STORYMIRROR

Mamta Giri

Drama

4  

Mamta Giri

Drama

डायरी में रखा एक फूल

डायरी में रखा एक फूल

1 min
535

आज यूं ही वक़्त के पुराने दराजों में से, मैं कुछ पुरानी किताबें टटोल रही थी, तो उन किताबों में रखी मुझे मेरी एक डायरी मिली। जो एक लंबे वक़्त से लकड़ी की बनी इक अलमारी में बंद और ख़ामोश पड़ी थी। डायरी के पन्ने पलटे तो दो पन्नो के बीच से एक फूल खुद को छिटक कर ज़मीन पर आ गिरा।

उस फूल की पंखुड़ियां अब गुलाबी से हल्की भूरी हो चली थी और उसकी सुगंध पहले से और तेज। उस मंद - मंद खुशबु से पूरी डायरी महक रही थी और उसमे लिखे हर एक शब्द उस खुशबु से सराबोर हुए मुझसे कुछ कह रहे थे, जिन्हें मैं महसूस कर पा रहीं थी पर शायद सुन नहीं पा रहीं थी। ज़मीन पर गिरे उस फूल को जब मैंने उठाया तो पुरानी बहुत सी यादे दिल और दिमाग में जोरों से शोर मचाने लगी...और मैं उस फूल को एकटक होकर निहारने लगी। शायद, शायद उस दिन मेरी डायरी में तुम फूल रखकर भूल गए थे या रखकर चले गए थे पता नहीं.... जिसका ज़िक्र ना तुमने कभी किया और ना ही मैंने ! बहरहाल आज इस फूल का मेरी डायरी में यूँ दिखना, एक बार फिर से तुम्हारी याद दिला गया। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama