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Swapnil Kulshreshtha

Drama Inspirational

4.1  

Swapnil Kulshreshtha

Drama Inspirational

जुर्रत.. मन की बात

जुर्रत.. मन की बात

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"डु यू वांट टू हैव इट ?" एक कोमलांगना ने एक बांके नौजवान कि ओर अपने स्टील के टिफिन बॉक्स की ओर इशारा करते हुए कहा जिसका युवक ने "नो थैंक्स आई आलरेडी हैड" कह कर जवाब दिया। लखनऊ विश्वविद्यालय के जेलनुमा फीस जमा करने के कार्यालय से भाऊराव देवरस गेट की ओर जाते हुए उसने जब ये वार्तालाप सुना तो वो एकदम सन्न रह गया। सीतापुर की कस्बाई संस्कृति में उसने ना ये पहले देखा था ना ही सुना था। उसकी आंखें फती की फटी रह गई। एक युवती किसी अनजान युवा से खाने के लिए भी पूंछ ले ऐसा तो उसने पहले कभी ना देखा था, वो भी ऐसी फर्राटेदार अंग्रेज़ी में, लाहौल विला कुवत।

 उसने खुद को एक अजीब स्वप्नलोक में पाया। विश्वविद्यालय के अंदर और बाहर की दुनिया में कोई भी साम्य ना था। बाहर अगर पुलिस और हिन्दू धर्म को अपनी बपौती समझने वाले संगठन यदि वेलेंटाइन डे के दिन प्रेम में व्याकुल रांझे पर लाठियां फटकाते नजर आते तो वहीं विश्वविद्यालय के भीतर प्रेमी युगर स्वच्छंद भाव से हाथों में हाथ डाले क्लासेज से बंक मारके प्रेम की पींग भरते नजर आते।

उसे विश्वविद्यालय आए अभी कुछ माह ही हुए थे लेकिन उसने ये समझ लिया था कि ये एक ऐसी जगह है जिसमे उसके जैसे शर्मीले, हिंदी माध्यम वाले, बालो में तेल डालकर लेक्चर लेने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। जब वो पहली बार क्लास में घुसा तो कोने मै एक ऐसी सीट पर जा बैठा जहां वो अकेला था। कुछ समय बाद धीरे धीरे क्लास भर गई लेकिन कोई भी लड़का या लड़की उसके पास उसकी सीट पर बैठने को हिम्मत ना कर सका था। प्रोफेसर साहब जब क्लास में घुसे तो अंग्रेज़ी में ऐसा लेक्चर झाड़ने लगे कि उसका कस्बाई एंटेना कुछ भी डिकोड न ना कर पाया। वो बार बार अपनी बांह सूंघता, कहीं कोई बदबू तो नहीं आ रही है ? वरना वो यूं वो अकेला पूरी सीट पर क्यों बैठता ?

लेकिन ब्रीज साबुन के सेंट ने उसे ज्यादा निराश ना किया। बीच लेक्चर में ही सही शीघ्र ही जगदीश प्र

साद उसके बगल मे आ बैठे। शायद उन्हें भी कस्बाई संस्कृति की गंध दूर से ही आ गई होगी वरना और कहीं तो उनकी भी दाल गलने से रही होती। प्रोफेसर साहब बोले लिखिए " फाइनेंशियल एडमिनिस्ट्रेशन इस बैंक बोन ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन", हाथ चले जरूर लेकिन ज्यादा देर साथ ना दे पाए। एक एक शब्द की स्पेलिंग लिखने में उसने लाखों संघर्ष किए। उसके बाद प्रोफेसर साहब ने क्या लिखाया कुछ भी याद नहीं। पास बैठे जगदीश ने पूछा 

लिख क्यों नहीं रहे हो ?

और वो धीरे से मुस्कुरा दिया। जगदीश को उसकी दुखती रग नजर आ गई थी। बोले

अच्छा है नहीं लिख रहे हो, जितना लिखे हो वो भी सारी स्पेलिंग गलत है। और लिखते तो हड़प्पा लिपि को तरह कभी पढ़ा ना जा पता।

वो मन मसोस कर रह गया। ये अंग्रेज़ी ससुरी बेइज्जती कराएगी। सारी लड़कियां हिंदी माध्यम वालों को निरे दर्जे का निखट्टू समझती थी सो बिना अधिक प्रयास के वो उस वर्ग को सदस्य बन गया जिन पर भूल कर भी प्रेम की बूंदा बांदी ना होती थी

एक रोज़ उसके क्लास में उसके बगल एक महिला आ बैठी। उसके पास से फूली की मदहोश करने वाली खुसबू आ रही थी। थोड़ी देर बैठने के बाद बड़ी बड़ी हिरनी सी आंखें खोलती बंद करती बोली -

विल यू गिव मी अ फेवर ?

उसे लगा कि आज जरूर कामदेव मेहरबान है। मुंह बिचक कर कहा 

अवश्य देवी।

में यू शिफ्ट ओन अदर शीट, माई फ्रेंड वांट टू शि ट हेयर। उसने इशारा करती उंगली की और देखा तो एक बर्गर सा दिखने वाला लड़का उत्सुकता भारी नजरों से उसकी ओर देख रहा था।

उसने गुस्से से महिला से कहा कहा -

कहीं और चल ले।

"आर यू इन सेन ?" महिला ने अपने गोल मुह को चौकोर करते हुए कहा। इसका मतलब तो उसे ना पता था लेकिन उस कुछ गाली टाइप महसूस हुआ।

ये उसके हृदय पर आघात था। उसने निश्चय किया कि अब वो भी अंग्रेज़ी सीखेगा और इन कॉन्वेंट वालों से अच्छी सीखेगा।


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