जरूरतमंद

जरूरतमंद

2 mins
211


सर्दियां आ गई हैं, गर्म कपड़े ड्राई क्लीन करवाने थे। मुझे और भी कुछ कम था, निकाल पड़ी। ड्राई क्लीनिंग की दुकान के सामने ड्राइवर ने कार रोकी, कपड़ो का बंडल उठाया और दुकान के अंदर पहुंचा। मै उतरी, बगल के शोरूम से कुछ देखना था।


तभी एक औरत में बढ़कर मेरे घुटने पकड़ लिए। "मेम साहब, पैसो की सख्त जरूरत है, मैं गांव से आई हूं, पति अस्पताल में हैं, उनके इलाज के लिए पैसा चाहिए।"


"इलाज के लिए गांव से चली आई, बिना पैसौ के ?" उसे हाथ के इशारे से दूर रहने को कहा।


"मेम साहब, घर से ठीक-ठाक ही चले थे। रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया। अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। खून बह गया है। डॉक्टर ने कहा है, एक बोतल खून चढ़ेगा। कम से कम ढाई हजार रुपए की जरूरत है। मेम साहब, भगवान आपका भला करेगा, कुछ पैसे दे दीजिए।"


मैंने इधर-उधर देखा और उसके हाथ में सौ का नोट पकड़ाया। देना तो मैं कुछ भी नहीं चाहती थी, लेकिन एक तो ड्राई क्लीनर वाला देख रहा था और दूसरा ड्राइवर भी वापस आ चुका था। अपनी स्टेटस का तो ख्याल रखना था।


लौटते हुए हनुमानगढ़ी के मंदिर पर दर्शन करने के लिए मैंने ड्राइवर से गाड़ी रुकवाई। देखती क्या हूं कि फूल वाले की दुकान के सामने वही औरत खड़ी है! इतनी जल्दी इतना लंबा रास्ता उसने कैसे तय कर लिया? मुझे देखते ही वह इधर-उधर देखने लगी। मेरे लिए गुस्से पर काबू रखना मुश्किल था। फ्रौड़ कहीं की!


"अब क्या हुआ, तुम्हारे पति का इलाज हो गया ? झूठी, मक्कार।"


"मक्कार नहीं, मेम साहब, वहां खड़े-खड़े मुझे हजार रुपए से ज्यादा मिल गया और मैंने उसे अपनी इस कुर्ती की जेब में रखा था, मगर मुझे क्या पता था कि मुझसे भी बड़े जरूरतमंद यहां घूम रहे हैं। देख रही हैं, यह मेरी फटी जेब!"


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama