Kishan Dutt Sharma

Inspirational

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Kishan Dutt Sharma

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काला रंग

काला रंग

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रंगों की प्रकृति ....

मुख्य रंग तीन होते हैं। लाल, नीला और हरा। बाकी सब रंग इनके विशेष अनुपात के मिश्रण से ही बनते हैं। हरेक रंग की अपनी आभा व ऊष्मा होती है। हरेक रंग की अपनी वेव लैंथ होती है। हरेक रंग की अपनी एक विशेषता होती है। एक रंग काला रंग है। काले रंग की अपनी खूबियां भी होती हैं। कुछ कमियां भी होती है। काले रंग की कमियों को गहन चिंतन मनन और योग ध्यान के द्वारा खूबियों में बदला जा सकता है। आध्यात्मिक दृष्टि से यह रंग स्वयं में ज्ञान की गूढता लिए हुए होता है। यह एक गहराई लिए हुए होता है। यह ऐसा रंग है जो अपने आप में सब कुछ को समाए हुए होता है। सब कुछ को स्वयं में समाना एक अर्थ में शुभ माना जाता है लेकिन दूसरे अर्थ में अशुभ भी माना जाता है। अशुभ इसलिए माना जाता है क्योंकि जो कुछ भी उसके पास होता है उसको दूसरों को (बाहर की ओर) बांटता नहीं है। अर्थात वह सब कुछ को अपने भीतर ही रख लेता है, वह कुछ भी प्रतिबिम्बित नहीं करता। उसमें केवल लेने का (सभी रंगों को लेने का) गुण तो होता है लेकिन देने का (प्रतिबिम्बित करने का) गुण नहीं होता। इसलिए ही उसे अशुभ रंग या आसुरी गुण का प्रतीक कहते हैं। लेकिन यदि कोई व्यक्ति अपने ऐसे गुण (प्रकृति) का पॉज़िटिव उपयोग करे व उसमें गूढता भरता चला जाए तो उसकी प्रकृति परिवर्तन हो जाती है। वह बाहर प्रतिबिम्बित (देने) करने वाला भी 100 % बन जाता है। इसलिए स्वयं के अन्दर दिव्य गुणों की अभिवृद्धि कर देने वाला देवता जैसा व्यक्तित्व बन जाना बेहतर है।


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