ज्वालामुखी
ज्वालामुखी
कैलिफ़ोर्निया के घने जंगलों में धरती से करीब आधा किलोमीटर नीचे अमेरिका के राष्ट्रपति एक आलीशान बंकर में अपने मंत्रिओं के साथ मीटिंग कर रहे थे | सबके चेहरे पर डर साफ़ झलक रहा था | चेहरे पर मायूसी छाई हुई थी और सब अपनी अपनी राय रख रहे थे | पास के ही एक कमरे में अंकुश अपनी बीवी अंकिता और बेटी जारा के साथ बैठा था | जारा अपनी माँ की गोद में सिकुड़ कर बैठी थी और अंकिता अपना सर अंकुश के कंधे पर रख कर शांत बैठी थी | दोनों की आँखों में गहरी उदासी छाई थी | अंकुश को अपने पुराने दिनों की याद आ रही थी और उस कों आँखों के सामने पिछले कुछ वक्त की तसवीरें घूम रहीं थीं |
दो साल पहले की ही बात है कि अंकुश ने बॉम्बे आई आई टी से डिग्री पूरी की थी | वो अपनी क्लास में अव्वल आया था | उसने नासा में स्कालरशिप के लिए जो एप्लीकेशन दी थी वो मंजूर हो गयी थी और अगले ही दिन उसे अमेरिका के लिए रवाना होना था | उसके माँ बाप बहुत प्रसन्न थे और वो खुद भी बहुत खुश था क्योंकि उसका बरसों का सपना पूरा हो रहा था | वो बहुत मेहनती लड़का था और जी जान से काम करता था | नासा में वो इस बात पर रिसर्च कर रहा था कि हम ज्वालामुखी के फटने का अंदाजा पहले से कैसे लगा सकते हैं ताकि कुदरती आपदा आने पर हम पहले से ही लोगों को वहां से हटा दें और जान माल का कम से कम नुक्सान हो | नासा ने उसे येल्लो स्टोन नेशनल पार्क का बड़ा ज्वालामुखी इस रिसर्च के लिए दिया था |
नासा में उस की असिस्टेंट के तौर पर अंकिता को नियुक्त किया गया था | अंकिता थोड़ा कम बोलती थी और अंकुश धीरे धीरे उसे पसंद करने लगा था | अंकिता भी अंकुश को चाहने लगी थी और जल्दी ही दोनों ने शादी कर ली | अपने काम में अंकिता भी बहुत सीरियस थी और दोनों ने मिल कर धरती के अंदर लगने वाला एक प्रोब बनाया जिससे की धरती के अंदर के तापमान का थोड़ा सा भी अंतर पता चल सके और ज्वालामुखी के फटने का अंदाजा हो सके | ये प्रोब धरती के अंदर करीब एक किलोमीटर नीचे ड्रिल करके लगाया जाता था | अपनी शोध के लिए उन्होंने ऐसे पांच प्रोब येल्लोस्टोन ज्वालामुखी के सब और लगा दिए | इन सब को वो ऑफिस में बैठे बैठे मॉनिटर करते रहते थे | कभी कभी किसी एक प्रोब का तापमान थोड़ा बढ़ जाता था पर कभी भी कोई गंभीर चेतावनी नहीं आई थी | एक साल बाद उनके बेटी भी हो गयी और उन्होंने उस का नाम जारा रख दिया | दिन बड़ी हंसी ख़ुशी बीत रहे थे |
एक दिन अंकिता अपने ऑफिस में बैठी हुई कम्प्यूटर पर कुछ कर रही थी की उसे उस कमरे से जिसमें प्रोब वाले कम्प्यूटर रखे हुए थे लगातार बीप
की आवाज सुनाई दी | वो जब उस कमरे में पहुंची तो उसने देखा कि उन पांच कम्प्यूटरों में से एक कंप्यूटर में रेड सिग्नल आ रहा है और बीप की आवाज भी आ रही है | उस कंप्यूटर को देखने से पता चला की धरती के नीचे तापमान एक दम से तेजी से बढ़ा है | वो सोच ही रही थी कि ये बात अंकुश को बताये कि तभी ऐसी ही आवाज सभी कम्प्यूटर्स से आने लगी | अंकिता इस बात को पूरी तरह से समझ नहीं पा रही थी | उसने तभी अंकुश को फ़ोन लगाया और अंकुश कुछ मिनटों में वहां पहुँच गया | कम्प्यूटर्स को देख कर अंकुश के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं और उसे थोड़ा पसीना भी आने लगा | अंकुश सीधा नासा के डायरेक्टर के पास गया और उसे ये सब बताया | जब डायरेक्टर ने इस सब का मतलब पूछा तो अंकुश ने बताया कि उसके मुताबिक अगले एक दो महीने तक येलो स्टोन ज्वालामुखी में एक बहुत बड़ा विस्फोट होने वाला है और ये इतना बड़ा भी हो सकता कि अमेरिका का वजूद ही न रहे | और विस्फोट के बाद जो धुआं उठेगा वो शायद सूरज की रौशनी को धरती पर आने के लिए बाधा बने | और कुछ ही महीने में हम हिमयुग की तरफ भी बढ़ सकते हैं जिससे की आदमी और जानवरों की प्रजाति पर ही खतरा मंडरा सकता है |
नासा के डायरेक्टर ने अंकुश की बात बड़ी गंभीरता से सुनी और अगले दिन के लिए राष्ट्रपति से वक्त माँगा | मामले की गंभीरता को देखते हुए अगले दिन ही राष्ट्रपति ने अंकुश की निगरानी में एक कमेटी का गठन कर दिया जो की दूसरे डिपार्टमेंटस से मिलकर इस बात का जायदा लेगी कि इससे बचने की लिए क्या हो सकता है और हम इस धरती के ऊपर जो जीवन है उसकी रक्षा कैसे कर सकते हैं | बहुत सोच विचार के बाद यही हल निकला कि इस कुदरती घटना से पूरी तरह से तो नहीं बचा जा सकता पर इतने कुछ दिनों में जिन लोगों को बचाया जा सकता है उनको बचने के लिए धरती के नीचे बड़े बड़े बंकर बनाये जाएं और उन में लोगों को और कुछ और जीवों को सुरक्षित रखा जाये जब तक की उस ज्वालामुखी के विस्फोट का असर इस धरती से कम हो जाये और धरती रहने लायक हो जाये |
बंकर बनाने का काम बड़ी तेजी से शुरू हो गया और उनमें से एक बंकर में आज अंकुश और उसका परिवार बाकी लोगों के साथ इस कुदरती आपदा होने का इंतजार कर रहा था | और फिर एक दिन एक बहुत भयंकर विस्फोट सुनाई दिया | धरती कांपने लगी | जारा डर कर मम्मी की गोद में सिमट गयी | अंकुश ने भी अंकिता और जारा को अपनी बाहों में भर लिया और सोचने लगा कि वो इस बंकर के बाहर न जाने कब निकल पायेगा | ऐसा भी हो सकता है की वो यहाँ से निकल ही न पाएं | सोचते सोचते उसकी आँखों में आंसू आ गए |
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