काव्या
काव्या
'ठाकुर दिग्विजय सिंह उमरिया गांव के जमींदार थे, उनके तीन बेटे थे। ठाकुर दिग्विजय सिंह बहुत ही क्रुर प्रवृत्ति के थे उनके दो बड़े बेटे बाप के नक्शे कदम पर थे।
ठाकुर रुद्रप्रताप सबसे छोटा बेटा बड़ा ही शालिनी था उत्तराखंड में पढ़ने गया हुआ था। मेडिकल कॉलेज में डाक्टरी की पढ़ाई कर रहा था।
ठाकुर रुद्रप्रताप के साथ उसकी सहपाठी काव्या से करीब दो साल से अफेयर्स था, घर में रुद्रप्रताप ने अपनी भाभियों को और माँ को बता रखा था।
दिग्विजय सिंह को रुद्रप्रताप और काव्या केअफेयर के बारे में भनक लग जाती है। काव्या कौन जाति की है। ठाकुर दिग्विजय सिंह की भृकुटि तन गई।
उन्होंने ने रुद्रप्रताप को पूरी तरह से "काव्या" नाम की लड़की से ताल्लुक तोड़ दे।
रुद्रप्रताप का कार एक्सिडेंट हो जाता है,वो दिमाग में क्लाॅटिंग हो जाता है। रुद्रप्रताप को लखनऊ में माँ के साथ इलाज के लिए रखतें है। विधि फिजियोथैरेपिस्ट रहती है रुद्रप्रताप को एक्सरसाइज के लिए आती है। रुद्रप्रताप व्हील चेयर पर रहता है।
रुद्रप्रताप कहता है , मुझे हरसिंगार के फूलों की भीनी-भीनी ख़ुशबू आती है। मेरा कमरा महक जाता है। ये ख़ुशबू बहुत ही जानी पहचानी सी रहती है।
रुद्रप्रताप को घूमाने ले जाती है। सुन्दर से मनोरम दृश्यों को दिखाने वहां हरसिंगार की पेड़ों का झुरमुट रहता है। बहुत हरियाली और घना जंगल रहता है। घुमावदार रास्ते पर विधि की गाड़ी अनियंत्रित हो जाती है।
जैसे- तैसे घर पहुंचतें हैं। रुद्रप्रताप उस हादसे से बड़ा अप्सेट हो जाता है। रुद्रप्रताप रात में सोता है, तो हरसिंगार के फूलों वाली ख़ुशबू से कमरा महक जाता है,।
डरावना सपना जैसे कोई कार को पहाड़ी पर से धक्का दे रहा है।
विधि इंदिरा देवी से कहती है, हम दिल्ली चलते हैं मेरी एक साइकोलॉजिस्ट से बात हुई है।आप कहें तो, मैं रुद्रप्रताप को लेकर चली जाती हूँ
ठाकुर दिग्विजय सिंह ऐतराज़ करतें हैं, नहीं तुम रहने दो हम देख लेंगे। वो इंदिरा देवी को कहते हैं इस लड़की को ज़्यादा मत इन्वालव करो।
रुद्रप्रताप उग्र हो जाता है, विधि को फोन करके कहता है, मैं दिल्ली चलना चाहता हूं, विधि कहतीं है अंकल ने मुझे आने को मना कर दिया है।
विधि शिमला के एक होटल में ही मिलना तय करती है। साइकोलॉजिस्ट को भी लखनऊ में ही बुला लेती है। मेंटल डिटेक्टर से रुद्रप्रताप को पिछले वक़्त में ले जा कर मालूम करता है।
उसके दिमाग़ में किस बात का सदमा लगा है, रुद्रप्रताप की ये हालत कैसे हुई।
"कार को पहाड़ी पर से धक्का दे देतें हैं, उसमें कोई लड़की मुझे पुकार रही है, थोड़ी देर बाद रुद्रप्रताप "काव्या... काव्या चिल्लाता है"।
वो कहता है काव्या है।उसमें उन्होंने मार दिया मेरी काव्या को, रुद्रप्रताप की याददाश्त आ जाती है।
रुद्रप्रताप जब होश में आता है।खूब रोता है विधि और दिल्ली से आए डाॅक्टर साहिल उसको रो लेने देतें हैं।
रुद्रप्रताप होटल से ड्राइवर के साथ काव्या के घर जाता है।उसके माँ- पापा से मिलता है,वो कुछ नहीं बताते हैं
रुद्रप्रताप अपने साथ पढ़ने वाली काव्या की बेस्ट फ्रेंड से बात करता है, तो वो सच्चाई बताती है।
रुद्रप्रताप तुम्हारे बाप ठाकुर दिग्विजय सिंह की ऊंची जाति के घमंड ने हमारे से काव्या को छीन लिया।
रुद्रप्रताप ठाकुर दिग्विजय सिंह और माँ इंदिरा देवी को खूब खरी खोटी सुनाता है। आप लोग इतना गिर सकते हैं।