मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Tragedy

0.2  

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Tragedy

जुमले थे जुमले

जुमले थे जुमले

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' सर... सर... अनर्थ हो गया।' 

मंत्रीजी के व्यक्तिगत सहायक ने हॉफते - हॉफते मंत्रीजी से कहा।

मंत्री-' ऐसा क्या आसमान फट गया कि हॉफते-भागते सीधे मेरे बैडरूम में घुसे चले आये।'

व्यक्तिगत सहायक -' सर ! सर ! आज फिर अपने दो जवानों के सिर पाकिस्तानी काट कर ले गये.... सर... सर... ये तो बहुत बुरा हुआ, अब हमें अपने जवानों को खुली छूट दे देनी चाहिये।'

'अबे चुप कर...हमें विश्वविख्यात राजनेता बनना है और यह सब तो आम बात है, बस ! कुछ दिन हो हल्ला होगा, बाद में सब सामान्य हो जायेगा।'

मंत्रीजी ने अपने सहायक को डॉटते हुये भाषण दिया।

 'पर... सर आपने तो चुनाव से पहले अपने भाषणों में कहा था... हम दो की जगह दस सिर काटकर लायेंगे।'

सहायक ने डरते - डरते मंत्रीजी को याद दिलाया।

'अरे ! वो सब जुमले थे जुमले... तुम नहीं समझोगे।'

 मंत्रीजी कुटिल हंसी हंसते हुए अपने सहायक को समझाने लग गये....।


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