कानों की बालियां
कानों की बालियां
कानों की बालियां, जब भी ये कानों में बड़ी खूबसूरती से लटकी होती है ना तो बड़ी नजाकत से गाल को स्पर्श करती है, और कान के पास पड़ी लट से गुफ़्तगू करती है। उस पल, बस उसी पल सबकुछ ठहर सा जाता है। सुनाई देती है तो सिर्फ इनके छनकने की हल्की सी आवाज़ .... पसंद है ना तुम्हें? मुझे शायद नहीं, क्योंकि इनकी हल्की छनछनाहट के शोर में, मुझे तुम्हारे दिल की धड़कने सुनाई नही देती ।

