Akanksha Gupta

Drama Crime Thriller

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Akanksha Gupta

Drama Crime Thriller

कातिल (who never murdered) भाग-9

कातिल (who never murdered) भाग-9

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अगले ही दिन अर्जुन पंचनेर विला केस के बारे जानने के लिए अपने शहर से पच्चीस किलोमीटर दूर किसी सुंदर पहाड़ी इलाके के एक पुलिस स्टेशन में बैठा हुआ चाय की चुस्कियां ले रहा था। प्रियांशु और प्रिया वहां बैठे हुए मोबाइल में नजरें गड़ाए कोई गेम खेल रहे थे। जब प्रियांशु बोर होने लगा तो उसने अर्जुन से झल्लाते हुए कहा- “क्या यार जीजू, आपका और दीदी का तो समझ में आता हैं कि यह आपका काम है लेकिन आप दोनों मुझे यहां क्यों लेकर आये है? सुबह-सुबह नींद भी खराब हो गई।”

अर्जुन ने एक चुस्की लेते हुए कहा- “देखिए साले साहब, अब जब अगर अपने घर में ही एक बॉटनिकल साइंटिस्ट मौजूद हो तो बाहर से किसी और को क्या परेशान करना। और रही बात आपकी नींद खराब करने की तो उसके लिए आपको मुआवजा दिया जाएगा। इस केस के खत्म होने के बाद एक फैमिली हॉलिडे पक्का। और फिर आपकी दीदी को भी तो अपनी ऑफिशियल वाइफ बनाना है।” कहते हुए अर्जुन ने चाय का खाली कप नीचे रखा।

इससे पहले कि यह बातचीत और आगे बढ़ पाती वहाँ पर उस चौकी के इंचार्ज मिस्टर दास आ धमके। उन्होंने आते ही सबसे पहले अपनी कुर्सी पर कब्जा किया और फिर खीसें निपोरते हुए बोले- “नमस्कार मिस्टर बिष्ट, माफ कीजिएगा आपको इंतजार करना पड़ा। वैसे आपको कोई तकलीफ तो नहीं हुई यहां पहुंचने में?”

“जी नहीं कोई तकलीफ नहीं हुई। वैसे आपके यहाँ की चाय भी आपकी तरह बहुत मीठी हैं मिस्टर दास।” अर्जुन ने झूठी तारीफ करते हुए कहा।

“जी यह तो आपका बड़प्पन हैं वरना इस छोटी सी जगह में कहाँ कुछ अच्छा मिलता हैं।” मिस्टर दास गप्पें हांकने के मूड में थे।

अर्जुन ने बात बदलते हुए कहा- “मिस्टर दास हमारी जिस बारे में बात हुई थी पहले वो काम कर लिया जाए, एक्चुअली हमारे पास टाइम कुछ कम हैं। केस हाई प्रोफाइल हैं तो आप समझ ही सकते हैं कि प्रेशर कितना बड़ा होता हैं।”

मिस्टर दास कुर्सी पर से उठते हुए बोले- “हाँ मिस्टर बिष्ट चलिए मैं तो कबसे इस इंतजार में था कि आप कब चलने के लिए कहेंगे।”

मिस्टर दास की बात सुनकर प्रियांशु को हंसी आ गई। उसने बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी रोकी। मिस्टर दास उन‌ तीनों को उस कमरे की ओर ले जाने लगे ‌जहां पंचनेर केस और उससे जुड़े हुए सारे सबूत और अखबारों में छपी हुई खबरें इकट्ठा करके रखीं गई थी।

अर्जुन ने कमरे की तरफ जाते हुए मिस्टर दास से पूछा- “क्या आप इस केस के बारे में कुछ जानते हैं मिस्टर दास?”

मिस्टर दास बोले- “हमें यहां पर दस साल ही हुए हैं लेकिन सुना है कि उस आग में तीन लोगों की मौत हुई थी जिसमें मियां-बीवी के साथ एक छोटी सी बच्ची भी थी।”

तब तक सब लोग कमरे के सामने पहुंच चुके थे। अर्जुन प्रिया और ‌प्रियांशु के साथ कमरे में जाता हैं जहां सभी चीजें एक बड़ी सी मेज पर रखी हुई थी। मिस्टर दास भी उनके पीछे-पीछे बोलते हुए अंदर आ गए- वे दोनों मियां-बीवी अपने किसी विदेशी दोस्त की फैमिली को बचाने के चक्कर में खुद की बलि चढ़ा बैठे थे।” 

अर्जुन ने देखा कि मेज पर कुछ फोटोज और कुछ अखबारों की कटिंग्स रखी हुई थी। “यह देखकर अर्जुन को गुस्सा आया लेकिन उसने अपने गुस्से को काबू में करते हुए कहा- मिस्टर दास आपने तो कहा था कि पंचनेर केस सारे सबूत यही है लेकिन यहां तो सिर्फ एक फोटो और अखबार की कुछ कॉपी के अलावा और कुछ नहीं है।”

मिस्टर दास ने अपने पीले दांत दिखाते हुए कहा- “आपसे पहले भी एक सज्जन हमसे यहीं सवाल‌ कर रहे थे। तब हमने उन्हें भी यहीं बताया था कि भइया आग में जले हुए कपड़ों और कागज को ज्यादा दिनों तक संभाल कर नहीं रखा जा सकता है इसलिए यहां पर आपको इस फोटो और अखबारों की कटिंग्स के अलावा और कुछ नहीं मिलेगा वो भी इस केस के रिकॉर्ड के नाम पर। अब भइया अंदर आने के लिए पैसे दिए हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि सबूत कही पेड़ पर उगाकर मिल जायेगा। हर चीज में टाइम लगता हैं।” मिस्टर दास की ज़बान फिसल गई तो वे बगलें झांकने लगे।

“हमसे पहले भी यहाँ पर कोई आया था?” अर्जुन ने हैरान होकर पूछा तो मिस्टर दास ने बताया कि इसी केस के बारे में छानबीन करने के लिए पांच साल पहले एक लड़का यहां पर आया था। उसका कहना था कि पुलिस वालों को वह अपना आदर्श मानता है और इस केस को सॉल्व करने वाले पुलिस ऑफिसर्स के बारे में जानना चाहता है। जब अर्जुन ने उन्हें विधान की फोटो दिखाई तो उन्होंने विधान को यह कहते हुए पहचाना कि लड़के के चेहरे पर तो दाढ़ी-मूंछ लगे हुए थे लेकिन उसके हाथ मे बंधी हुई घड़ी विधान के हाथ में बंधी हुई घड़ी से मिलती हैं। इतना बताने के बाद मिस्टर दास वहाँ से पानी पीने का बहाना बनाकर रफूचक्कर हो गए।

मिस्टर दास के वहाँ से जाने के बाद प्रिया दांत पीसते हुए कहती हैं- “अब इस केस से विधान का क्या लेना देना? इस बंदे ने सिर घुमा कर रख दिया हैं।”

अर्जुन ने प्रिया की बात अनसुनी की और अखबार की कटिंग्स को ध्यान से देखना शुरू किया। अखबार में छपी हुई खबर से अर्जुन को पता चला कि बीस साल पहले अपना बिजनेस विदेश से यहां शिफ्ट करने के बाद पुरषोत्तम सिंघानिया अपनी पत्नी माधवी, बेटी काव्यश्री और अपने दोस्त शैलेश के साथ यहाँ पर घूमने के लिए आये थे और यहाँ ठहरने के लिए पंचनेर विला किराये पर लिया था। यहीं पर उनकी मुलाकात अपने बचपन के दोस्त किशोर शर्मा और उनकी पत्नी कंचन से हुई थीं जो वहाँ अपने बेटे विधान के साथ रहते थे।

अर्जुन को जानकर हैरानी हुई कि विधान पुरषोत्तम सिंघानिया का नहीं बल्कि किशोर शर्मा का बेटा है। इससे पहले कि अर्जुन आगे कुछ पढ़ पाता प्रियांशु ने कहा- “देखो जीजू इस कॉटेज के पास भी उसी तरह के पेड़ है जिनकी पत्तियां आपको मिली हैं।” अर्जुन ने उस अखबार की कटिंग ध्यान से देखी जिस पर उस कॉटेज की तस्वीर छपी थी। प्रियांशु ठीक कह रहा था। फिर प्रियांशु विधान की तस्वीर हाथ में लेकर ध्यान से देखने लगा।

अर्जुन ने एक दूसरे अखबार को लेकर पढ़ना शुरू किया जिसके मुताबिक एक रात जब सभी लोग घर के अंदर बैठे चाय पी रहे थे तो उन्हें एक धमाका सुनाई दिया। जब किशोर ने जाकर देखा तो उनकी पत्नी कंचन जो उस वक्त रसोई में रात के खाने की तैयारी कर रही थीं, आग में झुलसी हुई थीं और उसके साथ काव्यश्री भी काफी हद तक जल चुकी थीं।

किशोर ने पुरषोत्तम, माधवी और शैलेश को घर के बाहर खेल रहे विधान के पास भेज दिया और खुद काव्यश्री को आग में से निकालने के लिए घर के अंदर चला गया और इससे पहले कि वो काव्यश्री को लेकर बाहर निकल पाता आग ने चारों तरफ़ फैल कर सब कुछ अपनी चपेट में ले लिया था।

अखबार की यह खबर शैलेश के बयान पर छपी थी और इस केस की जांच की शुरुआत करने वाले अधिकारी को इस पर यकीन नहीं था। उनका कहना था कि आग लगने के बाद भी इंसान खुद को बचाने की कोशिश करता है और चीखता हैं लेकिन वहाँ पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। उनके हिसाब से आग में जलने वाली बच्ची की बॉडी भी नही मिली।

कुछ दिनों बाद उस जांच अधिकारी की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई और इस केस का जिम्मा उन्हीं के दो जूनियर ऑफिसर को दिया गया जिनकी मौत प्रिया की ट्रेनिंग के दौरान हुई थी। उनकी जांच के मुताबिक शैलेश के बयान का एक एक शब्द सही था।

अब हैरान होने की बारी प्रिया की थी। उसने अर्जुन से कहा- “ओ माई गॉड! इसका मतलब तुम सही कह रहे थे। पंचनेर केस से सिंघानिया फैमिली का लेना देना है लेकिन मेरी एक बात समझ में नहीं आई कि जो इंसान अपनी तरक्की के लिए दूसरों की जान ले सकता हैं, वो किसी दूसरे के बच्चे को इतने प्यार और अच्छे तरीके से क्यों पालेगा भला? और यह के.के.शर्मा है कौन?

अर्जुन ने एक तस्वीर को ध्यान से देखते हुए कहा- “विधान के पेरेंट्स किशोर शर्मा और कंचन शर्मा।”

“मतलब?” प्रिया हैरान परेशान सी अर्जुन को देख रही थीं कि अर्जुन ने कहा- “कंचन किशोर शर्मा यानि के.के.शर्मा।

“तो क्या ये सब कुछ विधान ने किया है पर वो ये सब क्यों करेगा? क्या उसे लगता हैं कि उसके माता-पिता की मौत एक साजिश है? लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? आखिरकार मिस्टर सिंघानिया ने उसे पाल पोस कर इतनी अच्छी जिंदगी दी है। अपनी संपत्ति का वारिस बनाया है उसे।” प्रिया अभी भी सवालों के घेरे में उलझी हुई थी।

“उससे भी बड़ा सवाल यह है कि उस जैसा सेल्फिश इंसान किसी और को अपनी दौलत क्यों देगा भला?” अर्जुन सोच ही रहा था कि तभी प्रियांशु जो अब तक अपने फोन में कुछ ढूंढ रहा था एक दम से बोल पड़ा- “जीजू यह लड़का तो हमारी लैब में अक्सर आया करता था।”

“मतलब यह कौन विधान?” अर्जुन ने हैरान हो कर पूछा तो प्रियांशु ने अपने फोन में उसकी एक पुरानी फोटो अर्जुन को दिखाते हुए कहा- “यह जहरीले पत्तों से कोई आयुर्वेदिक दवाई बनाना चाहता था। आज से करीब साढ़े तीन-चार साल पहले हमारे सीनियर से इसकी अच्छी जान पहचान थीं। इतनी देर से याद करने की कोशिश कर रहा था। अब जाकर याद आया। खैर जीजू इसे देख कर लगता था कि काश इसकी जगह मैं होता तो अपन की तो लाइफ ही चेंज हो जाती।” प्रियांशु गिरते-गिरते बचा।

उसकी बात सुनकर प्रिया को झल्लाहट हुई। वो उसे कुछ कहने ही वाली थी कि अर्जुन के फोन की घंटी बज उठी। फोन पर बात करते वक्त उसके चेहरे के भाव बदल गए। जैसे ही बात खत्म हुई वैसे ही उसने प्रिया से कहा- “हमें यहां से निकलना होगा, माधवी जी की जान खतरे में हैं।”

“व्हाट? लेकिन वो हैं कहाँ और तुम्हें क्या पता चला है?” प्रिया और प्रियांशु हैरान रह गए।

“वो विधान के साथ यहीं पर हैं पंचनेर विला में। इससे पहले कि वो कुछ गलत कर बैठे हमें वहाँ पहुंचकर उसे रोकना होगा। वो नही जानता कि उसने अब तक क्या किया है और क्या करने जा रहा है।” कहते हुए अर्जुन दोनों के साथ बाहर की तरफ भागता है। उन दोनों के बाहर निकलते ही अर्जुन को कुछ याद आता है और वो वापस लौटकर अखबारों और तस्वीरों की कुछ फोटोज अपने फोन में खींच लेता हैं।

उधर एक अंधेरे कमरे में माधवी और दीप्ति कुर्सी से बंधे हुए थे। वे दोनों खुद को छुड़ाने की कोशिश कर ही रही थीं कि तभी एक साया कमरे में आता हैं और कमरे मे रोशनी बिखेर देता है। अपने सामने विधान को इस तरह देखकर दोनों बुरी तरह चौंक जाते हैं



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