कड़वा सच

कड़वा सच

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मधु आज बहुत परेशान थी, क्योंकि उसको आज महसूस हो गया, कि वह कितनी भी अच्छी क्यों ना हो जाए, लेकिन रहेगी हमेशा एक बहू ही !

बहू जितनी भी बेटी बनने की कोशिश कर ले परन्तु ससुराल में बेटी कभी नहीं बन पाएगी ! वह आज तक अपने ससुराल वालो की हर बात में हाँ में हाँ मिलती आई है ! कभी भी ससुराल वालों के आगे एक शब्द तक नहीं बोला, लेकिन मधु की बात को कोई भी समझना नहीं चाहता और ना ही किसी बात के लिए मधु की मर्ज़ी जानी जाती है कि वह क्या चाहती है !

बस जो उसके ससुराल वाले उस से कहे दे, उसको वही करना होता है ! चाहें कुछ भी क्यों ना हो जाये ! लेकिन आज मधु के सब्र का बाँध टूट चुका था ! आज उसने अपनी सास को किसी की शादी में जाने से इंकार कर दिया था कि उसका जाने का बिलकुल मन नहीं है क्योंकि उसकी तबियत आज ठीक नहीं थी ! वो चाहा कर भी जाने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी ! फिर क्या था, उसकी इनकार की बात सुनकर उसकी सास गुस्से से आग बबूला हो गई, "बोली शादी के बाद तो तुम्हें हर जगह जाना होगा, चाहे तुम्हारी इच्छा हो या नहीं ! शादी के बाद तुम्हारा इस तरह से मना करना नहीं चलेगा ! मिलाओ, अपनी माँ को फ़ोन मैं बात करती हूँ उनसे कि तुम आज कल अपनी मनमानी करने लगी हो ! क्या यही सोच कर मैंने अपने बेटे की शादी तुम से की थी कि तुम हमें ऐसे जवाब दे सको !"

मधु एक कोने में खड़ी हुई यही सोच रही थी कि आखिर मैंने ऐसा कहे भी क्या दिया, जो यह लोग मेरी बात को इतना बड़ा कर रहे हैं ! इतने में मधु की ननद का फ़ोन आता है और वो अपनी माँ (मधु की सास) को बोलती है कि उसका मन नहीं है, शादी में जाने का इसलिए वो और उसका पति शादी में नहीं आ रहे हैं ! यही बात सुन कर मधु की सास ने, कहा कोई बात नहीं बेटी अगर तुम्हारा मन नहीं है ! तो कोई बात नहीं, तुम खुश रहो ठीक है ! वहाँ मैं सब देख लूँगी ! यह सब सुनकर मधु की आँखों में पानी आ गया कि बहू कुछ मना करें, तो वह बुरी बन जाती है ! वही बेटी कुछ मना करें तो वह अच्छी ! मधु चुपचाप अपने शाम के लिए कपड़े प्रेस करने लगती है क्योंकि उसे अब समझ आ चुका है कि बहू कुछ भी कर ले, कितना भी अच्छा क्यों ना कर ले, पर कभी भी ससुराल में बेटी नहीं बन पाएगी ! यही जिंदगी का कड़वा सच है !


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