The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW
The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW

Kameshwari Karri

Inspirational

4.0  

Kameshwari Karri

Inspirational

काकी

काकी

5 mins
269


काकी मेरे साथ अस्पताल चलोगी क्या? कविता के डिलीवरी का समय है और कविता के पापा को भी अभी ही ऑफिस के काम से शहर से बाहर जाना पड़ा, मेरे तो हाथ-पैर काँप रहे हैं मुझे वैसे भी अस्पताल के नाम से ही डर लगता है। तुम रहोगी तो थोड़ी सी हिम्मत बनी रहेगी ...बोलो चलोगी न मेरे साथ।

अरे ... सुहासिनी इतना पूछने की क्या ज़रूरत है मैं अभी सोनू को बताकर आ जाती हूँ, ज़रूरत के समय पड़ोसी ही पड़ोसी की मदद न करें तो कैसे बोलो कहते हुए वे अपने घर के अंदर चली गई। 

 काकी का असली नाम कमला है पर सब लोग उन्हें काकी कहकर ही बुलाते थे। जैसा नाम वैसे गुण लोगों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहती थी .... आधी रात को बुलाए तो भी बुरा नहीं मानती थी। बेटी सोनू के पैदा होने के बाद एक दिन की बुखार ने उसके पति को उससे छीन लिया था, पढ़ी लिखी नहीं थी मायके जाना चाहते हुए भी नहीं जा सकती थी क्योंकि माता-पिता दोनों का स्वर्ग वास सालों पहले ही हो गया था, अब जाऊँ तो कहाँ जाऊँ उसी उधेड़बुन में बैठी हुई थी कि कंधे पर किसी के हाथ का स्पर्श महसूस हुआ पलट कर देखा तो छोटा भाई खड़ा था चल दीदी मेरे घर, मेरे साथ चल कुछ मत सोच कहते हुए उसने मेरे और सोनू के कपड़े एक सूटकेस में डाल दिए और हाथ पकड़ कर बाहर की तरफ़ चल दिया। मैं कुछ बोल भी नहीं पाई। रास्ते भर सोचती रही कैसे रहूँगी भाई तो मेरा खून है पर भाभी कैसे आवभगत करेंगी मैं उनसे नज़रें मिला पाऊँगी कि नहीं, क्योंकि कभी त्योहार या किसी फ़ंक्शन में आकर एक दो दिन रहकर जाना अलग है अब उनके घर रहने के लिए जा रही हूँ उनके भी तो चार बच्चे हैं भाई की कमाई भी ज़्यादा अच्छी नहीं है। यह सब सोचते हुए कब घर पहुँचे पता ही नहीं चला। भाभी दरवाज़े पर खड़ी थी मुझे देखते ही आकर गले लग गईं ..उनके स्पर्श ने मुझे माँ की याद दिला दी और मैं फूटफूट कर रोने लगी ...उन्होंने मुझे रोने दिया जब मैं संभल गई तब मुझसे कहा, दीदी अब कभी आप रोएँगी नहीं .....बस फिर कभी मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा पाँच साल कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला ...सोनू जब सोलह साल की हुई तो भाई भाभी ने उसकी शादी एक अच्छे घराने में तय करा दिया, थोड़े दिनों में शादी भी हो गई ....दामाद ने कहा माँ आप भी हमारे साथ चलिए.....दामाद के साथ न न न .....मेरा मन नहीं माना पर उसने मेरी एक भी न चलने दी और मजबूर होकर मुझे उनके घर जाना पड़ा। ज़िंदगी आराम से कट रही थी। मैंने अपने भाभी और भाई से सीखा कि ज़रूरत मंद लोगों की मदद करो पैसों का क्या है वह तो हाथ का मैल होता है, पैसे न भी हों पर दिल बड़ा होना चाहिए, उस दिन से मैं लोगों के सुख दुख में उनका साथ दे रही हूँ। कब वह कमला से लोगों के लिए काकी बन गई पता ही नहीं चला। 

 अब सुहासिनी के बेटी को बच्चा हो गया उसे सकुशल घर पहुँचाकर काकी घर पहुँचती है। सोनू ने कहा — क्या है ? माँ हद कर दी आपने एक दिन कहकर पाँच दिन बाद घर पहुँच रही हो, वे आपके सगे संबंधी हैं क्या ? इस तरह घूमोगी तो तुम्हारी तबीयत बिगड़ जाएगी। 

काकी ने कहा क्या कह रही है ? सोनू पड़ोस में रहकर किसी के काम न आए तो क्या फ़ायदा ? माँ... तुम तो सुनने वाली नहीं हो जो आपकी मर्जी आए करो बीस साल से तुम्हें देख रही हूँ। कहकर सोनू वहाँ से चली गई। एक दिन माँ से कहा चल माँ तेरे लिए कुछ साड़ियाँ ख़रीद लेते हैं क्योंकि दशहरा आने वाला है न कह कर उन्हें साथ लेकर बाज़ार चली, मुझे आश्चर्य हुआ जब मैंने देखा पूरे रास्ते लोग माँ का हाल-चाल पूछ रहे थे ..सभी लोग कैसी हैं काकी कल की बडियाँ अच्छी बनी हैं घर पर सब को अच्छे लगे ...आपके हाथों में तो जादू है .. कोई कहता काकी एक दिन आपको न देखे तो हमारा मन नहीं मानता ......... और तो और दुकानदार भी माँ को देखते ही कहने लगा अरे काकी आइए क्या दिखाऊँ ....उनकी इस तरह आव भगत देख मुझे मेरी माँ पर गर्व हुआ। शापिंग कर घर आ गए मैंने मन में ही सोच लिया अब माँ को नहीं टोकूँगी । 

सुबह के सात बज गए सोनू ने देखा पूजा घर से घंटी और आरती की आवाज़ सुनाई नहीं दे रही थी ....यह क्या इतने सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ , भागते हुए रसोई घर में देखा कोई नहीं, दिल घबराने लगा माँ के कमरे में पहुँची तो माँ अब भी सो रही थी .... माँ क्या हो गया है तबीयत ठीक नहीं है तो बुला लेती न आप भी चलिए डॉक्टर के पास चलते हैं .....

काकी ने कहा नहीं सोनू मैं बिल्कुल ठीक हूँ तू फिक्र मत कर थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा मैं उठ जाऊँगी..नहीं माँ उठो उसने राम को आवाज़ दी राम माँ की तबीयत ठीक नहीं है ...मैं डॉक्टर के पास ले जा रही हूँ , कहते - कहते ही उसने माँ को सँभाला और आटो रिक्शा में बिठा कर ख़ुद भी बैठ गई ....पास के ही अस्पताल में पहुँचे जैसे ही डॉक्टर ने माँ को देखा काकी ,आप ! क्या हो गया है आपको आइए नर्स जल्दी से पेशेन्ट को सँभालो और उन्होंने माँ की जाँच की कहा कुछ नहीं वाइरल फिवर है ...मैं दवाइयाँ लिखकर देता हूँ ठीक हो जाएंगी । सोनू अब भी सोच रही थी कि डॉक्टर माँ को कैसे जानते हैं, जैसे डॉक्टर ने उसके मन की बात पढ़ ली हो कहा .....काकी आप जल्दी ठीक हो जाएंगी हमारे जैसे कितने ही लोगों की मदद आपको करनी है। आज भी हम आपको नहीं भूलते हमारे बेटे को हम तक आपने ही पहुँचाया था बहुत- बहुत आभारी हैं हम आपके। सोनू की तरफ़ पलट कर डॉक्टर ने कहा एक बार हमारा बेटा हमसे मंदिर में बिछड़ गया था हमने उसे खूब ढूँढा पर वह नहीं मिला और मंदिर की सीढ़ियों पर ही बैठकर रो रहा था काकी ने उसे देखा और उसे चुप कराकर उससे हमारा फ़ोन नंबर लेकर हमें फ़ोन किया। हमारे आते तक उसकी देखभाल की। ऐसी है काकी .... सब के दिल की धड़कन ....किसी के लिए माँ बनकर किसी के लिए मौसी तो किसी के लिए भगवान पर हर किसी के घर में काकी को किसी न किसी रूप में याद किया ही जाता है। आप तो बहुत ही खुश क़िस्मत हैं जो ये आपके साथ ही रहती हैं। 

मैंने मन ही मन माँ को प्रणाम किया और ईश्वर को शुक्रिया अदा किया कि मैं काकी की बेटी हूँ। 



Rate this content
Log in

More hindi story from Kameshwari Karri

Similar hindi story from Inspirational