Kavita Verma

Drama Tragedy

5.0  

Kavita Verma

Drama Tragedy

जो तुम न होती

जो तुम न होती

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अंदेशा तो पहले ही था और आज वह बुरी खबर आ ही गई की, कुसुम नहीं रही। 15 दिन मौत से जूझने के बाद उसने हार मान ली ।महेश बाबू पत्नी के साथ तुरंत रवाना हो गए। पत्नी बार-बार आँसू पोंछती और वे खामोश हैं मानों मन ही मन सोच रहे थे कि वहाँ जाकर क्या करना है और क्या कहना है या क्या नहीं कहना? या शायद सोच रहे हों कि उनसे कहाँ गलती हुई? वैसे ऐसा सोचेंगे इसकी संभावना कम ही थी फिर भी वह चुप थे गहरे सोच में डूबे हुए।

लगभग 15 दिन पहले खबर आई थी कि कुसुम सीढ़ियों से गिर गई है। सिर फट गया है अस्पताल में भर्ती है बहुत खून बह गया है और महेश बाबू पत्नी को लेकर तुरंत चल पड़े थे। अस्पताल में बिस्तर पर जो पड़ी थी वह खुद की बेटी है यह स्वीकारने में समय लगा था उन्हें। पीला चेहरा निस्तेज आँखें जिनमें उन्हें देख कर कोई खुशी कोई आशा नहीं उभरी थी। धक्का लगा था उन्हें लेकिन वे खामोश रहे शायद कमजोरी की वजह से है सोच कर खुद को तसल्ली दी थी। दो दिन रह कर लौट आए थे कुसुम को साथ लाने की चर्चा भी नहीं की थी उन्होंने। सालों नौकरी घर परिवार की जद्दोजहद में गुजर गए अब रिटायरमेंट के बाद फिर इस झंझट में कौन पड़े? बेटी के ससुराल में सास-ससुर हैं, पति हैं, जेठ-जेठानी हैं, सब संभाल लेंगे, वह बहू है उनके घर की।

बरामदे में अर्थी सजी हुई थी कुसुम को उस पर लिटा दिया गया था। लाल साड़ी, बड़ी बिंदी, नथ, टीका बिंदी, सीने पर बड़ा सा मंगलसूत्र, हाथ भर लाल चूड़ियाँ, बहुत सुंदर लग रही थी वह। चेहरा भी भरा भरा लग रहा था वह पीलापन पिचके गाल कहीं नजर नहीं आ रहे थे। मरने के बाद शरीर फूल गया था शायद। सिर का घाव पल्ले से छुप गया था। 

ऐसी ही तो लग रही थी कुसुम जिस दिन दुल्हन बनी थी। कैसे बिलख बिलख कर रोई थी विदा के समय। महेश बाबू धम्म से उसके बगल में बैठ गए। उसके गाल पर हथेली रखी उसका ठंडापन उन्हें भीतर तक सिहरा गया। उन्होंने साथ लाई बनारसी साड़ी उस पर उड़ा दी। सुहागन सुहाग लेने लगीं वह परे हट गए।

अंतिम संस्कार के बाद स्नान के बाद दामाद पुनीत ने कहा पापाजी आप अंदर मेरे कमरे में आराम करें। वे अंदर आ गए। अभी तक की बातचीत से यही पता चला कि सिर का घाव भरने लगा था कुसुम ठीक हो रही थी लेकिन फिर उसके फेफड़ों में पानी भरने लगा और हालत बिगड़ती रही। एक दिन वेंटिलेटर पर रही और कल शाम उसने दम तोड़ दिया।

कमरे का बिखरापन स्वामिनी के बीमार होने की चुगली कर रहा था। कपड़े जूते तौलिया मैली चादर दीवार पर लगी शादी की फोटो पर जमी धूल बता रहे थे कि कोई उनकी सुध लेने वाला न था। वह लेट गए पर नींद कहाँ थी आंखों में। थोड़ी ठंड सी लगी पत्नी ने चादर निकालने के लिए अलमारी खोली तो कपड़े भरभरा कर उस पर गिर पड़े। उन्हें चादर देकर वह कपड़े जमाने बैठ गई। नींद-चैन तो उसका भी गायब था। महेश बाबू पत्नी को देखते रहे। एक सूनापन घर कमरे और उनके भीतर व्याप्त था। न जाने कब उनकी आँख लग गई।

शाम हो चुकी थी बाहर बैठक में घर परिवार के लोग रिश्तेदार सभी बैठे थे वह भी वहाँ बैठ गए। अगले दिन सुबह उठावने के बाद दोपहर में ही जाने का निश्चय उन्होंने कर लिया था। वापसी में जाने से ज्यादा सन्नाटा था। वह घर जाकर भी सहज नहीं हो पा रहे थे। पत्नी बैग में से कपड़े निकाल रही थी तभी उनकी नजर उस डायरी पर पड़ी।

"यह क्या है?” उन्होंने पूछा।

"यह डायरी कुसुम के कपड़े जमाते समय मिली थी उसका नाम और लिखावट देखी तो चुपचाप बैग में रख ली। न जाने क्या लिखा हो शायद इसे पढ़कर पता चले कि क्या कुछ होता रहा उसके साथ? उसने तो कभी बताया नहीं।" कहते हुए पत्नी सुबक पड़ी। उन्होंने डायरी उठा ली और पन्ने पलटने लगे।

डायरी के पहले पन्ने पर बेहद खूबसूरत फूलों के गुलदस्ते के बीच कुसुम का नाम लिखा था। महेश बाबू ने पन्ने पलटना शुरू किए।


डियर डायरी,

आज मम्मी से ड्रेस डिजाइनिंग का कोर्स करने की बात कही थी जिसे बड़ी मायूसी से मम्मी ने मना कर दिया। अगले साल भैया का इंजीनियरिंग में एडमिशन करवाना है, न जाने कौन सा कॉलेज मिले? किसी प्राइवेट कॉलेज में हुआ तो उसकी फीस भी ज्यादा होती है। भैया की पढ़ाई जरूरी है, उसे नौकरी करनी है। मेरी पढ़ाई पर इतना खर्च फिर मेरी शादी के लिए पैसे बचाना कैसे कर पाएंगे? मैंने अपनी इच्छा को अपने ही अंदर दफन कर दिया दोबारा कभी इसका जिक्र तक न किया। 

डियर डायरी,

आज पापा के दोस्त आए हैं बातचीत में उन्होंने कहा यार लकी है बस एक ही लायबिलिटी है और पापा ठहाका मारकर हंस दिए। भैया का तीन साल से इंजीनियरिंग में सिलेक्शन नहीं हो रहा है। उनकी कोचिंग ट्यूशन में हर महीने हजारों रुपए लगते हैं। उनकी संगत को लेकर आप हमेशा चिंतित रहते हो, लेकिन जिम्मेदारी सिर्फ मेरी महसूस करते हो पापा।

भैया को मोटरसाइकिल सीखना है। आपने अपने दोस्त से लेकर उसे बाइक चलाना सिखाया फिर खुद का स्कूटर बेचकर बाइक खरीद ली। जब मैंने स्कूटर सीखने की बात की आप हंसकर टाल गए यह कहकर कि हाथ पैर टूट गए तो कौन तुझसे शादी करेगा? सारी जिंदगी तुझे बिठा कर खिलाना पड़ेगा। आपके लिए तो यह हँसी की बात थी, पापा लेकिन मुझे गहरे तक चुभ गई। आपने हँसी हँसी में बता दिया कि मैं पराई हूँ और आपके घर में मेरे लिए पूरी जिंदगी के लिए जगह नहीं है। आपकी और मम्मी की हँसी देर तक चुभती रही। 

महेश बाबू पढ़कर सन्न रह गए हँसी मजाक में कही बातें ऐसे भी चुभती हैं यह तो उन्होंने कभी सोचा ही नहीं था। उन्होंने डायरी के कई पन्ने पलट डालें।

डियर डायरी,

आज पुनीत जी ने बाइक न देने की बात पर आप को लेकर बहुत खरी-खोटी सुनाई बहुत बुरा लगा सुनकर। मैं जानती हूँ भैया की नौकरी के लिए सिफारिश रिश्वत में आपका बहुत पैसा लग गया है। पिछली बार मम्मी से कहा था कि बाइक का वादा पूरा नहीं होने से सबकी बातें ताने सुनने पड़ते हैं। उन्होंने यह कहकर बात खत्म कर दी कि बेटा तुम्हारी शादी में बहुत खर्च हो गया अब अपने घर की बातें खुद संभालना सीखो। भैया की सब बातें तो आप लोग संभालते हो पापा फिर मैं ही क्यों पराई हूँ? आपकी परेशानियाँ देखकर मैंने सबके ताने सबकी बातें सुनना सहना सीख लिया है। 

डियर डायरी,

मम्मी का ऑपरेशन है। भैया शादी के बाद अभी नौकरी पर गया है, उसे छुट्टी नहीं मिलेगी आपने मुझे बुलावा भेजा है। घर में इस बात को लेकर बहुत बहस हुई। मैंने सबके हाथ पैर जोड़े, रोई, गिड़गिड़ाईं तब आने की इजाजत मिली। 15 दिन घर का काम मम्मी की देखभाल, शादी के बाद पहली बार इतने दिन आपके यहाँ रही। आपके और मम्मी के मुँह पर भैया की व्यस्तता की चिंता और उसके द्वारा ऑपरेशन के लिए भेजे गए ₹10000 की तारीफ ही रही। मेरी सेवा का कोई मोल नहीं है पापा क्योंकि मैं तो पराई हूँ। 

डियर डायरी,

भैया-भाभी आठ दिन की छुट्टी लेकर आए हैं, यह बात उनके वापस जाने के बाद पता चली। मम्मी ने फोन कर घर के सूनेपन और खुद की उदासी को बहलाना चाहा। मम्मी ने बड़े उत्साह से बताया कि एक दिन ओंकारेश्वर महेश्वर घूमने गए थे। मम्मी ने यह भी कहा कि कितना अच्छा लगता है न जब पूरा परिवार साथ रहता है। पूरा परिवार!!! जिसमें मैं शामिल नहीं हूँ। जिसके साथ रहने के लिए आपने एक बुलावा भेजने की जरूरत नहीं समझी। 

डियर डायरी,

छोटी-छोटी बातें तो रोज ही होती हैं अब धीरे-धीरे बहुत सारी चीजों को बर्दाश्त करना सीख लिया है। अब दिल का एक हिस्सा धीरे-धीरे मरता जा रहा है। जब शरीर का एक हिस्सा मरने लगे तो दूसरे हिस्से में कोई बीज कैसे अंकुआ सकता है? पुनीत जी की दूसरी शादी की बातें फुसफुसाहटों के रूप में मुझ तक पहुँच रही हैं या शायद जानबूझकर पहुंचाई जा रही हैं। इस आधार पर तलाक तो मिल नहीं सकता और इसका इलाज बहुत महँगा है। पुनीत जी और घरवाले यह खर्च उठाना नहीं चाहते। आप से खर्च लेने की माँग करते हैं जो आपसे मैंने कभी नहीं कहा। अब मैं आपको कुछ नहीं बताना चाहती हूँ। अब मेरा जो होगा सिर्फ मेरा होगा। 

डियर डायरी  

किन शब्दों में तुम्हारा शुक्रिया अदा करूँ? तुमने मेरी वह सब बातें सुनी मुझे समझा जिसे मैं किसी से नहीं कह सकती थी। लगता है अब मेरा और तुम्हारा साथ यहीं समाप्त होने वाला है। 

तुम्हारी कुसुम


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