कहावतें जो जिंदगी बदल दे
कहावतें जो जिंदगी बदल दे
"ना अच्छा गीत गाएंगे ना राजा जी घर आएंगे"
नाना-नानी दादा-दादी एक कहावत कह कर सारी बात का सार सामने रख देते थे। एक या दो लाइन में जीवन का पूरा निचोड़ हमारे सामने आ जाता था।
दूसरे शब्दों में कहें तो कहावतें वह मुहावरे आम बोलचाल का श्रृंगार बन गए हैं
जय कुमार अपनी कंपनी का मेहनती के साथ साथ बहुत दिमाग वाला कर्मचारी रहा, छोटे से छोटे और बड़े से बड़े काम बहुत आसानी से कर लेता, उसकी कर्म निष्ठा व तेज दिमाग के कारण वह सबका प्रिय बन गया, उसके अधिकारी उसकी क्षमता से अधिक उसे काम लेने लगे, बस थोड़ी सी तारीफ कर उससे अपना भी काम निकलवा लेते एक जैसी पगार पाने वाले उसके सह कर्मचारी आराम से अपनी नौकरी करते तथा अपने घर वालों को भी पूरा समय देते पर जयकुमार अत्यधिक काम करने के बाद भी एक सीमित आय ही अर्जित कर पा रहा था तथा उसकी गृहस्थ जीवन भी उसके काम के कारण प्रभावित हो रहने लगा, उसकी कार्यकुशलता उस के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगी ।
कई सालों से ना ही उसकी कोई पदोन्नति हुई थी और ना ही उसके वेतन में वृद्धि, पर आए दिन काम का बोझ उस पर बढ़ता जा रहा था, बस उसके आला अधिकारी उसकी तारीफ कर अपना काम निकलवा लेते, एक दिन हैरान-परेशान ,अत्यधिक थका हुआ जयकुमार कैंटीन में चाय पीते हुए अपने सह कर्मचारी के पास आकर बैठ गया। उससे आराम से बैठा देख जयकुमार ने उससे पूछ लिया कि उसके चेहरे में संतोष व शांति दिखाई दे रही है उसका क्या राज है, उसने जो जवाब दिया वह जयकुमार के दिलों दिमाग में बैठ गया उसने कहा" ना अच्छा गीत गाएंगे और ना ही राजा जी घर आएंगे", यानी कि वह अपनी परिसीमा में रहकर ही उतना ही काम करता है जितना उसकी क्षमता है, अपने गुणों का वह बखान उन लोगों के सामने नहीं करता जो केवल उसे मात्र अपने काम के लिए उपयोग करते हैं। उसकी कार्य का परितोष भी नहीं देते। कार्य की सराहना करना ही काफी नहीं होता, घर- बार तारीफ से नहीं बल्कि कमाई से चलते हैं। जय कुमार को यह बात बहुत अच्छे से समझ आ गई और अब उसने इस कहावत को अपनी जिंदगी का एक हिस्सा बना लिया अपनी क्षमता से ज्यादा काम और लोगों के स्वार्थ पूर्ति हेतु उपलब्ध होना बंद कर दिया।
