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Mamta Giri

Fantasy Children

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Mamta Giri

Fantasy Children

बस हम बड़े हो गए।।

बस हम बड़े हो गए।।

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कहते हैं ना - बचपन जीवन का वो खूबसूरत पड़ाव होता है जो हमेशा हमें याद रहता है। धुंधला - धुंधला सा ही सही पर वो यादें हमेशा जिंदा रहती हैं।बस फर्क़ इतना है कि, अब हम उन यादों को याद नहीं करते। आज जब मैं अपने बचपन के बारे में सोचती हूँ ना तो मुझे नानी का घर याद आता है। घर के सामने बड़े - बड़े पहाड़, खेत, और एक नदी। जाते तो हम आज भी है पर शायद, शायद वो बात नहीं। तब तो हम सब घण्टों बैठ बातें करते थे, छुपन छुपाई खेला करते थे। और हाँ वहां एक आम का पेड़ भी था, जहां पर मैं हर शाम अपने कुछ दोस्तों के साथ खेला करती थी, वैसे वो आम का पेड़ आज भी है पर वो दोस्त कहीं गुम हो गए। हम पत्थरों से आम तोड़ा करते थे। कभी कभी तो घर पर बिना बताए नदी किनारे चले जाया करते थे, वहां बड़े पत्थरों पर बैठकर, पैर पानी के बहाव में डालकर छ्प- छ्प करते थे। वो पल ऐसे थे ना मानो , मानो बस जो है यही है। कितना... कुछ खेला करते थे। आज भी कुछ ज्यादा नहीं बदला, सब वैसे का वैसा ही है। बस... शायद हम बड़े हो गए।। 


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