कहानी श्रृंखला ...उजड़ा हुआ दयार ...(2)
कहानी श्रृंखला ...उजड़ा हुआ दयार ...(2)
समीर का जीवन भी उन तमाम युवाओं की ही तरह बीत रहा था जिनके सामने अनेक चुनौतियां मुंह बाए खड़ा रहती हैं।उसने एक बहुत बड़े सरकारी प्रकाशन समूह में नौकरी तो पा ली थी लेकिन उस जगह भी घोड़े और गदहों की जुटान थी।जो गदहे थे वे घोड़ों को उड़ान नहीं भरने देना चाहते थे और किसी न किसी बहाने उनके प्रमोशन उनकी खुशहाली के वे सबसे बड़े बाधक सिद्ध होने लगे।उसके सामने ही प्रेम ,गुलाब,बच्चू लाल जैसे आदमीनुमा गदहे आये और घोड़े ही नहीं घोड़ों में चेतक घोड़े बनाकर दौड़ लगाने लगे थे।कारण ,एक तो उन सभी के खून में चमचागिरी बसी थी और दूसरा सबसे प्रमुख कारण कि वे अनुसूचित जाति , जन जाति की सुविधा श्रेणी के थे।हाँ, कुछ और ऐसे सूरमा भी थे , जैसे प्रभु , कि उन्होंने इस संस्थान को अपनी तरक्की किसीधी समझ कर ज्वाइन किया और सीढियों के पायदानों पर पर उन्होंने जो चढ़ना शुरू किया तो बस लोग देखते ही रह गए। उनका फार्मूला भी कुछ पोलिटिकल जुगाड़ तो कुछ सुविधा शुल्क देना रहा।
समीर इन सब साइड कट से अपने आपको अलग रखकर अपनी किस्मत और मेहनत के बलबूते नौकरी किये जा रहा था। उसकी पहली पोस्टिंग हुई इलाहाबाद , जो अब प्रयाग राज के नाम से जाना जाने लगा है।प्रयाग राज जहां तीन नदियों का संगम है - गंगा, जमुना और अदृश्य सरस्वती। यहाँ से वहां तक फैले संगम तट की खूबसूरती हर छः या बारह साल पर दुगुनी हो जाया करती थी जब स्नानार्थियों की बी भयंकर जुटान हुआ करती थी। कलकल निनाद कर रही इस पवित्र नदी की धारा के दोनों ओर के रेतीले मैदान और उसमें लगे टेंट और भी जीवन्तता का परिचय दे रहे थे।समीर के लिए यह पहला , अनदेखा और अनछुआ दृश्य था।उस दिन उसका साप्ताहिक अवकाश था और इस अवकाश की एक शाम इसी मनोरम स्थान पर लिए गए एक टेंट में गुजर रही थी। उसने पास के लंगर से जाकर प्रसाद स्वरूप भोजन ग्रहण किया और आकर अपनी पुआल वाले बिस्तर पर लेट गया।
देर रात उसे कुछ आहट हुई। विचित्र सी तेज़ आवाज़ के साथ उसे लगा कि कोई उड़न तश्तरी नुमा यंत्र उसके टेंट के पास उतर रहा है।उसने बिस्तर छोड़ दिया और बाहर की ओर लपका ही था कि हैल्मेट लगाये छोटे छोटे क़द के चार लोग उस उड़न तश्तरी से उतर कर उसकी ओर ही बढे।
"जींगाकोपो लोटा भीम बीम पिक पिक ज्ल्मोतो .."एक ने दूसरे से कुछ कहां।
"लोटा जींगा कोपो पिक पिक ज्ल्मोतो धोनो पोको .." कुछ ऐसे ही अलफ़ाज़ का प्रयोग अब दूसरे ने किया था।
समीर अभी कुछ समझ पाए कि माज़रा क्या है उसे तेज़ हवाओं ने क़ैद कर लिया।
अब समीर तीव्र गति से ऊपर उड़ रही उड़नतश्तरी के चार सवारों के साथ पांचवा सवार था।हतप्रभ,नर्वस और हताशा के उहापोह में।
उड़न तश्तरी ऊंचे और ऊंचे उडी जा रही थी और डर के मारे समीर लगभग बेहोश हो गया।उस पल के वाद क्या क्या हुआ उसे कुछ भी याद नहीं ....
भोर की हलकी किरण के साथ समीर अपने पुआल वाले बिस्तर पर जब जागा तो उसका बदन टूट रहा था।मानो वह किती दूर से चल कर आया हो। लेकिन उसके अन्दर एक विचित्र किस्म की ऊर्जा का संचरण हो रहा था ..एक्जैक्ट क्या और कैसे हो रहा था यह बताने के लिए भी उसके पास न तो ऊर्जा शेष थी और ना ही वहां कोई ऐसा उसका अपना सगा था जिससे वह शेयर कर सके |जागने के बावजूद उससे उठा नहीं जा रहा था।नींद और आलस्य ने उसे फिर से बिस्तर पर पटक दिया।
हडबडाकर समीर लगभग दस बजे उठा और उसे यह ख्याल आया कि अरे आज तो उसका वर्किंग डे है और..और उसका एक आवश्यक एप्वाइन्टमेंट भी तो कुछ खगोल वैज्ञानिकों के साथ है |वह सरपट अपने आफिस की ओर भागा।
स्टूडियो में विशेषज्ञ पहुँच चुके थे और डाईरेक्टर ने किसी और को इस इंटरव्यू के लिए बुला लिया था कि धडाक से स्टूडियो का दरवाजा खोलकर समीर अन्दर घुस गया।
"कट-कट" की आवाज़ के साथ डाइरेक्टर साहब ने समीर की क्लास लेनी शुरू कर दी थी।
"मानता हूँ कि आप अपने आपको जीनियस प्रोफेशनल समझते हो...लेकिन लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं कि, कि आप जब चाहें आयें जब चाहें जाएँ ... आई कान्त एक्सेप्ट सैक टैप ऑफ़ निग्लिजेंस मिस्टर समीर ! " बहल साहब , डाइरेक्टर अभी आगे कुछ बोलेन की उसके पहले समीर बोल उठा ;
"सर , सर ..यू कान्ट बिलीव ..आई हैव गाट सम वैल्य्यूएबुल इन्फार्मेशन फार दिस टास्क ..सर फार्गिव मी .. सॉरी , सॉरी...! "..समीर एक ही सांस में बोल उठा !
अब एक बार फिर से रिकार्डिंग शुरू हो चुकी थी।
" श्रोताओं ,लगभग 5000 वर्ष पूर्व पवित्र गीता के श्लोक 2-16 के अनुसार - " नासतो विद्यते भावो न भावे विद्यते सत: " कहा गया है अर्थात जो विद्यमान (स्थाईत्व में )है उसका क्षयं या नाश नहीं हो सकता है और जो विद्यमान नहीं है उसका जन्म नहीं हो सकता है। इस सिद्धांत को आधुनिकता में , कुछ ही सदियों से , ला ऑफ़ कंजर्वेशन आफ एनर्जी या माश के नाम से जाना जाता है। मनु के अनुसार प्रकृति पराईमारडल स्टेट ग्राफ मैटर से आकाश( इथर);आकाश से वायुमंडल,वायु मंडल से रौशनी (लाईट),वायु मंडल व रौशनी से ऊष्मा (हीट) , इनसे जल और जल सभी जीव जन्तुओं का आदिर्भाव हुआ है। आर्यभट्ट , वराह मिहिर,अज्ञात बल, बृहत संहिता आदि ........"
अभी समीर अपनी बात कर ही रहा था कि अचानक स्टूडियो में अन्धकार छा गया ...शायद बिजली की सप्लाई ट्रिप कर गई थी।
....( क्रमशः )
