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Ashish Kumar Trivedi

Drama

3  

Ashish Kumar Trivedi

Drama

ज़िंदगी क्या है

ज़िंदगी क्या है

3 mins
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तुषार ने अपनी क्लास में प्रवेश किया तो सभी छात्रों ने उसका रोज़ की तरह अभिवादन किया। यह बारहवीं कक्षा थी। तुषार कैमेस्ट्री का अध्यापक था। लेकिन आज तुषार क्लास में रोज़ की तरह पढ़ा कर चले जाने के इरादे से नहीं आया था।

कोर्स खत्म हो चुका था। रिवीज़न भी लगभग पूरा हो गया था। इसलिए तुषार ने अपने छात्रों से कहा।

"आज पढ़ाई नहीं। कुछ नया करेंगे।"

सभी छात्र आश्चर्य से उसकी तरफ देखने लगे। तुषार ने आगे कहा।

"सब अपनी नोटबुक के बीच के दो पेज निकाल लो।"

यह आदेश सुन कर छात्रों को लगा कि सरप्राइज टेस्ट होने वाला है। उन्हें लगा इसमें नया क्या है ? कुछ खुश हुए, पर अधिकांश यह सोंच कर मायूस कि पहले से पता होता तो अच्छे नंबर लाते।

तुषार ने आगे कहा।

"बस अब तुम्हारी स्कूल लाइफ के कुछ ही दिन रह गए हैं। इसके बाद तुम्हें एक बड़ी दुनिया में नई चुनौतियों का सामना करना होगा। देखें तुम लोग कितने तैयार हो।"

बच्चे सरप्राइज टेस्ट का सवाल जानने के लिए उत्सुक थे। तुषार ने कहा।

"अब जो पेज निकाले हैं, उन पर अपना नाम लिखने के बाद विषय डालो ज़िंदगी क्या है ?"

अब सभी छात्रों के चौंकने की बारी थी। उनके असमंजस को देख कर तुषार ने उन्हें समझाया।

"तुम लोग अंग्रेजी या हिंदी जिसमें चाहो लिख कर बताओ कि तुम्हारे लिए ज़िंदगी का क्या मतलब है।"

तुषार ने घड़ी देख कर कहा।

"सिर्फ पंद्रह मिनट हैं। जो मन में आए लिखो। पर तुम बताओ कि ज़िंदगी तुम्हारे लिए क्या है।"

सब छात्रों ने पेन उठा कर लिखना शुरू किया। पंद्रह मिनट बाद उन्हें रोकते हुए तुषार ने क्लास मॉनीटर को सबके पेज जमा करने को कहा।

तुषार सभी बच्चों के जवाब पढ़ने लगा। कुछ ने एक से डेढ़ पेज तक लिखा था। कुछ चार या पाँच लाइन ही लिख पाए थे। कुछ पेज पर केवल नाम और विषय ही लिखा था।

बच्चे जानने को उत्सुक थे कि सर क्या कहते हैं। तुषार अपनी कुर्सी से उठा।

"तुम लोगों ने जो लिखा उसे पढ़ कर लगता है कि तुम्हारे लिए ज़िंदगी या तो एक रेस है या जंग। दोनों में ही जीत हासिल करना बहुत आवश्यक है।"

तुषार ने ध्यान से सुन रहे अपने छात्रों को देखते हुए कहा।

"इसमें तुम्हारी गलती नहीं। हम बड़ों ने तुम्हारे दिमाग में यही डाला है। पर बच्चों ज़िंदगी कोई खेल या जंग नहीं है। यह हार जीत, खोने पाने से बहुत ऊपर है। यह बहुत गहरी है। इसकी गहराई को तुम्हारे सर ने भी अभी तक नहीं समझा है।"

बच्चे कितना उसकी बात को समझ रहे थे यह तुषार नहीं कह सकता था। पर एक बात थी। सभी बहुत मन से उसकी बात सुन रहे थे। 

"मैं ये नहीं कहता कि जीतने की चाह ना रखो। कुछ पाने की कोशिश ना करो। पर यह याद रखो कि हार जाने या मनचाहा ना मिलने के बाद ज़िंदगी खत्म नहीं हो जाती। बल्कि उसके बाद भी बहुत कुछ है। ज़िंदगी को इतना गंभीर ना बनाओ कि जीने का मज़ा ना रहे। ना ही इसे मज़ाक समझ कर इसके मायने खत्म कर दो।"

तुषार अपनी बात कह कर चुप हो गया। सभी छात्र शांति से बैठे उसकी बात पर मनन कर रहे थे। पीरियड खत्म होने की घंटी बजी। क्लास छोड़कर जाते हुए तुषार ने कहा।

"कल से फिर कैमेस्ट्री की पढ़ाई होगी। पर मुझे उम्मीद है कि जब स्कूल के बाद तुम लोग अपनी इच्छा के अनुसार अपने जीवन की दिशा चुनोगे तो मैंने जो कहा याद रखोगे।"

क्लास से निकलते हुए तुषार को तसल्ली थी कि उसने आज बच्चों को कुछ सिखाया था।


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