जिन्दगी
जिन्दगी
काश तुम मेरे होते मेरे पास होते ।
तो किताबों में मेरा पता न ढूंढते ।।
कुछ दिन पहले मेरा भी हाल कुछ ऐसा ही था ।
पर जिम्मेदारियों ने मुझे एकदम से बदल दिया ।।
लेकिन तुम्हारी मुस्कान आज भी याद है मुझे ।।
तुम्हारे साथ के वो लम्हे वो शाम याद है मुझे ।।
पर क्या करें अब तो ख्यालों में ही जीना है ।।
अब जिंदगी की गणित के सवालों में जीना है ।।
वो क्या है न? विज्ञान के ज्ञान ने मुझे जीना सीखा दिया।
जिम्मेदारियों के बोझ ने जिन्दगी से लडना सीखा दिया।।
बहुत कुछ सीखा है इस शेयर मार्केट जैसी ज
िन्दगी से।
उतार चढ़ाव तो जिन्दगी का एक ऐसा दस्तूर होता है ।।
पता नही क्यों तुम्हारे जैसा इंसान मजबूर होता है ।
परेशान न हो तुम जिन्दगी का यही दस्तूर होता है ।।
जिन्दगी अब किसी तरह हस कर गुजार दो ।
जो नसीब में था अब उसे खूब सारा प्यार दो ।।
माना की अपने पास वो खुशी नही होती ।
तो क्या दूसरों की खुशी, खुशी नही होती ।।
मैंने तो अभी तक लोगों से यही सीखा है ।
दूसरो को खुशी में ही अपनी खुशी है।
इसलिए कभी हताश न हो जिन्दगी से ।
जिन्दगी फिर एक छोटी सी खुशी से निखर जायेगी ।।