जय हो तेनालीराम (कहानी)
जय हो तेनालीराम (कहानी)
"ही इज़ दि तेनालीरमन ऑफ़ अवर सिटी!" - महानगर दिल्ली की जनता कहा करती है बुद्धि चातुर्य और वाक चातुर्य वाले ज्ञानी हास्य कवि को।
"ही इज़ दि तेनालीरामलिंगम ऑफ़ अवर दरबार!" सत्ताधारी राजनीतिक पार्टी के विरुद्ध संगठित महागठबंधन के महासचिव अक्सर अपनी महत्वपूर्ण सभाओं में यह कहा करते हैं। 'दरबार' बोले तो... 'महागठबंधन' की 'मीटिंग्स'! हर सभा में या देश के सदनों में इस सांसद हास्य कवि को लोग अब उनके मूल वास्तविक नाम 'कृष्णन अयंगर' से कम, ऐतिहासिक विजयनगर के राजा महाराज कृष्णदेव राय के दरबार वाले मशहूर विकट कवि 'तेनालीराम या तेनालीरमन या तेनालीरामलिंगम ' नाम से अधिक जानते हैं। वे अपने इस महागठबंधन की विकट समस्याओं का समाधान बड़ी सूझबूझ से सुझा दिया करते हैं 'कलियुग के कम्प्यूटर युग में' .... आपाधापी... गलाकाट प्रतियोगिता के इस स्वार्थपूर्ण अतिवादी भौतिक युग में!
अक्सर अपनी हास्य कवितायें सुनाकर सभाओं के घुटन भरे औपचारिक वातावरण में ये चतुर कवि नेताओं और अतिथियों के मुरझाए चेहरों पर मुस्कुराहटें खिलवा दिया करते हैं।
यूँ तो इन्टरनेट और सोशल मीडिया के युग में सभाओं में अन्य नेता भी हास्य-व्यंग्य या कटाक्ष कर या फेसबुकिया सोशल मीडिया छाप शेर-ओ-शायरी, दोहाछंद, तुकबंदी या चुटकुलेबाज़ी से उपस्थित जन का मनोरंजन कर देते हैं लेकिन इन माननीय तेनालीराम जी का नज़रिया, अंदाज़ और हाज़िरजवाबी राजधानी महानगर और महागठबंधन में ही नहीं देश-विदेश में भी विख्यात है। बड़े-बड़े कार्यक्रमों, आयोजनों और हाई-फाई ईवेंट्स में उन्हें आमंत्रित किया जाता है। मशहूर टीवी चैनल के क्विज़ कार्यक्रम केबीसी में करोड़पति भी बन चुके हैं माननीय और बिग बॉस जैसे बड़े शो में शिरक़त फ़रमाकर ग्लोबल फेम भी मुहतरम हासिल कर चुके हैं!
आजकल समस्याओं, चर्चा, वाद-विवाद, रैली और धरनों के विषय यही तो हैं- 'कोरोना वाइरस संक्रमण अर्थात सार्स-कोबिड-19 महामारी प्रकोप, गैंगरेप , ड्रग्स, चुनाव और आत्महत्याओं का सिलसिला' वग़ैरह, बस! सो इन माननीय तेनालीराम के बुद्धि चातुर्य को ही अक्सर चुनौती दी जाने लगी है हर सभा में, हर मंच और हर शो में और महागठबंधन में ऐसे मुद्दों पर विचारविमर्शों में भी!
एक रोज़ कोरोनाकालीन एक सभा में डिस्टेंसिंग और मास्किंग व्यवस्था के साथ कोरोना पीड़ितों और मौतों के बढ़ते आँकड़ों और कोरोना-योद्धाओं पर सरकारी नीतियों, घोषणाओं और मार्गदर्शिकाओं पर बहुत ही गंभीर विचार विमर्श चल रहा था कि किसी कथा में पढ़ा हुआ स्लोगन कृष्णन अयंगर यानि अपने तेनालीराम जी के मुख से उनकी विशिष्ट शैली में 'कबड्डी' के अभिनय सहित निकल पड़ा, "कोविड-डी... कोविड-डी...कोविड-डी...गो कोरोना गो ... हो... गो कोरोना गो हो! ... हूतूतूतूतू... हूतूतूतूतू... हूतूतूतूतू!"
यह सुनकर सभी की हँसी ऐसी फूट पड़ी कि मुख से मास्क हटाने ही पड़े सबके साथ सबको! उनकी बात जारी रही और वे अपनी विशिष्ट पगड़ी पर दोनों हाथ रखकर काव्य शैली में बोलते रहे -
"भारतीय संस्कृति अपना लो जनाब,
तौलिया,गमछा, पगड़ी संग धर
नारियों में चलने दो वही घूंघट-नक़ाब!
जड़ी-बूटी,च्यवनप्राश आयुर्वेद धारा!
पियो-पिलाओ नित नियम से काढ़ा!"
पूरा सभागार हँसी से गुंजायमान हो गया। सब अपनी कुर्सियों से उठ कर एक-दूसरे से हैंड शेक करने लगे और ज़ोर से तालियाँ बजाने लगे। संचालक महोदय के टोके जाने पर तनिक गंभीर मुद्रा बना कर कड़क स्वर में कृष्णन अयंगर यानि अपने तेनालीराम एक मशहूर टीवी शो की चर्चित ऐंकर अर्चना पूरन सिंह की मिमिक्री करते हुए बोले,
"वाह.. वाह क्या सीन है...आइ जस्ट रिमाइंड... मास्किंग, फिज़िकल डिस्टेंसिंग, सेनीटाइज़िंग ही वैक्सीन है!"
यह सुनकर एक बार फ़िर ठहाका लगाकर सबके साथ सब अपने चेहरों पर मास्क भलीभाँति सेट कर डिस्टेंसिंग के साथ शांत बैठ गये। .......
