काश वहां इंसानियत होती..
काश वहां इंसानियत होती..
रामलाल ने अपनी बेटे को दिल्ली भेजा पढ़ने के लिए, जमीन बेचकर भी रामलाल खुश था। सब कुछ ठीक ही चल रहा था। रामपाल खूब मेहनत करने लगा,उसके बेटे को पता था कि पापा के सपनों को पूरा करना है।
,
