पृष्ठ पर डी.जी.पी. की मृत्यु की खबर छपी थी उसी पेज पे नीचे एक तेल का प्रचार था जिसकी खूबी ये थी कि इसका सेवन करने से हार्टअटैक नहीं होता है।

तेल का प्रचार देख कर प्रताप को हँसी आ गयी क्योंकि उसे पता था कि बीमारी के बगल में दवाई का पता देना दवाई के बारे में संशय पैदा करता है। प्रताप ने पुरे पेपर को ध्यान से देखा उस एक पेपर में 5 हार्टअटैक से मरने वालों की खबर थी। उसके मन में एक ख्याल आया कि इस वर्ष हार्टअटैक से मरने वाले लोगों में जबरदस्त इजाफा हुआ है अभी वो इस बारे में सोच ही रहा था कि तभी उसका ध्यान बीच के पेज में गया इस पेज पर एक आर्टिकल दिखा जिसमे एक विपक्ष के मंत्री जी का बयान था उनका कहना था की हार्टअटैक से इतने ज्यादा लोगों के मरने का कोरोना वैक्सीन भी हो सकता है क्योंकि उसकी टेस्टिंग पूरी नहीं हुई है।

इस खबर को पढ़ कर एक बार फिर प्रताप की हँसी छूट गयी क्योंकि अगर वैक्सीन गड़बड़ होती तो इतनी जाने अब तक कैसे बचती। पेपर को अपने चेहरे पर कर प्रताप वही जमीन पर पीठ के बल लेट गया, प्रताप को इस मुद्रा में देख अगल-बगल खड़े सिपहियों को लगा की वो सो रहा है और वे उसे जगाना चाह रहे थे पर जेलर ने मना कर दिया क्योंकि उन्हें पता है प्रताप ऐसा सोचने के लिए करता है।


प्रताप एक बड़ा जासूस रह चूका है, एक डिटेक्टिव जो कभी कोई केस नहीं हारा, हमेशा मुजरिम को खोज निकाला है सिवाए एक के, अपनी पत्नी के हत्यारे को। जब भी समय मिलता है इस मुद्रा में लेट कर उस केस के बारे में सोचने लगता है पिछले 2 सालों में उस केस को 2000 से ज्यादा बार अपने दिमाग में दोहरा चूका था इस उम्मीद में कि शायद उसे कुछ ऐसा मिल जाए जो उसकी पत्नी के केस को सुलझा सके। इस वक़्त भी वो वही कर रहा था अपनी पत्नी के केस को एक बार फिर अपने दिमाग में चला रहा था उस घटना के हर एक पहलु को किसी फिल्म की तरह चला कर चेक कर रहा था पर हर बार इस बार भी उसे कुछ भी नहीं मिला। प्रताप तुरंत उठा, पेपर वापस जेलर की तरफ बढाया और वापस कैदियों वाले काम पर लग गया। जेलर उठा और पेपर लिए मुख्य गेट की तरफ जाने लगा।



अध्याय–3

सुराग

अगले दिन दोपहर 1 बजे सभी कैदियों की 1 घंटे की छुट्टी हुई, प्रताप भी काम छोड़ के जेलर के पास आया और शांति से एक जगह बैठ कर पेपर देखने लगा। आज के पेपर में भी कई सारे नकारात्मक खबर थे हालाँकि उसका ध्यान खिंचा सोनपुर में हार्टअटैक से गुजरे हुए बुजुर्ग व्यक्ति के खबर ने, खबर के मुताबिक वृद्ध की मृत्यु हार्टअटैक से ही हुई है। उनकी नसे जाम हो गयी जिससे खून का प्रभाव रुक गया और उनकी मृत्यु हो गयी, पुलिस ने स्वभाविक मृत्यु घोषित कर केस को बंद कर दिया।

प्रताप के दिमाग में एक बात घुमने लगी ‘नसे जाम होने के कई कारण हो सकते है पर क्या ये वाकई स्वभाविक है, उम्र की दृष्टिकोण से देखे तो हा पर फिर भी अचानक हार्टअटैक आना अजीब बात है हा वो अलग बात है कि हार्टअटैक आता ही अचानक है। प्रताप के दिमाग में एक और ख्याल आया और उसने जेलर से कहा

–“नारंग सर आपकी थोड़ी सी हेल्प चाहिए”

- “क्या हेल्प चाहिए प्रताप” – नारंग सर ने पेपर को एकतरफ करते हुए बहुत ही गर्मजोशी से कहा

-“मुझे ये वृद्ध भलाराम की पूरी जानकारी चाहिए मिल सकती है क्या” – प्रताप ने निवेदन करते हुए कहा

-“क्या-क्या जानकरी चाहिए बताओ कल तक मिल जाएगा और कुछ चाहिए”- जेलर नारंग सर ने बड़ी उत्सुकता से पूछा


-“क्या आप मुझे डीजीपी सर की रिपोर्ट और पूरी जानकारी दिला सकते है” – प्रताप ने एक बार फिर निवेदन किया

-“मुश्किल है पर हो जाएगा, क्या-क्या जानकारी चाहिए इस कागज पर लिख के दो मैं मंगवाता हु” – नारंग सर ने एक कागज का टुकड़ा और पेन प्रताप के हवाले किया।

प्रताप ने उस कागज पर जो भी जानकारी चाहिए थी सब लिख दी, लिस्ट बहुत लम्बी थी जब जेलर नारंग सर ने उस लिस्ट को देखा तो चौंक गए।


-“तुम्हे इतना सब जानकारी चाहिए प्रताप इसमें से कुछ तो बहुत ही गुप्त जानकारी है निकालना मुश्किल होगा पर मैं प्रयास करूँगा”। - जेलर नारंग सर ने कागज को बहुत ही संभाल कर अपने शर्ट की उपरी जेब में रख लिया। लिस्ट देने के बाद भी प्रताप कुछ देर तक न्यूज़ पेपर देखता रहा ख़बरों को पढ़ कर मंद-मंद मुस्कुरा रहा था। नारंग सर प्रताप को देख कर समझ गए थे कि उसके हाथ जरुर कोई ऐसा सुराग लगा है जो किसी केस तक जाता है शायद डीजीपी और वृद्ध भलाराम की आकस्मिक मृत्यु तक।


अगले दिन प्रताप बाकि दिनों की तुलना में बहुत ही खुश दिख रहा था, कैदियों वाले सारे काम निपटा कर वो 1 बजने का इन्तेजार कर रहा था। 1 बजते ही प्रताप मैदान से भाग कर जेलर नारंग के पास पहुंचा जो उसी मैदान के एक कोने में कुर्सी और एक छोटा टेबल लगा कर बैठे थे। टेबल पर एक केतली और एक कप हमेशा की तरह आज भी थी। प्रताप वही बगल में चबूतरे वाले स्थान पर पहुंचा और आराम से पलथी मार कर बैठ गया।


“-नारंग सर मैंने जो आपसे मंगवाया था वो मिल गया है आपको, क्या आप ले आये है।” – प्रताप ने अधीर होते हुए कहा वो आज किसी छोटे बच्चों की तरह बर्ताव कर रहा था।

“-परेशान ना हो प्रताप तुमने जो जो भी मंगवाया था वो सब मैं ले आया हु।”- इतना कह कर नारंग सर ने एक बैग को प्रताप के हवाले कर दिया। जिसे देख कर प्रताप के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी।



अध्याय – 4

रहस्योद्घाटन

प्रताप ने सबसे पहले दोनों व्यक्ति यानि वृद्ध भलाराम और डीजीपी दोनों की जानकारियों से भरी वाली फाइल निकाली और उन्हें बड़े ध्यान से देखने लगा। प्रताप ने जेलर से एक पेन लिया और उन जरुरी दस्तावेजों में निशान बनाने लगा। करीब 10 मिनट तक उस फाइल को देखने के बाद उन्हें एक तरफ कर दिया। बैग में हाथ डालकर प्रताप ने पिछले 5 दिन का अगल-बगल के 5 शहरों के सारे अख़बार मंगा लिया था। अगले 40 मिनट तक उन अख़बारों को ध्यान से देखता रहा और काम की खबर वाले पन्ने को एक तरफ करता रहा। लगभग हर पेपर से 5-6 पेज निकाल कर अलग रखने लगा। प्रताप कि इन हरकतों को देख कर जेलर नारंग सर और अगल बगल खड़े सिपाही भी आश्चर्य में पड़ गए।


इस काम को पूरा करने के बाद बेकार पपेरों को वापस बैग में रख कर बैग को एक किनारे सरका दिया फिर गला खंखारते हुए कहा -

“-मैं आपको जो बात बताने जा रहा हु नारंग सर वो बहुत ही गंभीर और खतरनाक है, वृद्ध भलाराम और डीजीपी सर की हत्या हुई है और हत्यारा दुनिया का सबसे चालाक खुनी है वो इतना चालाक है कि मेरे द्वारा उसका पकड़ा जाना 99 प्रतिशत असंभव है।” – प्रताप ने एक सांस में पूरी बात कह दी पर उसकी इस बात ने ऐसा विस्फोट किया था कि जेलर नारंग सर और अन्य सिपाहियों को सदमा लग गया। इतना बड़ा सदमा कि कई तो सांस लेना भूल गए क्योंकि प्रताप ने ये दावा किया कि उस खुनी को वो भी नहीं पकड़ सकता।


प्रताप ने जब जेलर नारंग सर और अगल-बगल खड़े सिपाहियों के होश फ़ाक्ता हुए देखे तो समझ गया कि उन्हें बहुत जोर का झटका लगा है और उन्हें ये बात समझनी पड़ेगी कि ऐसा प्रताप ने क्यों कहा है-

“मैं आपको पूरी बात शुरू से समझाता हूँ जरा ध्यान से समझिएगा, मान लीजिये एक व्यक्ति है ‘अ’ नाम का और उसने एक दिन फैसला किया कि वो ऐसे रैंडम मर्डर करेगा कि दुनिया की कोई भी पुलिस उसे खोज नहीं पाएगी। सबसे पहले वो गया एक मिठाई के दूकान पे उसने वहां से 4-5 किलो मिठाई लिए और कुछ खाली डिब्बे चाहे तो उसी दुकान से या किसी अन्य दुकान से ले लिए फिर उस मिठाई में से कुछ में एक ख़ास जहरीला केमिकल मिला दिया जिससे किसी भी इंसान की मृत्यु 1 घंटे में हो जाती है लेकिन शरीर से वो अगले कुछ मिनट में उड़ जाती है इसलिए पोस्टमॉर्टेम में वो ज़हर नहीं मिलता। अब उस मिठाई को चाहे तो फ़ोन डायरेक्टरी का डायरेक्ट इस्तेमाल करके या चाहे तो किसी संस्था के माध्यम से रैंडम लोगों के पास पहुंचा दिया। अब उन रैंडम लोगों के पास मिठाई का ऐसा डिब्बा है कि अगर उसमे 12 मिठाई है तो उसमे से 10 सही रहेगी और 2 में ज़हर रहेगा अब वो 2 मिठाई किसी रैंडम इन्सान को मिलेगी और उसकी जान चली जायेगी। वृद्ध भलाराम और डीजीपी साहब की मृत्यु इसी प्रकार से हुई है उन्होंने मरने से कुछ देर पहले करीब 1 घंटे पहले उन्होंने मिठाई का सेवन किया था। वृद्ध भलाराम जी के उस दिन के कार्यक्रम पर नजर डालिए तो आप पाएंगे कि उनके मृत्यु से पहले वो एक मंदिर में गए थे पूजा में सम्मिलित होने वही पर उन्हें वो मिठाई मिली अब वहां मिठाई कहा से आयी ये पता पुलिस ही लगा सकती है पर जहाँ तक मेरी समझ कहती है कि या तो उन्हें ये मिठाई किसी संस्था से मिली होगी या किसी हलवाई से, किसी हलवाई के पास तो गया नहीं होगा ताकि पकड़ा ना जाए तो उसने किसी संस्था से गुप्त रूप से संपर्क किया होगा और उनकी मिठाई में अपनी मिठाई मिला दी होगी। रही बात डीजीपी सर की तो उनके कार्यक्रम के अनुसार उन्हें एक करीबी के जन्मदिवस पर जाना था वहां जाने पर उन्होंने भी मिठाई खाई थी ये पोस्टमॉर्टेम में वर्णित है अब वहां मिठाई कहा से आयी इसका एक ही कारण हो सकता है हलवाई पर हलवाई को मिठाई कैसे मिली ये बड़ा सवाल है जिसका जवाब मुश्किल है क्योंकि ये खुनी खुद तो किसी हलवाई के पास नहीं जाएगा। अब या तो ये खुनी किसी मित्र की सहायता ले रहा है या किसी ऐसी संस्था से जुड़ा है जो मिठाई का बेचती है या प्रसाद के रूप में देती है। यानी कुल मिला के हमारे पास कोई साबुत नहीं है उस खुनी को पकड़ने का क्योंकि उसने रैंडमली लोगों की जान ली है यानि कोई साबुत मिलेगा ही नहीं और अगर कोई साबुत होगा भी तो उसे खोजना नाक से चने चबाने जैसा यानि समय लगेगा और तब तक वो बंदा गायब हो जाएगा।”



अध्याय 5

सुझाव

“-तो प्रताप इसका मतलब है वो खुनी कभी पकड़ा ही नहीं जायेगा” – नारंग सर ने चौकते हुए कहा

“-पकड़ा जा सकता है पर इसके लिए बहुत ज्यादा मेहनत करनी होगी बिलकुल शुरू से इस केस को देखना होगा इसमें 100 से ज्यादा पुलिस वालों की जरुरत पड़ेगी। आपके मन में कई सवाल होंगे जैसे की मुझे मिठाई के बारे में कैसे पता चला तो ऐसा है कि मुझे मिठाई के बारे में इस बात से पता चला कि दोनो के ही पोस्टमॉर्टेम में आखिरी चीज मिठाई है वही आपके मन में एक सवाल और होगा कि आखिर बाकी के न्यूज़ पेपर मैंने क्यों मंगवाए थे क्योंकि ये घटना आस-पास के शहरों में भी घटित हुई होगी ऐसा मेरा अनुमान था और ऐसा ही हुआ कुछ पत्रकारों ने उनके आखिरी खाने के तौर पर मिठाई का जिक्र किया है वही कुछ में फोटोग्राफर ने लाश की फोटो इस एंगल से मिठाई का डिब्बा भी आ गया है। अगर आप सही में पकड़ना चाहते है उस अपराधी को कुछ टास्क को पूरा करना होगा और कम से कम 100 पुलिस वालों को एक साथ काम करना होगा क्योंकि आप और हम जितना लेट करेंगे वो उतना दूर निकलता जायेगा”।


प्रताप के बताये सुझाव पर जेलर ने अपने सीनियर से बात की, सीनियर ने अपने सीनियर से और ये प्रक्रिया कुछ ही देर में सीएम साहब तक भी पहुँच गयी जब उन्हें प्रताप के बताये हुए थ्योरी और सुझाव के बार में सुना तो वो भी शॉक में पड़ गए और उन्हें लगा कि उनका जूनियर कोई मजाक कर रहा है पर सीएम के पीए ने बताया कि ‘प्रताप भारत ही नहीं पुरे विश्व का सबसे दिमागदार जासूस है लोग उसे इंडिया का शर्लाक होम्स बुलाते है अगर उसने कोई बात कही है तो बात सही होगी और चुनाव आ रहे है अगर ये केस इस तरह से सॉल्व हो गया तो लोग आपके दूरदर्शिता और निर्णय करने की क्षमता का गुणगान करेंगे वही अगर फेल हो गया तो आप इसे ड्रिल एक्सरसाइज बता दीजियेगा”।


मंत्री जी के निर्देश पर 100 से ज्यादा पोलिस वालों की टीम बनी और उन्होंने इस तरीके से काम किया कि करीब 12 घंटों में वो अपराधी रवि कुमार पकड़ा गया और पुलिस वालों ने उसके घर से सबूत भी बरामद कर लिए थे।


मीडिया में सीएम साहब ने प्रताप के बताये गए तरीके को अपने नाम से बताना शुरू किया- “सबसे पहले उन फोटो को अलग किया जिनमे मिठाई का डिब्बा दिख रहा था और फिर उन्हें अलग किया जिनमे आखिरी आहार के तौर पर मिठाई का जिक्र था। 2 लोग के समूह में पुलिस वाले बंट गए ऐसे करीब 40 फोटोज थी जिनमे मिठाई का डिब्बा दिखाई दे रहा था। हर शहर में 2-2 के समूह में टीम बनी टीम 1 का काम था उन घरों में जहाँ जिनकी फोटोज में मिठाई का डिब्बा दिखाई दे रहा था पूछताछ में पता चला कि उनमे से आधे को एक धार्मिक संस्था के द्वारा ये मिठाई का डिब्बा मिला ये डिब्बा बहुत ही छोटा था और इसमें सिर्फ 4 ही मिठाई आ सकते थे। पहली टीम ने ये सुचना तीसरी टीम को दी जो की 5 शहरो में 2-2 के समूह में बंटे हुए थे और वे उस धार्मिक संस्था के खोज में लग गए, जहाँ से पता चला की उनकी मिठाई बाहर के हलवाई के यहाँ से आती है। हलवाई कभी गाडी से उनके यहाँ दे जाता है कभी उनका कोई सेवक उस हलवाई के यहाँ से ले जाता है। तीसरी टीम ने ये जानकारी 5वी टीम को दिये और वो हलवाई के खोज में निकल गयी। दूसरी टीम उन लोगों के यहाँ गयी जिनके बारे में लिखा था कि उन्होंने लास्ट में मिठाई खायी थी वहां जा कर पता चला की उनके यहाँ इलाके में किसी ने पूजा वगेरह रखी थी सभी सामान यही बने थे पर एक खास प्रकार के लड्डू बाहर से आये थे उनका यहाँ बनना संभव नहीं था। इस टीम ने ये सुचना 4th टीम को दी और वो उस संस्था को खोजने लगे वही हलवाई की सुचना उन्होंने 6th टीम को दी और वो हलवाई को खोजने निकल पड़े। वही 7th टीम केमिकल लैबोरेट्रीज पहुंची और उन केमिकल का पता लगाने का प्रयास किया जो एक घंटा में किसी की जान ले कर खुद गायब हो जाते है जांच में पता चला कि ये केमिकल 5 शहर के फैक्ट्री में रिसर्च पर्पस के लिए बनता है और कुछ केमिस्ट को ट्रायल के लिया दिया जाता है। 7th टीम ने ये सूचना 8th टीम को दी और दोनों मिल कर उन केमिस्ट के यहाँ छापा मार दिए पता चला पांचों शहर में करीब 10 केमिस्ट वो केमिकल बेचते है और करीब हर दुकान से महीने के 2 बोतल वो केमिकल जाता है।

8th टीम ने उन लोगों की लिस्ट निकाली जो 16 लोगों की बनी, ये वही है जो उनके यहाँ से वो केमिकल ले जाते है ये लिस्ट उन्होंने 9th टीम को भेजी। 9th टीम ने उन लोगों को खोज कर जब उनसे पूछताछ की तो पता चला की वो लोग डॉक्टर के कहने पर कैंसर एंड स्नेक बाईट में इलाज के लिए ले जाते है पर एक व्यक्ति लालाराम के 2 बोतल गायब हो गए है। लालाराम ने बताया कि वो केमिकल लेके आ रहा था तभी उसकी गाडी पंक्चर हो गयी, पंक्चर बनवाने के प्रयास में उसकी गाडी से कब केमिकल गायब हो पता ही नहीं चला। ये सुचना जब 9th टीम ने बाकियों को दी सब टीम भाग कर उस शहर पहुँचे यानि ‘काकापुर’।

काकापुर में जहाँ उसकी गाडी ख़राब हुई थी वहां जब पता किया गया तो कोई जानकारी नहीं मिली क्योंकि पंक्चर बनाने वाले ने कुछ देखा भी नहीं था और वहां कोई सीसीटीवी भी नहीं था जिससे कोई साबुत मिल सके। उन समूहों में से वे टीम जो संस्था को खोजने गयी थी उन्हें पता चला कि वो संस्था एक ही है बस उसकी 5 शहरो में ब्रांच है। उन्होंने उस संस्था से संपर्क किया कि अगली बार उनका प्रोग्राम कब है और कहा है तो उन्होंने बताया की उनके पांचो ब्रांच मे 7 दिन का स्पेशल पूजा चल रहा है।ये लोग अलग-अलग इलाको में जा कर वहां के प्रसिद्ध मंदिर में पूजा करते है। ये बात सुनते ही पुलिस टीम का दिमाग घूम गया उन्होंने फ़ौरन संस्था के पते पे छापे मारी की और हर मिठाई के सैंपल को चेक करना शुरू किया। उनके साथ लालाराम था उसने लिटमस पेपर के जरिये कुछ ही देर में पता लगा लिया कि संस्था के कुछ मिठाइयों में जहर है। फ़ौरन ही संस्था के सीनियर ने बताया कि मिठाई बाहर से आयी है एक हलवाई के यहाँ से उनका आदमी राजितराम ले के आया है। राजितराम नामक व्यक्ति को साथ ले कर एक टीम हलवाई के यहाँ पहुंची जहाँ पर चेक करने पर वो ज़हर नहीं मिला। यानि ज़हर वाली मिठाई रास्ते में कही मिली थी उन्होंने पास के थाने से एक प्रशिक्षित कुत्ते को मंगवा लिया और राजितराम को लेकर उस रस्ते पे चल पड़े जिस रस्ते से वो वापस गया था। राजितराम ने बताया कि रास्ते में एक जगह उसकी गाडी पंक्चर हो गयी थी वहां पहुंचे तो पता चला कि वो चौराहे से थोडा पहले का भीड़ वाला इलाका था यहाँ भी एक पंक्चर वाला था हालाँकि उसने कुछ भी नहीं देखा था।लालाराम ने बताया कि केमिकल लो फ्रीक्वेंसी कि लाइट पड़ने पर चमकता है और बहुत ही हल्की पर लम्बे समय तक बरक़रार रहने वाली गंध देता है जिसे आम इन्सान आसानी से नहीं सूंघ सकते। जहाँ राजितराम की बाइक पंक्चर हुई थी उसी के पास एक लेज़र टोर्च डाला पर कुछ नहीं मिला इसका मतलब वो मिठाई वाला डिब्बा घर से लाता है और बीच रस्ते में डिब्बा ही बदल देता है या अपना डिब्बा बीच में डाल देता है।


टीम हार मान के जाने ही लगी थी कि तभी प्रशिक्षित कुत्ते का ध्यान आया, लालाराम के केमिकल का एक छोटा सा हिस्सा था ताकि मिठाई की टेस्टिंग में हेल्प हो सके वो केमिकल उस कुते रॉकी को सुंघाया गया और उस कुत्ते ने करीब 5 मिनट तक इधर-उधर दौड़कर एक फ्लैट वाली बिल्डिंग के सामने रुक गया। पुलिस वाले समझ गए यहाँ कुछ गड़बड़ क्योंकि ये घटना अभी कुछ देर पहले की है इसलिए हवा में उस केमिकल की थोड़ी सी गंध जरुर रह गयी होगी भले ही ये काम उसने घर में किया हो पर खिड़की के रास्ते गंध निकल गयी।


कुत्ते के सहारे वो लोग 5वी मंजिल पर बने कई फ्लैट में से एक फ्लैट में पहुंचे और उसको खुलवा कर अन्दर तलाशी लेने लेगे और उन्हें उस कमरे में वो केमिकल और मिठाई के अन्य डिब्बे भी मिल गए जहाँ पता चला की उसका प्लान मिठाई को संस्था के किसी एक वर्कर तक पहुँचाना था उसके बाद वो वर्कर उस मिठाई को अपने चाहे तो इस संस्था या चाहे तो दुसरे शहर के संस्था था पहुंचा सकता था पर वो इन्तेजार नहीं कर सकता था इसलिए कुछ को फ़ोन डायरेक्टरी के हेल्प से खुद पार्सल किया वही कुछ को खुद दुसरे शहर जा कर किसी वर्कर के मिठाई के बॉक्स में मिक्स कर आता था। वो बस एक परफेक्ट मर्डर करना चाहता था जिसमे कातिल कभी पकड़ा ही नहीं जाए”।


उसे एक साइको किलर के तौर पर कोर्ट में पेश किया जायेगा जिसमे मदद की थी प्रताप ने।

समाप्त 


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