जोकर
जोकर
"मम्मी देखो-देखो वो शेर कैसे अपनी दो टाँगों पर खड़ा हुआ है और वो देखो हाथी अपनी लंबी सूंड से उन अंकल को कैसे झूला रहा है। मुझे सर्कस में आ कर बहुत अच्छा लग रहा है मम्मी...थैंक यू"। राहुल ने अपनी माँ सीमा से कहा।
"राहुल मैंने और पापा ने तुमसे वादा किया था ना कि तुम्हारे अच्छे नंबर आने पर तुम्हें ऐसी जगह घूमाने ले जाएंगे जहां तुम कभी ना गए हो। मुझे खुशी है कि तुम्हें यहाँ आकर अच्छा लगा।"
तभी तालियों की गड़गड़ाहट के बीच एक जोकर ने मंच पर जगह बनाई और तरह-तरह के करतब दिखाने लगा। उसकी पोशाक रंग बिरंगी और चमकीली थी।
गिरते फिर खड़े हो कर सबको हँसा रहा था।
"मम्मी, ये जोकर की नाक इतनी गोल मटोल है ना, कितना फनी लग रहा है ये जोकर। मम्मी इसका रिमोट कहाँ है ?" राहुल ने मासूमियत से पूछा।
"अरे बच्चे ये कोई रोबोट नहीं है, इस चमकीली पोशाक के पीछे तो हमारी और तुम्हारी तरह एक ज़िंदा इंसान है, जो ये सब करतब दिखा रहा है।"
" मम्मी क्या ये जोकर अंकल कोई सुपर मैन हैं, जो इतने गिरने और नुकीली चीज़ों से चोट खा कर भी इतना हँस रहे हैं।"
"नहीं बेटा, मैंने बताया ना, ये एक आम इंसान हैं। वो अपना दर्द छुपा कर लोगों को हँसाने का काम करते हैं।"" मम्मी, फिर तो आप भी एक जोकर ही हुईं। आप भी तो हर सुबह हँसकर सारे काम करती हो और पापा से मार पड़ने पर भी दर्द और चोट छुपा कर सबके साथ हँसी ठिठोली करती हो। आप सच में बहुत अच्छी जोकर हो मम्मी।" राहुल की आँखें नम हो गईं।