काली किताब
काली किताब
एक समय की बात थी, नीरज नाम का युवक जो बनारस में रहता था, वह किताबें पढ़ने का काफी ही शौकीन था।
उसका दोस्त एक दिन नीरज के पास काली किताब लाता है और कहता इस किताब को हो सके तो पूरा पढ़ना नीरज तो किताबों का शौकीन था वह रात को पढ़ के सो जाता। सुबह होते ही जो उस काली किताब में बातें लिखी थी वह घटित हो जाती, क्योंकि उस किताब में काले राज थे और उसी की वजह से ऩीरज को असफलता मिलती जा रही थी क्योंकि वह किताब मामूली नहीं जादुई किताब थी।
नीरज भागता-भागता अपने दोस्त के पास जाता बोलते ये तुमने मुझे कैसी किताब दी हैं मेरे साथ बुरा होता जा रहा हैं नीरज का दोस्त बोलता-हँसते-हँसते, मैं तुझसे जलता था इसलिए इस पर तंत्र विद्या का जाल है। तू नीरज अब फँस चुका है। नीरज काफी डर जाता और वह जला देता तब भी कुछ नहीं होता पर एक ही उपाय था वह थी भक्ति और वह भक्ति मे चूर -चूर हो जाता और उसका ये प्रयास सफलता तक पहुँचा देता।
शिक्षा - आपसे जलने वाले किसी भी तरह की हानि पहुंचाने से पीछे नहीं हटते.
