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विनीता धीमान

Drama

3  

विनीता धीमान

Drama

जिंदगी खेल नही हैं

जिंदगी खेल नही हैं

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कल मेरी एक सहेली रिया मुझसे मिलने आई, बहुत उदास थी।

पूछा तो उसने जो मुझे जो कहानी बताई वह में आप सबको बयान करती हूं।

सच में ऐसा भी होता है।

है तो बहुत आम लेकिन जिसके साथ यह घटना हुई है उसकी तो पूरी जिंदगी उजड़ गई

उसके परिवार वालों का इस पूरे प्रकरण से कोई लेना देना नहीं है, उल्टा वो तो बहुत खुश हो गए कि उन्हें सज़ा मिल गई।  

रिया ने बताया कि उनके पड़ोस में रहें वाली शुभी दी जो किसी लड़के से प्यार करती थी, उसके बिना जीना वो सपने में भी नहीं सोच सकती थी, लेकिन उन्हें यह पता था कि उनके परिवार वाले इस रिश्ते को कभी स्वीकार नहीं करेंगें।

इस कारण से शुभी दीदी ने भागकर उस लड़के से जिसका नाम शुभम था, उससे शादी कर ली और अपनी नई दुनिया, किसी नये शहर में अपना घर भी बना लिया। 

शुभम के परिवार वाले भी इस रिश्ते से खुश नहीं थे उन्होंने ने भी उन दोनों को अपनाने से इंकार कर दिया। 

दोनों एक साथ काफी खुश हैं, दूसरी ओर दोनों के परिवारवाले एक दूसरे को दोषी मान रहे हैं आपसी रंजिश बढ़ती जा रही है अब ऐसा मौहाल है कि यदि शुभम और शुभी वापस आ जाते तो उनके परिवार वाले झूठी शान के लिए दोनो को भी मार डालते।

धीरे धीरे समय बदला अब भी दोनों के बीच गहरा प्यार है और उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनके परिवारवाले अभी भी उनको ढूंढ़ रहे थे।

अभी कुछ दिन पहले पता चला कि दोनों की एक्सिडेंटल डैथ हो गई हुआ ऐसा कि शुभी दी प्रेगनेंट थी अभी last month ही थाकुछ प्रॉब्लम हो गई तो उन्हें अचानक से हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया अब शुभम ही थे उसका खयाल रखने के लिए डॉक्टर्स ने कहा कि आप कुछ दवाइयां ले आओ

अब बच्चें को बचाने के लिए उन्हें operation करना पड़ेगा। नहीं तो मां और बच्चें की जान को खतरा हैफिर क्या था वहीं हुआ जो नियति को मंजूर था 

शुभम दवाई लेने चला गया और दूसरी तरफ ऑपरेशन के बीच में ही शुभी दी कि हालात खराब हो गई और उनकी डैथ हो गई लेकिन उनका बच्चा बच गया।

उधर शुभम की तेज रफ्तार बाइक की टक्कर तेज रफ्तार से आ रहे ट्रक से हो गई और उसकी भी वही डैथ हो गई

भगवान को भी क्या मंजूर था अब उनके बच्चे को देखने वाला कोई नहीं हैपुलिस वालों ने उनके परिवाजनों को बताया तो उन्हें पता चला तो दोनों के परिवार वाले बहुत खुश हैं और अब बच्चें को भी अपने साथ रखने को राज़ी नहीं हैइस सबमें उस नवजात बच्चें की क्या गलती हैं जिसकी पूरी जिंदगी उजड़ गई जन्म लेते ही मां पिता का साया हमेशा के लिए उठ गया। जिंदगी खेल नही है लेकिन उस बच्चे ने इस खेल में सब कुछ गवां दिया।

जिंदगी हर कदम पर हम सबका इम्तिहान लेती है कभी सुख है कभी दुख लेकिन जो इस जिंदगी के खेल को खुल कर खेल लेता है वो जीत जाता हैI


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